RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
शाम करीब चार बजे मैं तनु को लेकर घर आया। घर एकदम खाली था, सब अलग-अलग काम से बाजार गये हुए थे। अब तनु कुछ ज्यादा ही गोरी लग रही थी और उसकी चमड़ी भी खुब चमक रही थी। हाथ पैर सब के रोंएँ गायब हो गये थे और तनु अब एकदम हमारे शहरी माल की तरह चिकनी दिख रही थी। मेरे रिश्ते की एक चाची, जो करीब ३२-३४ साल की थी वो शादी के घर में हाथ बँटाने के लिए आई हुई थी, बस वही घर पर थी। उसी ने तनु को वह लिस्ट बता कर पार्लर भेजा था कि वहाँ उसको क्या-क्या करवाना है। जब तनु घर आई तो वो तनु से बोली, "जल्दी से कोई एक पूरानी सी सिर्फ़ एक नाईटी पहन कर आओ, मैं गीजर औन करके पानी गर्म दी हूँ। थोडा जैतून का तेल पूरे लगा कर नहा लोगी तो चमडी को आराम मिलेगा... नहीं तो वैक्सिंग के कारण चमड़ी कुछ ज्यादा ही लाल हो जाएगी कल तक"। तनु भी बोली, "हाँ, वो पार्लरवाली भी बोली है कि घर जाक नहा लीजिएगा थोड़ा गर्म पानी से", कहते हुए वो अपने कमरे में चली गयी और मैं अपना लंच किचेन में ही लेकर एक मोढे पर बैठ गया। तभी तनु वापस डायनिंग हौल में आई क्योंकि उसी के साथ वाले बाथरूम में गीजर औन किया गया था। वो एक अपनी सबसे पुरानी नाईटी पहने हुए थी। करीब तीन साल पुरानी नाईटी थी सफ़ेद रंग की फ़्लोरल प्रिंट वाली। आज जमाने के बाद वो निकाल ली थी, पता नहीं कहाँ से और पहन ली थी। उसका बदन इन तीन सालों में पूरी तरह से खिल गया था और यह नाईटी उसकी ३४ साईज की चूचियों पर पूरी तरह से कस गया था। वो नाईटी घुटने से कुछ नीचे तक ही पहुँच रहा था और उसकी गोरी टाँगे उसके नीचे से चमक रही थी। चाची तबतक एक कटोरी में जैतून का तेल लेकर आई और फ़िर तनु की बाँहों पर हाथ फ़ेरते हुए बोली, "वैक्सिंग तो अच्छा की है पार्लरवाली... और बगल वगैरह साफ़ की है न?" तनु भी अपने हाथ ऊपर करके कहा, "जी चाची..." और चाची के साथ मैंने भी देखा उसकी साफ़ काँख पहली बार।
मुझे बस थोडा आगे झुकना पड़ा जिससे मैं किचेन के दरवाजे के बाहर उन्हें देख सकूँ। वैसे तो तनु हमेशा आधी बाँह वाला ड्रेस ही पहनती थी, पर कभी-कभार अगर बाँह थोडा खुला हो तो उसकी काँख अगर दिखती तो वहां बालों के काले गुच्छे दिखते थे। चाची उसके बाहों पर तेल लगाते हुए पूछी, "और नीचे का सब साफ़ करवा दी हो या कुछ रखी हो?" मेरा लन्ड एक ठुनकी मर दिया यह सुनकर। अब चाची मेरी बहन तबु से उसके झाँट की बात कर रही थी। तनु यह सुनकर अब शर्माई तो चाची ने कहा, "अरे मेरी बन्नो... अब शर्माना छोड़, नहीं तो ससुराल में ननदें और देवर जीना मुहाल कर देंगे... थोडा जैसा सवाल, वैसा जवाब देना सीख" और तब मुझे तनु की आवाज सुनाई दी, "छोटा सा एक दिल जैसा है"। चाची बोली, "देखूँ तो... मेरी हिम्मत नहीं हुई कि इस बार अपना गर्दन आगे हुका कर बाहर का नजारा देखूँ। मुझे पता था कि इस बार मुझे अपनी छोटी बहन की बूर का दर्शन हो सकता है, पर मेरी हिम्मत ऐन मौके पर जवाब दे गयी और मेरे कानों में चाची की आवाज आई, "आउ-हाय... कैसी सुन्दर दिख रही है। कित्ती गोरी-चिट्टी लग रही है अब सजने के बाद। दिल भी बडा प्यार बनावाई हो अपने सजना के लिए। हमारे जमाने में तो पूरा सफ़ाचट ही करके हमें जाना होता था। मेरी तो मम्मी ही शादी की सुबह साफ़ कर दी थी। और यह छेद भी कैसी सुन्दर कसी हुई दिख रही है...लगता है कि कम ही खेली हो उँगली से... ", मेरा तो यह सब सुनकर बुरा हाल था। तभी तनु की आवाज सुनाई दी, "आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, छीः चाची, आप बहुत गन्दी हैं" और दोनों की हँसी सुनाई दी। चाची कह रही थी, "अभी से यह हाल है, जमाई बाबू को तो खुब मेहनत करना होगा मेरी बन्नो की लाज तोडने में। छः इंच का मूसल तो होगा ही पक्का.... एकदम बेशर्म हो कर लेना भीतर मेरी बीटिया, जमाई बाबू से जरा भी मत घबडाना। शादी का मजा यही दो-तीन साल खुब ले लेना, फ़िर बच्चे-वच्चे के फ़ेर में पडना।" मैं समझ रहा था कि चाची अब मेरी बहन को चुदाई के बारे में बता रही है।
चाची अब बोली, "देख तनु, अगर तुम्हें कुछ पूछना-समझना है तो अभी बोल दो, दीदी (यानि मेरा माँ) बोलकर गयी है कि मैं तुम्हें सब समझा दूँ... तुम समझ रही हो ना, मैं जो कह रही हूँ"। मैं फ़िर किचेन की दरवाजे के ओट से झाँका, तनु ने "हाँ" में सर हिलाया था। मेरी तो यह सब सुनकर फ़टी पडी थी पर अब हालात ऐसे थी कि अब वहीं किचेन में छुपे रहना मेरी मजबूरी हो गयी थी। मैं अब वहीं बैठ कर सब सुन रहा था। चाची फ़िर बोली, "अभी घर खाली है तो जो जानना-समझना है सब साफ़-साफ़ जान समझ ले। तेरी वाली जैसी दिख रही है, साफ़ पता चल रहा है कि तुम अपने अंग से बहुत ज्यादा नहीं खेली हो। तुम्हारी सखियाँ भी तो तुम्हारी जैसी ही होंगी और घर में कोई दीदी या भाभी भी नहीं है तो...?" अब तनु धीरे से बोली, "चाची, क्या बहुत दर्द होता है?" उसको अपने पहले चुदाई की फ़िक्र हो रही थी। चाची अब प्यार से समझाते हुए बोली, "अरे बेटा... यह सब तो आज न कल, एक बर तो सहना ही पडेगा। पर तुम फ़िक्र मत करो.... सब लडकी को यह दर्द जैसा भी हो बर्दास्त हो जाता है। वैसे बहुत ज्यादा भी नहीं होता है। असल में शर्म या झिझक के कारण ज्यादा लगता है... बस यही बात है। अगर ठीक से तेल-वेल लगा कर डालेंगे तो ज्यादा परेशानी नहीं होती है"। तनु की अब थोडी डरी हुई सी आवाज आई, "मुझे तो इसी बात का डर लगता है बहुत ज्यादा कि अगर बहुत दर्द हुआ तो वहाँ क्या, कैसे होगा? कोई होगा भी नहीं जिसको बता पाऊँगी।" चाची अब उसको हिम्मत देते हुए बोली, "अरे ऐसा कुछ नहीं होगा... तुम बेफ़िक्र रहो। यह दर्द भी कोई किसी को बताता है... वैसे भी यह दर्द बस कुछ सेकेन्ड का खेल है उसके बाद तो लगातार उसी समय में जो मजा मिलेगा न कि सारा दर्द-वर्द भूल जाओगी। तुम उस बेचारे के बारे में सोच कर देखो, वो कितना टेंशन में होगा कि कैसे भीतर घुसाएगा। कहीं अंदर नहीं घुसा पाया तब तुम क्या सोचोगी... लडका सब ज्यादा टेंशन में रहता है पहली रात को। तुम्हें तो कुछ खास करना नहीं है, बस अपनी टाँग खोल कर आराम से लेट जाना है। उस बेचारे को तो यह टेंशन लगी रहती है कि क्या पता सही समय पर उसका खडा ही न हो?" इसके बाद दोनों की हँसी सुनाई दी।
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