RE: Hindi Porn Story हसीन गुनाह की लज्जत - 2
“कहाँ हो आप?”
“वसुंधरा जी को ले आने के लिए ज़रा सा डायवर्ट होना पड़ा … बस आ ही रहा हूँ.”
“जल्दी कीजिये … उधर से बारात चल पड़ी है.”
“दस-पंद्रह मिनट में पहुंचा … बस.”
कामविह्ल मन थोड़ा ठिकाने आया और रूह को ज़रा सा क़रार आया, उधर वसुंधरा भी लपक कर ड्रेसिंग रूम में चली गयी थी. मैंने लहंगा उठाया और जैसे-तैसे उस को रिपेयर किया और नया नाड़ा पिरो के वापिस बैडरूम में ले आया. वसुंधरा अभी भी ड्रेसिंगरूम में ही थी.
“वसुंधरा जी!” मैंने हल्के से वसुंधरा को पुकारा.
“जी!” तत्काल ड्रेसिंगरूम से वसुंधरा की प्रतिक्रिया आयी.
“आप का लहंगा … लीजिये, संभालिये.”
मैंने लहंगा कुर्सी पर रखा और बाहर जाने के लिए मुड़ा.
“सुनिए!” वसुंधरा की आवाज़ आश्चर्यजनक रूप से कोमल थी.
“जी! ” जाते जाते मेरे कदम थमे.
“मेरे हाथ … मेहँदी … मैं … कैसे नाड़ा … ” कुछ टूटे-फूटे लफ़्ज़ मुझे सुनाई दिए लेकिन मैं उन का मतलब समझ गया.
“ओके … आइये.”
वो दिलक़श नज़ारा आज भी मेरी आखों के सामने मूर्त हो उठता है.
उजला माथा, सुतवां नाक, गुलाब की पंखुड़ियों से तराशे होंठ, लम्बी गर्दन, बेहद उन्नत गोरा वक्ष और नाभि से छह इंच ऊपर तक बेबी-पिंक रंग की चोली पहने, जूड़े पर वही भारी जुड़ाऊ काम वाली चुनरी पिन किये हुए, दोनों जाँघों के जोड़ को मुश्किल से ढक पा रही नन्ही सी गुलाबी पेंटी, केले से तने सी पुष्ट और रोम-रहित सुडौल टाँगें, शर्म से झुकी नीची नज़र के साथ जैसे अजन्ता की कोई मूरत बेहद सधे हुये क़दमों से मेरी ओर बढ़ी चली आ रही वसुंधरा सर झुका कर मुझ से नज़र चुराते हुए मुझ से दो कदम दूर आकर ठहर गयी.
एक नशीली सी, होश उड़ा देने वाली सुगंध उस के शरीर से फ़ूट रही थी. मुझ पर फिर से एक बेख़ुदी सी तारी होने लगी. एक बार फिर से कामदेव ने मुझ पर आक्रमण कर दिया था और एक बार फिर से मेरे कामध्वज में कामज्वाला का प्रवेश हो गया था लेकिन इस बार मैंने विवेक का दामन हाथ से नहीं जाने दिया.
“आप उधर कुर्सी पर बैठ जाएँ और मैं लहंगा आप के पैरों में रख देता हूँ. आप अपने दोनों पैर उठा कर लंहगे के बीच में रख दीजिये और खड़ी हो जाएँ और मैं लहंगा ज़मीन से उठा कर आपकी कमर तक लाकर एडजस्ट कर के नाड़ा बाँध देता हूँ … ठीक है?”
वसुंधरा ने सर नीचा किये-किये ‘हाँ’ में सर हिलाया, अपने पैरों से बैली उतारी और जाकर कुर्सी पर बैठ गयी. मैंने लहंगा गोल करके, कुएं की सी शेप बना कर कुर्सी के आगे ज़मीन पर वसुंधरा के पैरों के पास रखा और हाथ बढ़ा कर वसुंधरा के दोनों पांव उठा कर लहंगे के बीचोंबीच रख दिए.
वसुंधरा के पैरों के तलवे गहरे गुलाबी रंग के, गद्दीदार और वलय वाले थे और पैरों की सारी उंगलियां रोमरहित एवं समानुपात में थी. वात्सायन के अनुसार ऐसे पैरों वाली स्त्रियां बौद्धिक रूप से अत्यंत विकसित, प्राकृतिक तौर पर संकीर्णयोनि अर्थात तंग योनि वाली, पति को सुख देने वाली प्राण-प्रिया और उत्तम संतान को जन्म देने वाली होती हैं.
कहानी जारी रहेगी.
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