RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
वो शेख़ अपनी सुध बुध खो चुका था इसलिए वो अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रहा है | वह पूरी तरह से चाची के रूप यौवन के समुंदर में डूब चुका था | चाची शायद इसी पल के इंतज़ार में थी | वह इठलाती-बलखाती अपने नाज़ुक पैरों को सामने की ओर आरी तिरछी रखते हुए उस शेख़ के पास आई और आकर आँखों और चेहरे में कामुकता लिए उस शेख़ के आँखों में आँखें डाल कर देखने लगी मानो कह रही हो कि ‘क्या मैं ही सब करुँगी, तुम कुछ नहीं करोगे?’ | वह आदमी चुपचाप एकटक चाची को देखता रहा | चाची ने उसके दोनों हाथों से सिगार और ग्लास लेकर बगल के टेबल पर रखा और फिर दोनों हाथ पकड़ कर सहारा देते हुए उस आदमी को उठाई | वह आदमी चुपचाप उठ कर चाची को देखे ही जा रहा था, ऊपर से नीचे, वक्षों की गोलाईयाँ, कमर का कटाव, हृष्ट पुष्ट पिंडलियाँ, सुंदर गोरे तराशे हुए पैर .... सबको को निगल जाने वाली नज़रों से देख रहा था | ऐसा लग रहा है मानो उसके होंठों के एक किनारे से लार की एक पतली सी धार बह रही है | चाची को इतने पास पाकर अब तो जैसे उसके सब्र का बांध टूट ही गया | बरबस ही उसके हाथ चाची के जिस्म के चारों ओर लिपट गये | साथ ही चाची को खिंच कर अपने जिस्म से कस कर सटा लिया | चाची के सिर को किस करने के बाद हलके से दोनों गालों को चुमा और फिर बड़े प्यार से चाची के होंठों से अपने होंठों को रगड़ने लगा | कुछ मिनट प्यार से होंठों से होंठों को रगड़ते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे ले जा कर चाची की गदराई पीठ का मसल मसल कर आनंद लेने लगा | और फ़िर अपने जीभ को थोड़ा सा निकाल कर चाची के होंठों पर चलाने लगा | कुछ सेकंड्स में ही चाची ने आँख बंद करते हुए अपने होंठों को खोल दिया और उनके ऐसा करते ही उस आदमी की जीभ चाची के मुँह में घुस गई | जीभ को कुछ देर तक अन्दर घुसाए चाची के पूरे मुँह का जाएजा लेता रहा | फ़िर अचानक से ही जीभ निकाल कर चाची की ओर कातर दृष्टि से देखने लगा मानो किसी बात की विनती कर रहा हो | चाची ने भी जैसे अपने मदहोश कर देने वाले नैनों से उसे उसकी मौन विनती की स्वीकृति दे दी और साथ ही अपनी नंगी कलाइयाँ उस आदमी के गले में हार बना कर रख दी |
और ऐसा होते ही दोनों एक दूसरे पर टूट से पड़े | दोनों एक दूसरे को अपने बहुत पास खिंच कर चुम्बनों की जैसे वर्षा ही कर दी | अधिक समय नहीं लगा दोनों के जीभ एक दूसरे के अन्दर जाने में | अब तो दोनों ही बहुत उत्तेजित नज़र आने लगे थे | दोनों ही को अब अपने आस पास की कोई सुध बुध ना रही | मिस्टर एक्स के कहे मुताबिक चाची वाकई में एक बहुत ही बेहतरीन मेहमान नवाजी कर रही है | अपने काम को बखूबी करना कोई चाची से सीखे | देख कर लग ही नहीं रहा है कि वो ये सब किसी मजबूरी से कर रही है | चाची के इस रूप को देख कर अब तो मैं भी उनका दीवाना सा बन कर रह गया | और विशेषकर उनके कामेच्छा से भरी काम क्रियाओं ने उनके प्रति मेरी कामासक्ति को और कई गुना अधिक से अधिक बढ़ा दिया | इधर उस शेख़ ने अपने जीभ को अलग करके धीरे धीरे चाची के उन्नत वक्षों की ओर बढ़ा और दोनों उन्नत उभारों के बीच से सुस्पष्ट रूप से नज़र आने वाली घाटी अर्थात क्लीवेज के ऊपरी सिरे पर प्यार से एक किस किया | फ़िर थोड़ा रुक कर तीन – चार चुम्बन लिया उसी जगह पर और फ़िर खुद को और न रोक पाते हुए उसने अपने होंठ उस पांच इंच झांकती क्लीवेज में रख दिया और धीरे धीरे होंठों के साथ साथ पहले उसका नाक और फ़िर उसका आधा से थोड़ा ज़्यादा तक का मुँह उस क्लीवेज में समा गया और बड़े प्यार से, हौले हौले, दोनों चूचियों को दाबते हुए अपने चेहरे पर साइड से दबाव बढ़ाने लगा | ये शायद चाची के कामाग्नि में घी डालने जैसा ही था |
चाची के मुँह से ‘आह..उह्ह्ह...’ की सिसकारी छूट निकली | वह अधेड़-सा शेख़ सा दिखने वाला आदमी लगातार अपने मुँह को क्लीवेज में घुसाए, चेहरे के दोनों ओर से चूचियों को दबा कर उनकी नरमी और गर्मी का एहसास किये जा रहा था और इधर चाची धीरे धीरे ही सही, पर भरपूर गरम हुए जा रही थी | इधर वो शेख़ क्लीवेज में मुँह घुसाए, ‘चुक..चुक’ सी आवाजें ऐसे निकाल रहा था जैसे मानो वो पूरे क्लीवेज का ही रसास्वादन चूस चूसकर कर लेना चाहता हो | अपने रूखे हाथों से वह चाची की कोमल गदराई पीठ पर हाथ फिरा-फिरा कर उस पीठ का मस्ती से आनंद लेता हुआ ब्रा के हुक खोल दिया और फ़िर पागलों की तरह पूरे पीठ पर बेरोक-टोक हाथ घुमाने लगा | ब्रा स्ट्रैप्स को धीरे धीरे अलग करते हुए, गले को चाटते हुए, कोमल, स्मूथ कन्धों के ऊपर से नीचे सरकाने लगा | चाची किसी भी तरह की कोई बाधा नहीं दी | काले ब्रा स्ट्रैप्स आधे गोरी बाँहों तक आ गए थे | ब्रा कप्स तो जैसे चाची के वक्षों से चिपक ही से गए हों | हद से ज़्यादा, बहुत ही कमसिन लग रही थी चाची | अभी तो पोर्न स्टार्स भी फ़ेल लग रहे थे चाची के सामने | ब्रा स्ट्रैप्स को वैसे ही छोड़ वह आदमी फ़ौरन अपने दोनों हाथ चाची के कमर पर ले गया और वहां से सीधे उनके नितम्बों पर, पैंटी के ऊपर हाथ रख कर नितम्बों को ज़ोर से मसल कर दबाने लगा |
“आह्ह्ह्ह.....” चाची मारे दर्द के कराह उठी |
अभी मैं कुछ और देखता की तभी एक जोड़ी जूतों की आवाज़ आई | मैं जल्दी से स्टूल से उतर कर, स्टूल को एक तरफ़ रख, बाथरूम में घुस कर दरवाज़ा लगा दिया | वह जूतों का मालिक सधे क़दमों से चलता हुआ बाथरूम के बंद दरवाज़े के पास आ कर कुछ देर के लिए रुका ; और फिर आगे बढ़ गया | मैं दरवाज़े से कान लगाए उसके कदमों के आहट को सुनता रहा | धीरे धीरे उन कदमों की आवाज़ मंद होती चली गई | जब आवाज़ आनी बिल्कुल बंद हो गई तब मैं धीरे से बाथरूम का दरवाज़ा खोला और बाहर आ गया | चाची की काम क्रियाएँ देखने का समय नहीं था मेरे पास अभी | मैं शीघ्रता से उस लम्बे कॉरिडोर में आगे बढ़ने लगा | अभी कुछ कदम ही आगे बढ़ा था कि एक रूम से आती कुछ आवाजें और सिगरेट के धुंए के गंध ने मुझे रूक जाने को विवश कर दिया | मैं आहिस्ते से उस कमरे की ओर मुड़ा और अन्दर से बंद दरवाज़े के की-होल से अंदर देखने की चेष्टा करने लगा | कुछ लोग अंदर बैठे सिगरेट के धुएं उड़ाते हुए, ग्लासों में जाम छलकाते हुए कहकहे लगा रहे थे | अधिकतर ने काले चश्में और कोट-टाई पहने हुए थे..... उनके चेयर के नीचे कुछ ब्रीफकेसेस भी रखे थे |
“हम्म्म्म.... ज़रूर यहाँ कोई सौदा हो रहा था, जोकि शायद अब सफ़ल हो गया है लगता है |” मैंने मन ही मन कहा | अभी कुछ और देखता-सुनता या समझता ; तभी एक ज़ोरदार कोई चीज़ मेरे सिर के पीछे आ लगी और बिना एक सेकंड गवांए, मेरे आँखों के आगे धीरे धीरे अँधेरा छाने लगा और मैं वहीँ गिर कर बेहोश हो गया |
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