RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
अजय- “भैया आप बड़े वो हो। माँ के सामने ऐसी बातें करने की क्या जरूरत थी? कल मैंने कहा तो था की मुझे उन सब कामों की लिए अब किसी भी दोस्त की जरूरत नहीं है। जब आप जैसा बड़ा भैया मौजूद है तो मुझे नहीं जाना किसी दोस्त के पास। अब से मैं तो अपने सैंया भैया का मूसल ही अपनी गाण्ड में ठुकवाऊँगा.."
विजय- “अरे अजय तू कौन से उन सब कामों की बात कर रहा है, मैं कुछ समझा नहीं...” मैंने अजय का हाथ पकड़कर उसे खींचकर अपनी गोद में बैठा लिया और बहुत प्यार से पूछा।
अजय- “वही जो कल आपने अपने छोटे भाई के साथ किया था। शुरू में तो कल आपने जान ही निकाल दी थी ओर अब पूछ रहे हैं की कौन सा काम?”
विजय- “अरे भाई कुछ बताओ भी तो की मैंने तेरे साथ ऐसा कल क्या कर दिया था? कहीं कुछ गलत सलत हो
गया तो बड़ा भाई समझकर माफ कर दे...”
अजय- “कल आपने अपना केला मेरे में दिया तो था। 11' का सिंगापुरी केला छोटे भाई के पीछे में देते समय दया नहीं आई और अब माफी माँग रहे हैं। अभी भी गोद में बैठाकर अपना केला खड़ा करके नीचे गाण्ड में धंसा रहे हैं...”
विजय- “मुन्ना बताओ ना कल मैंने अपनी कौन सी चीज तेरी किस में दी थी?"
अजय- “भैया आप मुझे अपने जैसा बेशर्म बनाना चाहते हैं। आपने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में दिया था। आप मेरे ऊपर सांड़ की तरह चढ़ गये थे और मेरी गाण्ड हुमच-हुमच कर मारी थी। जाइए मैं आपसे और ऐसी बातें नहीं करूंगा...”
विजय- “अरे तू मेरा प्यारा भाई तो है ही पर अब से तू मेरा गाण्ड दोस्त भी बन गया। जब हम आपस में गाण्ड मारा मारी का खेल खेलने लग गये तो हम दोनों एक दूसरे के गाण्ड दोस्त हो गये। जब तुझे अपनी गाण्ड मराने में शर्म नहीं है तो लण्ड, गाण्ड, मारना, चूसना इन सबकी खुलकर बातें करने का मजा ही ओर है...”
अजय- ठीक है भैया।।
विजय- “चल मुन्ना उठ, अपनी पैंट खोल...”
अजय- “किसलिए भैया?”
विजय- “तेरे जैसे मस्ताने लौंडे से जब मेरा जैसा पक्का लौंडेबाज पैंट खोलने के लिए कहता है तो तू मतलब
समझ...”
अजय- “भैया मुझे आज नहीं मरानी..."
विजय- "देखा, समझ आ गई ना। पर मराएगा नहीं तो क्या अपनी माँ चुदाएगा?”
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