RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर ने उसे अपने से अलग करने की कोशिश करते हुए कहा – अच्छा.. बाद में शर्म नही आएगी…?
अब बता भी दे वरना मे सच में ये बात सबको बता दूँगा..
लल्ली फँस चुकी थी, बचने का कोई रास्ता नही था उसके सामने, सो हिम्मत जुटाकर अटकती सी ज़बान में बोली… वो..हम..लोग..ना.. कुछ ऐसी वैसी बातें कर रहे थे आपस में…
तभी तुम वहाँ आ गये, मे बहुत उत्तेजित हो रही थी उन बातों की वजह से, सो मेरे मुँह से निकल गया कि सलौनी तेरा भाई का वो…वो... मुझे अगर मिल जाए तो..तो.., इतना कहकर उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया…!
शंकर – वो क्या..? और क्या करने वाली थी.. साफ-साफ बोल ना…
लल्ली – भैया..प्लीज़ मान जा ना याररर.., मुझसे नही बताया जा रहा…!
शंकर – देख लल्ली शर्म छोड़ और सीधी तरह बता, वरना मे चला अपने घर !
लल्ली एक झटके में ही सारी बात बोलती चली गयी, जिसे सुनकर शंकर का मुँह खुला का खुला रह गया, फिर कुछ सोचकर मन ही मन मुस्कराते हुए बोला…
क्या तू सच में मुझे सारी रात अपनी टाँगों में दबाए रखेगी..!
लल्ली बुरी तरह से शरमाते हुए बोली – नही भैया… वो तो बात की बात में मज़ाक-मज़ाक में बोल दिया.., वरना मे कहीं ऐसा कर सकती हूँ भला…
शंकर ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे सहलाते हुए कहा – अगर कभी मौका मिले तो आज़माइश करने में क्या जाता है.., हो सकता है जो तूने कहा वो कर दिखाए..!
शंकर के मुँह से ये सुनकर लल्ली ने झट से अपना सिर उठाकर उसकी तरफ देखा..,
शंकर के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान देख कर उसकी झिझक कुछ हद तक कम हुई.
थोड़ी हिम्मत जुटाकर उसने उसके सीने को चूम लिया और अपने हाथ से उसे सहलाते हुए बोली – मेरी मज़ाक को इतना सीरियस्ली मत लो भैया…, मे जानती हूँ तुम मुझे ऐसा मौका कभी नही देने वाले…!
शंकर का हाथ उसके कूल्हे पर चला गया और उसने उसे सहलाते हुए कहा – मेरे एग्ज़ॅम हो जाने दे, ये मौका मे तुझे एक बार ज़रूर दूँगा,
शंकर का इतना कहना था कि लल्ली झट से उसके गले में झूल गयी और उसके होंठों पर चुंबन जड़ दिया.., शंकर ने उसके गोल-गोल चुतड़ों को मसल्ते हुए कहा
अभी कुछ नही वो सब बाद में, अब चल घर चलते हैं.., ये कह कर उसने एक बार उसकी मुनिया को अपने खड़े लंड के उपर ज़ोर्से दबा दिया…!
अपनी चूत की फांकों पर शंकर के खूँटे जैसे लंड की ठोकर से ही लल्ली तो जैसे हवा में उड़ने लगी…, दोनो के अंगों ने एक दूसरे की खुश्बू को अच्छे से पहचान लिया…,
इससे पहले की उसका मन और डाँवा डोल होता, शंकर ने उसे अपने से अलग किया और तेज-तेज कदमों से अपने घर की ओर चल दिया…!
उसके पीछे पीछे लगभग दौड़ती हुई लल्ली खुशी के पंख लगाए उसका पीछा करने की कोशिश करती हुई आने लगी….!
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