RE: Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन
फिर उनका इस फ्लैट से किसी वजह से जाना तय हो गया तो मैंने उन्हें अपने लौड़े के लिए कोई इंतजाम के लिए कहा तो भाभी ने कमरा छोड़ते वक्त मुझे बताया कि मकान मालकिन तेज है और प्यार को तड़फ रही है। इसलिए अब मैंने अपना सारा ध्यान मकान मालकिन की तरफ लगाना शुरू कर दिया।
इस बार किराया देने मैं उसके घर गया। उसने अपने बालों में मेहंदी लगा रखी थी इसलिए बाहर बरामदे में बैठी
थी। उनके पास जाने का रास्ता कमरे के अन्दर से जाता था।
मैंने आवाज दी तो बोली- “यहाँ बरामदे में आ जाओ...” उसने सलवार-सूट पहना हुआ था। उम्र कोई 45 साल की होगी। पर 35 साल से ऊपर की नहीं लग रही थी।
उसका गठीला बदन था और भरी-पूरी जवानी थी, उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी और उसके साथ उसका एक लड़का और एक लड़की थे। दोनों इस समय कालेज गए हुए थे।
मैं- भाभी अन्दर आ जाऊँ?
मकान मालकिन क्यों रे... तुझे मैं भाभी नजर आ रही हूँ?
मैं- भाभी को भाभी ना कहूँ तो क्या कहूँ?
मालकिन- मेरी उम्र का तो ख्याल कर जरा?
मैं- “क्यों 30 साल की ही तो लग रही हो...” मैंने झूठ बोला।
मालकिन- अच्छा, झूठ मत बोल।
मैं- नहीं भाभी, झूठ नहीं बोल रहा हूँ। आप तो इस उमर में भी हर मामले में जवान लड़कियों को फेल कर दोगी।
वो भी हँसने लगी।
मालकिन- “बोल, क्यों आया है?”
मैं- भाभी किराया देना था।
मालकिन- ठीक है, वहाँ सामने टेबल पर रख दे। मैं बाद में उठा लूंगी। अभी मैं जरा अपने बाल सुखा हूँ।
मैंने भी पैसे टेबल पर रख दिए और चलने लगा- “अच्छा भाभी चलता हूँ। मैंने आपको भाभी कहा आपको बुरा तो नहीं लगा?”
मालकिन- नहीं, बुरा क्यों मानूंगी। चल अब जा।
फिर मैं किसी ना किसी बहाने से उसके घर जाने लगा। धीरे-धीरे हमारी बोलचाल बढ़ गई और हम आपस में । मजाक भी करने लगे। जिसका वो बुरा नहीं मानती थी। मेरी बातचीत में अब ‘आप’ की जगह 'तुम' ने स्थान ले लिया था। एक दिन मैंने कहा- “तुम चाय तो पिलाती नहीं। कभी मेरे कमरे में आओ, मैं तुम्हें चाय पिलाऊँगा...”
मालकिन- अच्छा ठीक है, कब आऊँ बता?
मैं- “तुम्हारा अपना मकान है। जब चाहो आओ, सुबह, दोपहर, शाम, रात, आधी रात, तुमको कौन रोकने वाला है...” यह कहकर मैं हँसने लगा।
मालकिन- “चलो, कल सुबह आऊँगी..” अब वो धीरे-धीरे मेरे कमरे में आने लगी और चाय पीकर जाने लगी। इस बीच, हम मजाक के बीच में आपस में छेड़खानी भी करने लगे। जिसमें उसे बहुत मजा आता था।
मुझे लगने लगा था कि अब इसकी चुदाई के दिन नजदीक आने वाले हैं और यह जल्दी ही मेरे लण्ड के नीचे । होगी। एक बार मेरा दोस्त एक हफ्ते के लिए गाँव गया था। जिसके बारे में मैं उसे बातों-बातों में बता चुका था। एक दिन मैं शाम को अकेला था, सारे पड़ोसी पार्क में घूमने गए थे।
वो आई और बोली- राज क्या कर रहे हो?
मैं- कुछ नहीं भाभी, अकेला बैठा बोर हो रहा हूँ, आओ चाय पीकर जाओ।
मालकिन- नहीं, बच्चे टयूशन गए हैं अभी एक घण्टे में वापस आ जाएंगे। मैं भी चलती हैं।
|