RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
छोड़ मुझे.., झूठा लाड मत जता.., मे किसी की कुच्छ नही लगती.., जा मे तुझसे कभी बात नही करूँगी.., ये कहकर वो जबरन उसके बंधनों से मुक्त होने की कोशिश करने लगी…!
शंकर ने अपनी दोनो टाँगों को उसकी जाँघो पर लपेट कर उसे अपने लंड पर ज़ोर्से कस लिया.., और उसके पतले-पतले होठों को चूमते हुए बोला…
अली..अली..मेरी गुड़िया तो नाराज़ हो गयी.., मुझे पता है आज मेरी गुड़िया का जन्म दिन है.., और आज ही उसे अपने भाई से स्पेशल गिफ्ट भी मिलने वाला है…!
शंकर की ये बात सुनकर वो बुरी तरह उससे लिपटे हुए बोली – सच भैया.., तुझे याद था मेरा जन्म दिन.., पर माँ कैसे भूल गयी.., मेने बहुत पुछा लेकिन वो नही बता पाई…!
वो हमारी माँ है सलौनी.., शंकर ने उसके गोल-गोल चुतड़ों को सहलाते हुए कहा - भला कोई माँ अपने बच्चों के जन्म दिन को भूल सकती है.., तुझे सताने के लिए मना कर रही होगी…!
हां शायद तू सही कह रहा है भैया.., चल अब नीचे चलते हैं.., इतना कहकर सलौनी उसके उपर से उठने लगी.., उसकी कुँवारी चूत शंकर के लंड की धमक से गीली हो गयी थी…!
शंकर उसे लेते हुए ही उठ बैठा, अपनी गोद में बिठाकर उसकी चूत के गीलेपन को सहलाते हुए बोला – ये क्या गुड़िया.., इतनी बड़ी हो गयी है.., अभी तक कपड़े गीले कर देती है..,
सलौनी ने प्यार से उसके चौड़े सीने पर धौल जमाते हुए कहा – धत्त…गंदा कहीं का..,
शंकर ने बड़े ही नाज़ुक अंदाज से उसके कच्चे अनारों को अपनी मुट्ठी में दबाकर कहा – अच्छा मे गंदा हूँ.., फिर ठीक है, आज का तेरा वो स्पेशल गिफ्ट कॅन्सल..
सलौनी ने शरारत करते हुए उसके लंड को पकड़ लिया और ज़ोर्से दबाते हुए बोली.., ऐसा सोचना भी मत.., वरना इसे काटकर हमेशा के लिए अपने पास रख लूँगी..,
इतना कहकर वो खिल-खिलाकर उसकी गोद से उठकर भागती हुई सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी.., पीछे से शंकर भी उसकी इस अदा पर बिना मुस्कराए नही रह पाया…!
उस दिन शंकर को शहर जाना पड़ा, शहर में आढ़त (अनाज मॅंडी) का काम निपटा कर, सारा पेमेंट कलेक्ट किया और वहीं की बॅंक की शाखा में सारा पैसा जमा करके कोई 4 बजे फारिग हुआ..!
अभी भी समय था सो सलौनी के लिए उसने एक अच्छी सी ड्रेस खरीदी, लेकिन आज उसके लिए बहुत ही स्पेशल दिन था.., तो गिफ्ट भी कुच्छ स्पेशल ही होना चाहिए..,
खर्चे के लिए अब उसका हाथ रोकने वाला कोई नही था.., सो एक बड़ी सी ज्वेल्लेरी शॉप से एक बहुत ही प्यारी सी सोने की चैन जिसमें हीरे का नग बहुत ही सुन्दर आकृति में लगा हुआ था..!
सलौनी के हल्के साँवले सलौने बदन पर हीरे का वो चम-चमाता हुआ पेंडुलम बहुत जचने वाला है, ऐसा सोचकर उसने उसे खरीद लिया, साथ ही कुच्छ और पसंदीदा चीज़ लेकर ज्वेल्लारी शॉप से बाहर आया…!
एक बड़ा सा केक लेकर वो लगभग 7 बजे तक घर पहुँचा जहाँ घर को किसी फंक्षन के लिए सजाया जाता है ऐसे ही सजाया गया था..,
लाला जी की अनुमति से सुषमा और रंगीली ने सारे घर को अच्छे से सजाया था..!
सलौनी का जन्म दिन इतना धूम-धाम से मनाया जाएगा इसकी उन तीनों प्राणियों ने कल्पना भी नही की थी..,
खैर बड़ी धूम धाम से केक काट कर उसका जन्म दिन मनाया गया..,
रामू अपनी बेटी के भाग्य को देख कर गद-गद हो उठा था, उसके माँ-बापू भी शामिल हुए..!
ये सब शंकर की मेहनत और रंगीली की चालों से संभव हो पा रहा था..!
खैर बड़ी धूम-धाम से सलौनी का जन्म दिन मनाया गया, जात बारादरी के लोगों का खाना खिलाया, इन सब कामों में रात के 10 बज गये,
सारे कामों से निपटकर शंकर भी खा-पीकर अपने कमरे में चला गया.., अपने पलंग पर बैठकर वो दिन भर के कामों का हिसाब किताब लगा रहा था..,
उसे इंतेजार था तो अपनी माँ और बेहन का जिनसे वो आज अपनी छोटी बेहन को कुच्छ स्पेशल तोहफे का वादा कर चुका था.., लगभग 11 बजे दरवाजे पर आहात हुई..,
सामने लाल सुर्ख लहंगे और चोली में, सिर पर ओढनी डाले सजी सन्वरि सलौनी को खड़े देख कर वो उसकी सुंदरता में एक पल के लिए खो गया..,
अर्जुन के निशाने की तरह उसे पास में खड़ी अपनी माँ भी नज़र नही आई..,
नये जोड़े में हल्के से मेक-अप के साथ सलौनी आज उसे आसमान से उतरी हुई कोई परी नज़र आ रही थी..,
रंगीली अपने बेटे की नज़र ताड़ते हुए उसके चेहरे पर एक कामुक स्माइल तैर गयी, सलौनी के कंधे पकड़कर वो उसे लेकर सधे हुए कदमों से उसके बिस्तर तक लेकर आई…,
इस दौरान शंकर की नज़र एक पल के लिए भी उससे नही हटी, वो लगातार उसके सनडर सलौने चेहरे को ही ताकता रहा..,
पास आकर रंगीली ने चुटकी लेते हुए कहा – अब देखता ही रहेगा या इसे अपने पास बिताएगा भी…?
अपनी माँ की आवाज़ सुनकर मानो वो नींद से जगा हो, हड़बड़ा कर उसने अपने हाथ में पकड़े कागजों को पास की टेबल पर रखा और पलंग से खड़ा होकर सलौनी के सुंदर सलौने चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर उसके ललाट को चूम लिया…!
अजीब सी उत्तेजना की लहर दोनो के बदन में दौड़ गयी.., सलौनी के होठ एक बार हल्के से काँपे, तभी रंगीली बोली – कैसी लग रही है हमारी गुड़िया..?
उसके कंधों को पकड़ कर पलंग पर बिठाते हुए बोला – बहुत सुंदर, इस जोड़े में मानो आसमान से कोई परी उतर आई हो मेरे कमरे में..,
अपनी गुड़िया बहुत सुंदर है मा.., ये जिसके घर भी जाएगी वो तो धन्य ही हो जाएगा..,
उसकी बात पर सलौनी तुनकते हुए बोली – क्या भैया.., आप दोनो मुझे अपने से अलग करना चाहते हो, मे कहीं नही जाने वाली.., यहीं रहूंगी अपनी माँ और भाई के पास.., मुझे आप लोगों को छोड़ कर कहीं नही जान है.., अभी से बताए देती हूँ.., हां…!
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