RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
आखिरकार, आज से 15 दिन पहले वही हुआ जिसकी आशंका हम सबके मन में थी। 15 दिन पहले अजय का सुबह-सुबह फोन आया की पिताजी चल बसे। मैं फौरन गाँव के लिए रवाना हो गया। पिताजी के सारे क्रियाकर्म रश्मो रिवाज के अनुसार संपन्न हो गये। हम माँ बेटों ने आपस में फैसला कर लिया है की कल सुबह ही मेरे साथ माँ और अजय चंडीगढ़ आ जाएंगे। गाँव की जमीन जायदाद हम चाचाजी को संभला जाएंगे जो अच्छा ग्राहक खोजकर हमें उचित दाम दिलवा देंगे। चाचाजी ने बताया की कम से कम 40 लाख तो साड़ी संपत्ति के मिल ही जाएंगे।
दूसरे दिन दोपहर तक हम तीनों अपने लाव लश्कर के साथ चंडीगढ़ पहुँच गये। माँ ने आते ही बिखरे पड़े घर को सजा संवार दिया। एक कमरा माँ को दे दिया और एक कमरे में हम दोनों भाई आ गये। मैं स्टोर में परचेस आफिसर हूँ, जिससे सप्लायर्स के तरह-तरह के सैंपल्स मेरे पास आते रहते हैं। तरह-तरह के साबुन, शैम्पू, लोशन, क्रीम्स, सेंट्स इत्यादि के सैंपल पैक्स मेरे पास घर में ही थे।
इसके अलावा मेरे पास घर में जेंट्स अंडरगारमेंट्स और सार्टस, बाक्सर्स इत्यादि का भी अच्छा खशा सैंपल कलेक्सन था।
ये सब माँ और अजय को बहुत भाए, खासकर कास्मेटिक्स माँ को और गारमेंट्स अजय को। यहाँ माँ पर गाँव की तरह काम का बोझ नहीं था तो माँ मेरे स्टोर में चले जाने के बाद अजय के साथ चंडीगढ़ में घूमने फिरने निकल जाती थी। शहरी वातावरण में तरह-तरह की सजी धजी अपने जवान अंगों को उभारती शहरी महिलाओं को देखते-देखते माँ भी अपने शरीर के रख रखाव पर बहुत ध्यान देने लगी। इन सबका नतीजा यह हुआ की माँ दमकने लगी।
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फिर मुझे पता चला की मेरे घर के पास ही हमारे स्टोर की एक ब्रांच में गूड्स डेलिवरी में एक आदमी की जरूरत है। वह नौकरी मैंने अजय की लगवा दी। माँ और अजय को शहरी जिंदगी बहुत ही रास आई।
मैं माँ का बहुत ध्यान रखता था। सजी धजी, चमकती दमकती माँ मुझे बहुत अच्छी लगती थी। मैं माँ को कहते रहता था की आज तक का जीवन तो उसने पिताजी की सेवा में ही काट दिया। लेकिन अब तो ऐशो आराम से रहे। मेरी हार्दिक इच्छा थी की मैं माँ को वो सारा सुख दें जिससे वो वंचित रही थी।
मुझे पता था की मेरी माँ शौकीन तबीयत की महिला है इसलिए माँ को पूछते रहता था की उसे जिस भी चीज की दरकार है वह मुझे बता दे। माँ मेरे से बहुत ही खुश रहती थी। रात में हम खाना खाने के बाद हाल में सोफे पर बैठकर टीवी वगैरह देखते हुए देर तक अलग-अलग टापिक्स पर बातें करते रहते थे। फिर माँ अपने कमरे में सोने चली जाती और अजय मेरे साथ मेरे कमरे में।
मेरे रूम में किंग साइज का डबलबेड था जिस पर हम दोनों भाई को सोने में कोई परेशानी नहीं थी। इस प्रकार बहुत ही आराम से हमारी जिंदगी आगे बढ़ रही थी।
एक दिन सुबह में बहुत ही सुखद सपने में डूबा हुआ था। मैं सपने में अपनी प्रिय माताजी राधा देवी को तीर्थों की सैर कराने ले जा रहा था।
हमारी ट्रेन में बहुत भीड़ थी। रात में टीटी को अच्छे खासे पैसे देकर एक बर्थ का बंदोबस्त कर पाया। उसी एक बर्थ पर एक ओर मुँह करके माँ सो गई और दूसरी ओर मुँह करके मैं सो गया। रात में कम्पार्टमेंट में नाइट लैंप जल गया। तभी माँ करवट में लेट गई। कुछ देर में मैं भी इस प्रकार करवट में हो गया की माँ की विशाल गुदाज गाण्ड ठीक मेरे लण्ड के सामने आ जाय।
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