RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 73
मेरे मन में फिर से एक शरारत आ जाती है, में धीरे से चलते हुए टेबल तक पहुँचा और जैसे ही माँ के करीब हुआ मुझे लगा जैसे वो सिहर सी गई हो एक कम्पन हुआ उनके जिस्म में और मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गई
माँ शर्माकर निचे टेबल की तरफ देखति हुई खड़ी थि, खाना एक प्लेट में दाल चुकी थी.
सिर्फ दो ही कुर्सियाँ थी और एक छोटा टेबल, ज्यादा खरीद दारी तो मैंने की नहीं थि, क्यूँकि जगह ही इतनी थी.
मैने एक कुरसी साइड पे कर दी और एक पे बैठ गया, माँ तिरछी नजऱों से मुझे देख रही थी, उफ़ क्या शर्म आ रही थी माँ को, वो मेरी शरारत कुर्सी के हटते ही भांप गई थि, आखिर माँ थी वह मेरि, मेरे अंदर कब क्या ख्याल आते हैं उस से छुपा नहीं पाता. लज्जा से उनका गुलाबी चेहरा और भी लाल होता जा रहा था, साँसे और भी तेज हो गई थी.
मैने धीरे से माँ का हाथ पकड़ लीया, उसने मेरी तरफ देखा, उसकी नजऱों में मुझ से शरारत न करने की प्राथना थि, पर में कहाँ मानने वाला था आज तो मेरा दिन था मेर्री भी साँसे तेज हो चलि थी मैंने माँ को अपनी तरफ खिंचा और अपनी गोद में बैठने का इशारा किया माँ ने शर्मा कर ना में गर्दन हिलायी ... में उनका हाथ पकडे बस उसे ही देखे जा रहा था- उनके रूप और उसकी मादकता में खोता जा रहा था ... मेरी आँखों में भी एक प्राथना आ गई जिसे माँ ने भाँप लिया और सकुचति हुई धीरे से चलके मेरी गोद में बैठ गई
हम दोनों का ये स्पर्श हमें कहीं और ले चला ... भूल ही गये की खाना खाने बैठे है.
उनके जिस्म की खुशबु से में और भी मदहोश हो गया और मेरा पेनिस फुदकता हुआ जरूर उसे चुबने लगा होगा जो उसकी और भी तेज होती हुई साँसे मुझे इशारा कर रही थी.
यूं लग रहा था जैसे वक़्त की सुई यहीं पे रुक गई हो. और मेरे होंठ उनके ब्लाउज के उप्पर उसकी नंगी पीठ से चिपक गये
अअअअहहहह माँ सिसक पाडी.
शायद बड़ी मुश्किल से उनके मुंह से एक शब्द निकल पाया.
‘खाना’
मेरा ध्यान भंग हुआ. और मेरी नजर खाने की प्लेट पे चलि गई
‘ आज तक तुम मुझे खिलाती रही,आज में तुम्हें खिलाऊंगा’
माँ ने मुस्कुरा के मुझे देखा और धीरे से बोली
‘दोनों एक दूसरे को खिलायेंगे’
मुझे लगा की माँ की झिझक धीरे धीरे दूर हो रही है और मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गई
‘मैं चेयर पे बैठती हूँ ऐसे आपको तकलीफ होगी’
वह मुस्कुरा कर सर झुकाए हुये बोली.
‘नही कल में तुम्हारी गोद में बैठा करता था आज से तुम मेरी गोद में बैठोगी हम रोज ऐसे ही खाना खाया करेंगे’
‘धत्त!
“आप बहुत बेशर्म होते जा रहे है’
‘इसमें बेशरमी कहाँ से आ गई अपनी बीवी को अपने गोद में बिठा रहा हु, किसी और को थोड़े ही बिठा रहा हूँ’
‘उफ़ बहुत बोलने लगे हैं आप’
माँ ने एक निवाला मेरे मुंह में ड़ाला तो मैंने उनके ऊँगली भी काट ली.
”उइ”
मेरी हसि छूट गई और वो झूठा गुस्सा दिखाते हुए मुंह बनाने लगी.
फिर मैंने माँ को एक निवाला खिलाया तो उसने भी वही हरकत कर डाली.
”उफ”
ओर वो खिलखिला के हस् पड़ी उसकी हसी मे में खोता चला गया, और इसी तरह हम दोनों ने खाना ख़तम किया .
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