RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मम्मी ने डैडी को प्यार से चूम कर अपने घुटनों पर पलंग पर बैठ गयीं। मम्मी ने डैडी का बहुत ही
लम्बा मोटा लंड अपने दोनों हाथो में सम्हाला। , मम्मी
मुश्किल से डैडी के लंड को अपने दोनों हाथों से घेर पा रहीं थीं।
मम्मी ने प्रेम से अपनी जीभ बाहर निकाल कर डैडी के पूरे लंड को चाटने लगीं। डैडी के चेहरे पर हल्की से मुस्कान फ़ैल
गयी। उनके चेहरे पर वैसे ही 'अच्छा लगने' लगने वाली अभिव्यक्ति थे
मम्मी ने अपनी उँगलियों से डैडी के लंड की जड़ पर उगे घने घुंघराले बालों सहलाया और उन्हें हलके से खींचा। डैडी ने
भी हल्की सी सिसकारी मारी।
"ऋतु मेरे लंड को चूसो अब ," डैडी ने, मुझे लगा कि सख्त आवाज़ में हुक्म दिया। पर मम्मी ने मुसकरा कर अपने मुंह को
पूरा खोल लिया। मम्मी ने बड़ी मुश्किल से डैडी का सुपाड़ा अपने मुंह के भीतर छुपा लिया। डैडी की आँखें थोड़ी देर के
लिए बंद हो गयीं। उन्हें वास्तव में बहुत अच्छा लग रहा था।
मम्मी ने और भी ज़ोर लगा कर डैडी का थोडा सा और लंड भी अपने मुंह में ले लिया। मम्मी के मुंह से उबकाई की आवाज़
निकल पड़ी। पर अपना मुंह दूर खींचने की जगह मम्मी ने अपने मुंह को डैडी के लंड के ऊपर दबाना शुरू कर दिया।
मम्मी के मुंह से कई बार गोंगों की उल्टी करने जैसी आवाज़ें निकल रहीं थीं। डैडी ने अपने बड़े हाथ से मम्मी के सर को
पकड़ कर अपने लंड पे उनका मुंह दबाने लगे। डैडी ने अपने चूतड़ों को हिला कर अपने लंड को मम्मी के मुंह के और भी
अंदर डालने की कोशिश करने लगे।
मम्मी का मुंह लाल हो गया था। उनकी आँखों में आंसूं भर गये , शायद उल्टी करने की आवाज़ों की वजह से।
मम्मी ने अपने नाज़ुक हाथों डैडी के विशाल चूतड़ों पर रख उनके लंड को अपने गिगियाते मुंह के अंदर खींचने लगीं।
लगभग आधे घंटे बाद डैडी ने अपना, मम्मी के थूक और आंसुओं से चमकता, लंड मम्मी के मुंह से लिया। मम्मी गहरी
गहरी साँसे लेने लगीं। उनके सुंदर नाक के नथुने उनके हांफने के कारण फड़क रहै थे।
डैडी ने मम्मी को बिस्तर पर घुटनों और हाथों के ऊपर लिटा दिया। उन्होंने मम्मी की मोटी मुलायम झाँगेँ फैला दी थीं।
मम्मी के चूत पर घने घुंघराले बाल थे। डैडी ने मम्मे के चूतड़ों को अपने हाथों से फैला कर अपने
मुंह से उनकी पेशाब करने की जगह को चूमने लगे। अब मम्मी की बारी थी ज़ोर से सिसकारने की।
डैडी ने अपनी अपने जीभ निकल कर मम्मी के पेशाब करने वाली दरार में उसे घुसा दिया। मम्मी तड़प कर चीख उठीं।
इस बार उनकी चीख बहुत ऊंची थी।
"अंकु मेरी चूत ज़ोर से चूसो। आँ….. ओह! ……. अंकु बहुत….. आँ …….काट लो मेरी चूत को अंकु….. ज़ोर से,
और ज़ोर से……. ," मम्मी की चीखें वास्तव में आनंद की थीं।
डैडी ने अपनी लम्बी जीभ से ना केवल मम्मी की चूत चाटी पर उनकी टट्टी करने वाले छेद को भी चाट रहै थे। डैडी को
मम्मी का टट्टी करने वाला छेद बिलकुल बुरा नहीं लग रहा था।
"अंकु, ….ओह …. माँ ……। क्या कर रहै आँ………। मैं झड़ने वाली हूँ। मेरी गांड चाटो और चाटो……, प्लीज़…," मम्मी
ने चीख कर डैडी से कहा।
डैडी ने अपनी जीभ की नोक मम्मी की गांड के छेद के अंदर दाल दी और उनकी उंगलिया मम्मी की चूत को रगड़ रहीं
थी।
डैडी ने तड़पती कांपती मम्मी को कस कर दबोच लिया और उनकी गांड चाटना नहीं रोका , "अंकु…. अब रुक जाओ।
मैं झड़ चुकी हूँ। "
पर डैडी नहीं रुके , कुछ ही क्षणों में मम्मी ने 'रुक जाओ' की रट के जगह 'और
चाटो' की रट लगा दी। मम्मी ने चार बार चीख कर अपने झड़ने की गुहार लगाई।
डैडी ने आखिर कांपती मम्मी को मुक्त कर दिया। उनका लंड किसी खम्बे की तरह हिल-डुल रहा था। डैडी ने
फुफुसा कर मम्मी से कुछ कहा। मम्मी कुछ थकी हुई सी लग रहीं थीं। मुझे डैडी और मम्मी के बीच हुए वो वार्तालाप नहीं
सुनाई पड़ा।
डैडी ने पास की मेज़ से एक ट्यूब निकाल कर उसमे से सफ़ेद जैली जैसी चीज़ अपने लंड के ऊपर लगा ली और फिर
ट्यूब की नोज़ल को मम्मी की गांड के छेद में घुस कर उसे दबा दिया। मैं अब बिलकुल अनभिज्ञथा कि अंदर
क्या हो रहा था। डैडी ने अपना लंड मम्मी की गांड के ऊपर रख एक ज़ोर से धक्का दिया। डैडी का बड़े सेब से भी मोटा सूपड़ा एक
धक्के में मम्मी की गांड के अंदर घुस गया।
"नहीईईईईन…… अंकु……. धीईईईईईईरे…….। हाय माँ मेरी गांड फट जायेगी…….," मम्मी की दर्द भरी चीख से उनका
शयन कक्ष गूँज उठा।
डैडी मम्मी को कितना दर्द कर रहै थे पर उनके चीखने पर भी रुकने की जगह डैडी ने एक
और धक्का मारा। र मेरी फटी हुई आँखों के सामने डैडी का मोटा लंड कुछ और इंच मम्मी की गांड में घुस गया।
मम्मी दर्द से बिलबिला उठीं और फिर से चीखीं पर डैडी बिना रुके धक्के के बाद धक्का मार रहै थे। बहुत धक्कों के बाद डैडी
का पूरा लंड मम्मी की गांड में समां गया। मम्मी अब बिलख रहीं थीं। उनकी आँखों में से आंसूं बह रहै थे। उनका पूरा भरा-भरा
सुंदर शरीर कांप रहा था दर्द के मारे।
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