RE: Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन
मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने धीरे से एक हाथ उसकी चूचियों पर रखा और धीरे से दबा दिया। उसकी चूचियां बड़ी नरम थीं। जैसे मैंने रूई पर हाथ रख दिया हो। मेरा मन इतने से नहीं माना। मैं धीरे-धीरे उसकी चूचियां दबाने लगा।
वो थोड़ा सा मचली और सीधी लेट गई।
अब मैं रुकने के मूड में नहीं था। मैंने सोचा ये चुदने तो आई ही थी। आज मुझसे चुदवा लेगी तो क्या हो जाएगा। मैंने उसके गालों पर किस किया। वो अब भी नींद में थी। मैंने आराम से उसके कपड़े खोलने शुरू किए
और टाँगों के बीच सहलाना शुरू किया।
वो शायद इसे सपना समझ रही थी। इसलिए उसने अभी तक कोई हरकत नहीं की थी। मैंने उसकी चूचियों पर दबाव बढ़ाना शुरू किया और चूत सहलाने लगा। अब वो भी गरम हो रही थी। मैंने पैन्टी के किनारे से हाथ डालकर नंगी चूत पर हाथ फिराया। तो वह एकदम गरम थी और गीली भी।
मुझसे अब सहन नहीं हो रहा था। मैंने एक हाथ उसकी ब्रा के अन्दर डाला और चूचियां मसलने लगा और एक उंगली उसकी चूत में घुसेड़ दी। जैसे ही उंगली अन्दर गई। वो झट से उठ गई। जिसे वो सपना समझकर मजे ले रही थी। वो उसके साथ हकीकत में हो रहा था।
मीरा घबरा कर खड़ी हो गई। कहा- “राज तुम यह क्या कर रहे थे, मेरे साथ?”
मैं- “मीरा, रोको मत। जब से तुम्हें देखा है, मैं पागल सा हो गया हूँ। तुम मुझे अच्छी लगती हो। मैं तुम्हें कम से कम एक बार प्यार करना चाहता हूँ। मतलब चोदना चाहता हूँ। देखो तुम्हें देखकर क्या हाल हो गया है मेरा...” मैंने अपना लण्ड उसके सामने खोल दिया।
एक बार उसने उसे गौर से देखा। चूत गीली तो हो ही गई थी। चुदने तो आई ही थी। पर फिर भी उसने मना कर दिया- “नहीं, यह गलत है। मैं उस ड्राइवर से प्यार करती हूँ और शादी भी उसी से करना चाहती हूँ। ये सब भी उसी के साथ करूंगी और किसी के साथ नहीं..."
मैं- “मैंने कब मना किया। शौक से करो पर आज तो वह नहीं आएगा। मुझे ही आज अपना दोस्त मान लो और आज तुम मुझसे चुदवा लो, मेरा लण्ड लेकर तुम उसे भूल जाओगी... यह कहकर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल दिया।
मीरा- नहीं यह गलत है। मैं ऐसा नहीं कर सकती, मैं उसे धोखा नहीं देना चाहती, वो भी मुझे चाहता है।
मुझे लगने लगा कि ये भी खड़े लण्ड पर धोखा दे सकती है। मन तो चुदाने का है, पर नखरे कर रही है। इसलिए मैंने ही आगे बढ़ने की सोची। वो मेरे कमरे में थी इसलिए शोर नहीं मचा सकती थी। वो ही बदनाम होती। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। चूचियां मसलने लगा और चूत सहलाने
लगा।
थोड़ी ही देर में उसकी 'ना' जो थी वो 'हाँ' में बदल गई और वह भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने भी देरी करना सही नहीं समझा और उसके और अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैंने उसे चारपाई पर लिटा दिया उसकी चूत तो पहले से ही गीली थी। मैंने उसकी टाँगें कंधे पर रखीं और हाथ उसकी चूचियों पर लगाए। फिर लण्ड का दबाव चूत पर देने लगा। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। शायद उसने आज ही साफ किए थे। उसकी चूत बहुत छोटी सी थी।
धीरे-धीरे उसने पूरा लण्ड चूत के अन्दर ले लिया। उसे चुदने की आदत थी इसलिए उसे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। कुछ ही पलों बाद वो चुदाई के पूरे मजे उछल-उछलकर ले रही थी और मैं भी उसे पेले जा रहा था। धकापेल। जमकर चुदाई करने के बाद मैंने सारा रस उसकी चूत में भरा और शान्त होकर उसके बगल में लेट
गया।
मैंने पूछा- बोलो मीरा कैसा लगा? मैंने तुम्हारे दोस्त की कमी पूरी की कि नहीं?
मीरा- राज, चुदवाने में मजा दोस्त के साथ करने से भी ज्यादा आया। पर राज हमारे बीच जो कुछ भी हुआ। अन्जाने में हुआ। प्लीज अब कभी मेरे साथ ऐसा मत करना। मैं उससे शादी करना चाहती हूँ। कहीं किसी
को पता चल गया तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी।
मैं- “मीरा, तुम चिन्ता मत करो। मैं किसी को नहीं बताऊँगा और कभी तुमसे दुबारा जिद भी नहीं करूंगा। जो मजा रजामंदी से मिलता है, वो कहीं नहीं मिलता। मैं माफी चाहता हूँ कि मैंने तुमसे जिद की। क्योंकी तुम्हें चोदे बिना मुझे चैन नहीं मिलने वाला था। मुझसे चुदवाने के लिए शुक्रिया। तुम इसके लिए निश्चिन्त रहो..”
उसके बाद उसने अपने कपड़े पहनने शुरू किए। मैं उसे अब भी देखे ही जा रहा था... क्या जिश्म था उसका। पर इस बात की तसल्ली थी कि वो मेरे लण्ड के नीचे आ ही गई थी।
मैंने भी अपने कपड़े पहने और हम दोनों बाहर आकर जीने में बैठ गए।
चुदाई में तो समय का खयाल ही नहीं रहा। थोड़ी देर में उसकी दीदी आ गई और वह अपने कमरे में चली गई। फिर कुछ दिन बाद उसने अपने दोस्त से शादी कर ली और उसके बाद हम कभी नहीं मिले। पर उसका नंगा जिश्म और उसकी वह यादगार चुदाई हमेशा याद रहेगी।
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