RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
वो इतना मोटा हो गया था कि लाजो को उसे मुँह में लेना भारी पड़ने लगा था,
उसने जैसे ही उसे बाहर निकाला, वो किसी अजगर की तरह सीधा तन्कर खड़ा हो गया…, काला भुजंग सोट जैसा 9” लंबे और 3” मोटे भोला के लंड को देखकर लाजो की घिग्घी बँध गयी….!
अभी वो उसे हाथ में लेकर देख ही रही थी कि तभी भोला की आवाज़ सुनकर चोंक पड़ी… कॉन है री तू…? मेरे लंड को क्यों चूस रही है साली छिनाल…?
लाजो ने पलटकर भोला की तरफ़ देखा.., उसे पहचानते ही वो बोल पड़ा…, अरे लाला की बहू तू भी लंड की भूखी है….?
लाजो उसके डंडे को हाथ में पकड़े हुए ही बोली – अरे भोलाजी जाग गये तुम..? मे देखने आई थी कि देखूं तो सही अकेले-अकेले क्या करते रहते हो..,
तुम्हें सोते देखा, लेकिन तुम्हारा ये नाग लूँगी से मुँह चमका रहा था, सो देखने लगी कि ये सोट जैसा क्या छुपा रखा है तुमने इसमें…!
और अभी तुमने क्या कहा, मे भी मतलब और भी हैं क्या इसका मज़ा लेने वाली…?
भोला ने उसकी गान्ड को मसल्ते हुए कहा – बहुत हैं इस गाओं में, तू उन्हें छोड़ तुझे पसंद आया ये…?
लाजो – हां, पसंद तो आया, पर किसी को बताओगे तो नही.., जैसे अभी औरों के बारे में कहा वैसे…!
भोला - चल नही बताउन्गा, अब खड़ा किया है, तो इसे ठंडा भी कर, बैठ इसके उपर..,
अंधे को क्या चाहिए, दो आँखें… सो लाजो ने झटपट अपनी सारी कमर तक चढ़ाई, और उसके अजगर का मुँह पकड़ कर अपनी सुरंग के मुँह पर रखकर बैठती चली गयी…!
आनन-फानन में वो बैठ तो गयी, लेकिन जैसे-जैसे वो अंदर सरकता जा रहा था, लाजो का मुँह खुला का खुला रह गया, उसकी आँखें चौड़ी होने लगी…
वो बीच रास्ते में ही रुक गयी, क्यों की उसे लगा, जैसे किसी ने उसकी चूत में अपना हाथ ही डाल दिया हो…!
भोला ने उसके ब्लाउस में क़ैद मोटी-मोटी चुचियों को पकड़ लिया, और उन्हें ज़ोर्से मसल्ते हुए बोला – रुक क्यों गयी री…, अंदर कर ना भोसड़ी की….!
लाजो हान्फ्ते हुए बोली – आअहह…उउउफ़फ्फ़…नही ले सकती पूरा…हाईए.. रामम्म…कितना मोटा है ये तो….मेरी चूत पूरी चिर गयी…..
तो इतने को ही अंदर बाहर कर ना कुतिया, यूँ बैठी क्यों है साली.., जल्दी चला अपनी गान्ड..ये कहकर भोला ने एक जोरदार चाँटा उसकी नंगी गान्ड पर चटका दिया…
लाजो ने धीरे से अपनी गान्ड उपर की, लंड बाहर आते ही उसने राहत की साँस ली, लेकिन चूत खाली-खाली सी उसे अच्छी नही लगी, सो फिर से बैठने लगी…!
आधे लंड को ही लेकर वो धीरे-धीरे उसे अंदर बाहर करने लगी, उतने से ही उसकी चूत की सारी नसें ढीली पड़ गयी, और उसकी चूत गीली होने लगी…!
उसकी आँखें बंद होने लगी, और उसने अपने ब्लाउस के सारे बटन खोल दिए, फिर ब्रा के हुक्स खोलकर अपनी चुचियों को नंगा कर दिया…!
उसकी नंगी थिरकति हुई मोटी-मोटी, गोरी-गोरी चुचियों को देखकर भोला उनपर टूट पड़ा, और अपने दोनो हाथों में लेकेर ज़ोर-ज़ोर्से मीँजने लगा…!
मोटे लंड की रगड़ और चुचियों की मीन्जायि से लाजो की चूत पानी छोड़ने लगी.., आज बहुत दिनो के बाद उसकी चूत गीली हुई थी, जिसकी वजह से उसे बहुत मज़ा आ रहा था…
लेकिन भोला का इतने से काम नही चल पा रहा था, उसे तो तूफ़ानी चुदाई करने की लत थी, सो उसने झटके से उसके बगल में हाथ डाला, और उसे नीचे ज़मीन पर पटक दिया…
वो तो अच्छा था नीचे भूसा पड़ा था सो लाजो को कोई चोट नही आई, नीचे पटकते ही वो भी उसके उपर सवार हो गया, और अपना 9” लंबा 3” मोटा खूँटा एक ही झटके से उसकी चूत में पेल दिया…!
आआईयईई….माइय्य्ाआआ…..माररर…गायईीई…रीइ… पूरा खूँटा जाते ही लाजो बुरी तरह से गाय की तरह रंभाने लगी…, भोला ने उसके मुँह पर हाथ रखकर दबा दिया और धक्के मारते हुए बोला…
साली पूरे गाओं को इकट्ठा करेगी क्या..? गान्ड में दम नही था तो आई क्यों मेरा लंड लेने…!
आअहह…तो अपने खूँटे को आराम से नही डाल सकते थे जंगली कहीं के…, मेरी चूत को फाड़ डाला.., लाजो कराहते हुए बोली..
भोला ने धक्कों की बरसात जारी रखते हुए कहा – यहाँ चूत फडवाने ही आती हैं सभी…, अब तेरी चूत में आग लगी थी तभी तो तू आई यहाँ.., अब क्यों डकरा रही है…!
10-15 बार की कुटाई ने ही लाजो की चूत का पानी निकलवा दिया, अब उसमें से फुच्च-फुच्च जैसी आवाज़ें आने लगी थी…,
उसने कतार नज़रों से भोला की तरफ देखा, शायद वो अपने धक्कों को विराम दे दे, लेकिन वो तो अपनी धुन में खोया हुआ, हुउन्ण…हुउन्न्ं..की आवाज़ें निकालता हुआ मानो किसी कुल्हाड़ी से लकड़ी काट रहा हो दे दनादन धक्के मारे जा रहा था…!
लाजो को उसके धक्कों ने पूरी तरह हिला डाला था…
एक बार झड़ने के बाद थोड़ी ही देर में वो फिर से गरम हो गयी, अब वो भी नीचे से अपनी गान्ड उचका-उचका कर उसके मूसल की मार झेल रही थी…!
सस्सिईइ…आआहह….फाड़ भोला मेरी चूत फाड़ दे मदर्चोद… मेरे चोदु राजा…, बना दे इसका भोसड़ा…, आज तुमने मेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दी…हहाअययईए… क्या मस्त मूसल जैसा लंड है तुम्हारा….!
उसकी कामुक बातों से भोला और जोश से भर गया, और वो तूफ़ानी गति से उसकी चूत की कुटाई करने लगा…!
लाजो की चूत अब झरना बन चुकी थी, उसमें से लगातार पानी निकल रहा था…, इतने दिनो की सुखी पड़ी नदी फिर से बहने लगी थी…
आख़िरकार 20-25 मिनिट की दमदार चुदाई के बाद भोला ने एक लंबी सी हुंकार भरते हुए उसकी चूत में अपना ट्यूब वेल खोल दिया…
लाजो की चूत भोला के पानी से लबालब भर गयी, भोला उसकी चुचियों में मुँह देकर हाँफने लगा…!
फिर जब उसने अपना मूसल उसकी ओखली से बाहर खींचा, फलल..फलल करके ढेर सारा दोनो का पानी बाहर निकल पड़ा…,
भोला ने उसकी गान्ड मसलकर कहा – क्यों रानी कैसा लगा मेरा लंड तुझे….
लाजो ने उसके सूखे खुर-दुरे होंठों को चूम लिया, जो शायद पहली बार किसी ने चूमा होगा उन्हें, और बोली – बहुत मज़ा आया, सच में कमाल की चुदाई करते हो भोला राजा…!
अब में चलती हूँ, कल फिर आउन्गि… ठीक है, मिलोगे ना…!
भोला मासूमियत के साथ बोला – मिल तो जाउन्गा, पर खाली हाथ मत आना, जलेबी लेकर आना, चुदाई के बाद बहुत भूख लगती है मुझे…!
लाजो उसके ढीले पड़ चुके लंड को चूमकर बोली – जलेबी की क्या बात करते हो भोला जी, भरपेट राबड़ी खिलाउंगी तुम्हें…, कहो तो आज रात को ही आ जाऊ…?
भोला ने उसकी चुचि को मसल दिया, वो आऔच करके रह गयी, भोला हँसते हुए बोला – तेरी मर्ज़ी.., लेकिन राबड़ी लाना मत भूलना…,
लाजो ने खुशी-खुशी हामी भर दी, और अपनी गान्ड मटकाती हुई वहाँ से चली गयी…!
भोला से जमकर चुदने के बाद लाजो की चाल ही बदल चुकी थी, उसका मूसल जैसा लंड अपनी चूत में लेकर उसकी टाँगें चौड़ी हो गयी,
भरी दोपहरी में जहाँ पूरा गाओं छान्व की तलाश में ज़्यादातर या तो अपने अपने घरों में आराम कर रहा था या अपने अपने काम की जगह पर ही किसी घने पेड़ की छाँव तलाश करके दोपहरी बिता रहा था…!
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