RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
इसी तरह कुछ महीने और गुजर गये.., एक दिन एक दिन रंगीली अपने सास-ससुर और रामू के साथ अपने घर में ही थी.., उसने बात चलाते हुए कहा –
मे क्या कहती हूँ.., मेरे बापू अब काफ़ी बृद्ध हो गये हैं.., आपको तो पता ही है भाई शहर में नौकरी करने चला गया.., अब उनकी खेती बाड़ी संभालने के लिए कोई नही है…!
रामू – हां, बात तो सही कह रही हो तुम, और उनके पास खेती बाड़ी भी खूब है.., अगर सही से देखभाल नही हुई तो बाहर के लोग ही उसका फ़ायदा उठाते रहेंगे..
पर रंगीली.., इसमें हम लोग भी क्या कर सकते हैं…?
रंगीली – मेरी मानो तो क्यों ना जेठ जी को वहाँ भेज दिया जाए..,
वैसे भी यहाँ वो गाय-भैंसॉं का ही तो करते हैं.., वहाँ रहेंगे तो बापू की मदद करते रहेंगे…!
रामू की माँ – अरी बहू कैसी बच्चों जैसी बात कर रही है.., वो वैसे भी आधा पागल है., वो भला उनकी क्या मदद करेगा..?
रंगीली – ऐसा मत कहिए माँ जी.., क्या आप में से किसी ने पशुओं को संभालने में उनकी मदद की है कभी..?
सब काम खुद के ही दिमाग़ से करते हैं ना.., तो फिर जो भी नया काम उन्हें करने का बोला जाए देखना वो उसे भी बखूबी कर ही लेंगे…!
रामू के पिता – कह तो तुम ठीक रही हो बहू.., पर क्या वो जाने को राज़ी होगा वहाँ.., और फिर अकेला जा पाएगा या नही…?
रंगीली – वो सब आप मुझ पर छोड़ दीजिए.., मे उन्हें शंकर के साथ अपनी जीप से छुड़वा दूँगी.., इसी बहाने मे भी अपने माँ-बापू से मिल आउन्गि…!
रामू – लेकिन फिर जानवरों को यहाँ कों संभालेगा..? मे तो सेठ के काम पे ही रहता हूँ, बापू के बस का कुछ है नही…!
रंगीली – अरे तो एक गाय रख लो, वाकी के बेच दो.., उनसे कोन्सि ज़्यादा आमदनी हो रही है.., घर दूध लायक एक गाय बहुत है..,
रामू की माँ – जैसा तू ठीक समझे कर हमें तो कोई एतराज नही है.., वो यहाँ रहे या वहाँ, उसे बस भर पेट खाना मिलता रहे…!
रंगीली – तो फिर ठीक है शंकरा के बापू.., तुम एक गाय छोड़कर वाकी सब को बेच दो.., मे जेठ जी से बात कर लेती हूँ, कल शंकर के कॉलेज की छुट्टी भी है.., हम लोग कल ही चले जाते हैं…!
रामू – अरे इतनी जल्दी कॉन खरीदेगा उन्हें..?
रंगीली – तो दाम बोलो.., मे लाला जी से कहकर उन्हें उनके बाडे में भिजवा देती हूँ.., आप लोगों को मूह माँगे दाम मिल जाएँगे ठीक है.., उन्हें बादे तक पहुँचवा तो सकते हो…? या ये भी मे करूँ…?
किसी काम के नहीं हो…!
चूँकि इनके घर पर रंगीली की धाक थी.., आज जो भी था उसी की बदौलत था.., सो उसके गुस्से में बोली गयी बात से सबके सब सकपका गये.., रामू तो घिघियाते हुए बोला –
हां..हां..मे पहुँचा दूँगा.., तुम गुस्सा मत करो.., उसकी बात पर रंगीली घूँघट के अंदर ही मुस्करा कर रह गयी..,
कुछ देर बाद वो अपने घेर पर थी.., जहाँ भोला जानवरों को चारा डाल रहा था..,
रंगीली को आते देख उसने अपना काम धंधा बंद किया और लपक कर उसके पास आया…!
आओ बहू.., कितने दिनो बाद सुध ली है तुमने.., कोई खबर है उसकी…?
रंगीली ने अपने आँचल से थोड़ा सा घूँघट किया हुआ था भोला की तरफ से.., वो मुस्कराते हुए बोली – अरे..अरे..जेठ जी आप तो बड़े बैचैन दिखाई दे रहे हैं..!
ऐसे काम कोई एक दिन में नही हो जाते.., उसकी खबर निकालते निकालते इतने दिन निकल गये.., अब एक काम करो.., कल अच्छे से नहा धोकर नये से कपड़े पहन कर तैयार रहना..,
भोला उत्तेजित होते हुए बोला – अच्छा रंगीली बहू.., तू सच में उससे मिलवाने ले जाएगी..?
रंगीली हँसते हुए बोली – आपको तो बस सोते जागते अपनी लाजो की ही फिकर है.., परिवार की कोई फिकर नही..?
रंगीली का उलाहना सुनकर भोला के उत्साह पर जैसे ठंडा पानी पड़ गया हो…, थोड़ा निराश होते हुए बोला – मे भला परिवार की क्या फिकर करूँ.., उसके लिए तो तुम और रामू है ही…!
रंगीली भोला की हालत पर मन ही मन मुस्कुरा रही थी.., मज़ा लेते हुए बोली – फिकर करना चाहोगे तभी तो होगी..,
कल बस जैसा मेने कहा है वैसे ही सबेरे तैयार मिलना.., आपको मेरे साथ मेरे मायके चलना है…!
भोला – तुम्हारे मायके.. और मे..? क्यों रामू नही जा रहा क्या..?
रंगीली थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली – आप सवाल जबाब बहुत करते हो.., लाजो से मिलना है या नही..?
भोला – हां..हां..क्यों नही.., क्या वो वहाँ मिलेगी..?
रंगीली – जहाँ भी हो.., पहले बोलो मेरी बात मानोगे..? कल सबेरे 10 बजे तैयार रहना.., मे और शंकर आपको लेने आएँगे..,
इतना कहकर वो वहाँ से झटके से मूडी और घेर से बाहर निकल गयी…!
पीछे भोला बहुत देर तक उसी हालत में खड़ा सोचता रह गया की आख़िर ये उसे अपने मायके क्यों ले जाना चाहती है…!
उसी उधेड़-बुन में उसका काम करने में भी मन नही लगा.., कुछ देर बाद रामू आकर एक गाय को छोड़कर सारे जानवरों को हांक ले गया..,
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