RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लाला जी ने चोन्कने की जबरदस्त आक्टिंग करते हुए कहा – ये तुम क्या कह रही हो..? होश भी है कि तुम क्या बोल रही हो..?
सेठानी – ये मे नही.. वो हरम्जादि लाजो ही बोल रही थी.., क्या सच में तुमने उससे संबंध बना रखे थे…?
लाला जी – और तुमने उसकी बात सच मान ली.., हां..हां..क्यों नही, वैसे भी तुमने तो हमें हमेशा ग़लत ही समझा है..,
सेठानी – नही जी.., ऐसी बात नही है.., मुझे तो उसकी बात पर ज़रा भी विश्वास नही है.., अच्छा हुआ वो बिना ज़्यादा हील-हुज्जत के घर से चली गयी…!
लाला जी – हां..! शायद तुम ठीक कहती हो.., अब बताओ उसने हमारे बारे में ही तुम्हें ग़लत-सलत बोल दिया.., और खुद उस पागल भोला के साथ मज़े कर रही थी…!
अब मे उस हराम्जादे भोला की ऐसी खबर लेता हूँ.., उसकी हिम्मत कैसे हुई हमारे घर की बहू के साथ ऐसा करने की, ये कहते हुए लाला जी ने तिर्छि नज़र से सेठानी की तरफ देखा..!
सेठानी – इसमें उस बेचारे भोला की क्या ग़लती है, वो तो यहाँ कभी आया तक नही, वो ही कुतिया उसके पास जा पहुँची अपना भोसड़ा खोल कर…,
और तुम अगर जाकर उसको कुछ कहोगे तो खम्खा अपने ही खानदान की बदनामी होगी लोगों के सामने, अब बेकार में जग हसाई करने से क्या फ़ायदा…!
लाला जी – ये तुम एकदम सही बोल रही हो भागवान, ये बात हमारे दिमाग़ में आई ही नही.., तुम सचमुच बहुत समझदार हो शांति…, तुमने बहुत पते की बात कही है…!
ये कहकर लाला जी ने आगे बढ़कर सेठानी को अपनी बाहों में भर लिया.., उनके मोटे-मोटे थुल-थुले चुतड़ों को सहलाते हुए बोले – तुमने हमें बदनामी से बचा लिया…!
सेठानी को मुद्दतो के बाद अपने सेठ की बाहें नसीब हुई थी, वो भी उनके सीने पर हाथ फेरते हुए बोली – चलो.. तुमने माना तो सही की मे समझदार हूँ….!
लाला जी ने एक हाथ से उनके एक खरबूजे जैसे चुचे को मसलते हुए कहा – अरे तुम तो हमेशा से ही समझदार हो मेरी जान..,
लाला जी का प्यार देखकर कुछ घंटों पहले हुई गीली चूत में फिर से खुजली होने लगी, वो उसे लाला के लंड पर दबाते हुए उनसे चिपक गयी..!
अपनी धर्मपत्नी के शक को मिटाने की गरज से ही सही वो सेठानी को बाहों में कसते हुए गद्दी पर ले आए..,
उनकी सारी को उपर उठाकर उनकी चूत को सहलाया जो धीरे-धीरे गीली होती जा रही थी…!
सेठानी की चूत का गीलापन देख कर लाला का सोया हुआ लंड भी जागने लगा जिसे महसूस करके सेठानी ने उसे अपने मुँह में भर लिया…!
मजबूरी में ही सही, आज लाला जी ने भी सेठानी की मल्लपुआ जैसी चूत में अपनी उंगलियाँ पेलते हुए कहा – शांति तुम कह रही थी कि तुमने उसे अपनी आँखों से भोला से चुदते देखा था…!
मुँह से लंड निकाल कर उसे हाथ से मुत्ठियाते हुए सेठानी बोली – हां.., मुझे तो रंगीली ने ही बताया था कि कल रात को भी लाजो कहीं बाहर गयी थी.., क्या मेने उसे कहीं भेजा था…?
मुझे तभी से उसपर शक हो गया, और देखो तो सही छिनाल को रात तक का सबर नही हुआ और ऐसी भरी दोपहरी में चुदने फिर से पहुँच गयी उसके पास…!
लाला जी ने अपना लंड सेठानी के हाथ से छुड़ाया, उनकी टाँगें चौड़ी करके लंड को उनकी चूत की गीली फांकों पर रगड़ते हुए बोले –
तो तुमने उन दोनो की पूरी चुदाई देखी..?
सस्सिईई..आअहह…छोड़ो उनकी बातें.., अब भीतर करो इसे…या ऐसी ही धार लगाते रहोगे इसको.., हाई…कितना अरसा हो गया इसे लिए हुए.., जल्दी डालो कल्लू के बापू…!
ललझी ने मुस्कराते हुए अपना लंड सेठानी की गीली चूत में पेल दिया.., इतने वर्सों के अंतराल के सेठानी ने लंड लिया था.., सो पहली बार में उनके मुँह से कराह निकल पड़ी..,
लेकिन जल्दी ही सामान्य होते हुए बोली – आअहह…हाई…अब तुमने मुझे चोदना बंद क्यों कर दिया जी.., मेरी भी तो इच्छा होती है..!
लाला धक्के मारते हुए बोले – अरी शांति.., अब ये ज़्यादा काम लायक नही रहा है.., वो तो आज तुम इतने नज़दीक आ गयी इसलिए…,
ज़रा बताओ ना कैसे चोद रहा था भोला लाजो को…?
उऊयईी..म्माआ.. बड़ा मज़ा आरहा है जी…और ज़ोर्से करो.., उउफ़फ्फ़..क्या मूसल जैसा लंड है साले उस पागल का.., कितने जोरदार धक्के मार रहा था…!
साली कुतिया की रेल बना रखी थी उसने.., तभी उसकी चूत की गर्मी शांत होती होगी
उउन्न्ह..हहुऊन्ण…अच्छा..क्या हमारे लंड से भी बड़ा है उसका..?
हाईए…, जाने दो उसे.., तुम मेरी चूत पे ध्यान दो.., उऊहह…, बड़ी गरम औरत है लाजो.., तुम्हारे लंड से तो उसका डेढ़ गुना होगा..,
यी..खूँटे जैसा.., आई राम..मेरे जैसी तो ले भी नही पाएगी उसे..आहह .म्म्म्माआ..ग्ाआईइ…!
सेठानी भोला के लंड की कल्पना करते हुए ना जाने कितने वर्सों बाद भल-भला कर झड़ने लगी..,
उनकी बातें सुनकर लाला जी भी तैश में आकर धमा-धम धक्के मारकर अपने लंड का कुलाबा खोल बैठे…!
इस तरह से लाला जी ने सेठानी को जमकर चोदा.., वर्सों बाद हुई चुदाई से सेठानी की चूत फिर से हरी-भरी हो उठी.., वो अब तक के सारे गीले-शिकवे भूलकर अपने पति के लंड का स्वाद लेती रही..!
सेठानी को चोद कर लाला जी ने उनके दिमाग़ में पनपे शक के कीड़े को चूत के रास्ते बाहर निकाल फेंका था.., अब उन्हें अपनी पत्नी की तरफ से कोई टेन्षन नही थी…!
गाओं में हुए घटनाक्रम से दूर, आओ चलते हैं शहर की तरफ.., देखें तो सही यहाँ हमारी कहानी के किरदार क्या-क्या मस्तियाँ कर रहे हैं…?????
सुप्रिया ने सुषमा और सलौनी को ग्राउंड फ्लोर पर ठहराया था, लेकिन शंकर को उसी अपने पास वाले रूम में फर्स्ट फ्लोर पर ही रखा..,
गोद भराई की रसम के बाद प्रिया उसे अपने साथ ले गयी थी.., जहाँ दोनो ने होटेल के उसी आलीशान सूयीट में जबरदस्त रंगरलियाँ की..,
जब प्रिया शंकर को सुप्रिया के घर छोड़ कर गयी थी तब तक रात का तीसरा प्रहर शुरू हो चुका था, सब लोग सो चुके थे, सो वो भी चुप-चाप अपने रूम में जाकर सो गया..,
चुदाई की थकान के बाद उसे इतनी जबरदस्त नींद आई कि लगभग बेहोशी जैसी हालत में चला गया था..,
|