RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
तनु - अब प्लीज छोड दीजिए... मैं मर जाऊँगी अब। मम्मी प्लीज बचाओ....।
दीपू - अब चुप भी करो, यहाँ तुम्हारी मम्मी नहीं आने वाली तुमको बचाने। वो तो खुद तुम्हें विदा की है मेरे साथ जाकर चुदाने के लिए। वैसे भी अब तो तुम्हारी बूर पूरी तरह से चुद गयी है न हो तो छू कर देख लो।
तनु - बहुत तीखा दर्द हो रहा है, जैसे कुछ जल गया है भीतर में... आह अब निकाल लीजिए ना।
दीपू - अब यह नहीं निकलेगा.... ऐसे निकालूँगा तो जितना दर्द घुसाते समय हुआ है उससे ज्यादा दर्द होगा। अब इसी तरह थोडा रेस्ट कर लो फ़िर जब आगे-पीछे करके चोदुँगा न और फ़िर जब मेरा निकलेगा तब यह खुद सिकुड़ कर बाहर निकलेगा और तुम्हें कोई दर्द महसूस नहीं होगा।
तनु - मतलब... अभी आप चोदे नहीं हैं?
दीपू - नहीं, अभी तो तुम्हारी सील तोड़ी है। कुँवारी लडकी की बूर में जो परत रहती है न चमडी की.... वहीं अभी टूटा है, इसीलिए यह जलन टाइप का दर्द हुआ है तुमको। चुदाई तो वो होती है, जब लौड़ा किसे लडकी की बूर के भीतर-बाहर होता है लगातार। कभी देखी नहीं हो किसी कुत्ते को सड़क पर कुतिया के साथ?
तनु - नहीं.... देखी हूँ, पर तब तो दोनों शान्त थे एक-दूसरे से जुडे हुए। एक किसी तरफ़ जाता तो दूसरा भी साथ में घिसट जाता।
दीपू - अरे... वो तो चुदाई के बाद का हिस्सा देखी हो तुम तब। चुदाई में सब ऐसे ही करते हैं, मादा की बूर में लौंड़ा घुसा कर अपनी कमर चलाते हुए लौंडे को आगे-पीछे करते है। दर्द अब कम हुआ हो तो बताओ, फ़िर मैं भी तुम्हारी चुदाई शुरु करूँगा, तब पता चलेगा तुमको कि क्या मजा है चुदाई का।
तनु - ठीक है.... कीजिए अब चुदाई।
हम समझ गये कि तनु सच में अभी तक एक बच्ची ही थी, हमीं उसे जवान लौंडिया समझ रहे थे। पर हम दोनों दोस्त यह देख कर अचंभे में थे कि दीपू भैया कितना बेहतर तरीके से सब कर रहे थे। पक्का उनको किसी ने सब सिखाया था। वैसे मैं खुश था कि मेरी बहन को एक अच्छा और प्यार करने वाला पति मिला है, जो तन्दुरुस्त है और लडकी को बेहतर तरीके से चोदना जानता है। हमारे देखते-देखते दीपू भैया अब थोडा तनु के ऊपर झुकते हुए उसको चोदने लगे थे। वो हल्के से कराहती थी जब लन्ड भीतर घुसता था, पर अब उसको समझ में आ गया था कि लोग लडकी को कैसे चोदते हैं और लडकी को किसे तरह से चुदाना चाहिए। वो कभी-कभी बोलती कि दर्द हो रहा है या फ़िर कुछ और तब दीपू भैया, उसको आराम देने के लिए, जो हो सकता था करते थे। करीब २० धक्के के बाद तनु भी नीचे से जोर लगा कर कमर उचकाने लगी थी, मतलब अब उसको चुदाई का मजा मिलने लगा था। तनु के मुँह से अब असल मस्ती वाली कराह... आआह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊओह्ह्ह्ह्ह इस्स्स्स्स्स्स टाइप की आवाज निकले लगी थी। हम दोनों दोस्त उसको इस तरह से चुदवाते हुए देख कर अपना लन्ड बडे प्यार से सहलाते हुए मूठ मार रहे थे। दीपू भैया और तनु दोनों ही लगभग साथ में शान्त हुए और तब हम दोनों भी जरा तेज हाथ चलाते हुए अपना लन्ड झाड़ लिए।
जब दोनों एक-दूसरे से अलग हुए तब हमने देखा कि बिस्तर की चादर पर खून, वीर्य, पेशाब और न आने कैसा-कैसा रस का दाग बन गया था। हमने घडी देखी, रात के १:४० हो रहे थे... मतलब मेरी बहन की सुहागरात अगर ११ बजे से शुरुआत मानूँ तो करीब ढ़ाई घन्टे चली थी। वो दोनों तो ठक ही गये थे, हमारा भी बूरा हाल था। हम अब कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थे। इन तीन घन्टों में मैं तीन बार झडा था और बब्लू चार बार। ऊधर मेरी बहन अब नाईटी उठा कर ऐसे ही पहन ली और फ़िर उसी बिस्तर पर लेट गयी बेदम की तरह जिसपर उसकी पहली चुदाई हुई थी। दीपू भैया तो नंगे ही बिस्तर पर फ़ैल गये थे। हम दोनों ने भी अब लैपटौप बन्द किया और पलंग पर फ़ैल गये।
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