Hindi Porn Story हसीन गुनाह की लज्जत - 2
12-09-2019, 12:08 PM,
#16
RE: Hindi Porn Story हसीन गुनाह की लज्जत - 2
“कोई दिक़्क़त नहीं लेकिन आप आज ही वापिस क्यों जाना चाहती है?” मैंने मन ही मन हिसाब लगाया कि वसुन्धरा का मुझे लगभग डेढ़-पौने दो घंटे का साथ और मिल सकता है.
“यहां मेरे लिए रखा ही क्या है?” वसुन्धरा के मन में अपने पिता के लिए बहुत कड़वाहट थी.
मैंने चुप रहना ही श्रेष्यकर समझा.

ख़ैर! खाना-वाना खाकर करीब साढ़े चार बजे हम लोगों ने शिमला छोड़ दिया. चलने से पहले मैंने वसुन्धरा के पापा को आश्वस्त कर दिया कि मैं रास्ते में वसुन्धरा को शादी वाले मुद्दे पर समझाने और मनाने की पूरी कोशिश करूंगा.

बाहर मौसम और अधिक रौद्र रूप इख्तियार कर चुका था, आसमान पर काले बादलों की सेना ने आसमान में धीरे-धीरे स्थायी किलेबंदी कर ली थी, लगता था कि आज शाम ही बारिश आएगी. मैं धीरे-धीरे ड्राइव करता हुआ शहर से बाहर निकल कर हाईवे पर आ गया.
अभी तक न तो वसुन्धरा कुछ बोली थी न मैं. हम दोनों की नज़र बार-बार इक-दूजे की ओर उठती, नज़र से नज़र मिलती, दोनों के होंठों पर एक मुस्कान आ कर लुप्त हो जाती और बस …
एक अज़ब सी बेखुदी की कैफ़ियत तारी थी दोनों पर.

“वसुन्धरा जी!” आँखिर मैं मर्द था, मैंने पहल की.
“जी!”
“कुछ बात कीजिये … कुछ अपनी कहिये, कुछ हमारी सुनिए. नहीं तो धर्मपुर तो ऐसे भी आ ही जायेगा. फिर मैं कहाँ … आप कहाँ! पता नहीं जिंदगी में हम कभी दोबारा मिलें … न मिलें.” लफ्ज़ सीधे मेरे दिल से निकल रहे थे.
“आप ऐसे ना कहें … प्लीज़!” वसुन्धरा जैसे सिसक सी उठी.
“क्या मैं ऐसे न कहूं?”
“दोबारा न मिलने वाली बात. हम मिलेंगे … जरूर मिलेंगे. ” अचानक ही वसुन्धरा की कजरारी आँखों में नमी सी छलक उठी थी.

“वसुन्धरा जी! आप जानती हैं न कि फ़र्ज़ की वेदी पर ख्वाहिशों की बलि चढ़ना-चढ़ाना, इस दुनिया का दस्तूर है.” मैंने इशारों में वसुन्धरा को चेताया.
“जी! मुझे पता है लेकिन अपना आबाद होना या फना होना … ये तो खुद के इख्तियार में ही है और सपने देखने पर तो कोई पाबंदी नहीं.”
“और सपना क्या है?”
“ये जो आप मेरे पास हैं … मेरे साथ हैं, यही तो सपना है.”

“अच्छा एक बात बताइये! आप आती दफ़ा न तो अपना कोई कांटेक्ट नंबर हमें दे कर आयी, न हमारा कोई कांटेक्ट नंबर ले कर आयी … ऐसा क्यों?”
“अभी-अभी आप ही ने कहा न कि फ़र्ज़ की वेदी पर ख्वाहिशों की बलि चढ़ना-चढ़ाना, इस दुनिया का दस्तूर है. बस! वही दस्तूर निभाया मैंने. ”
बाबा रे बाबा! बातचीत बहुत ही गलत रुख इख्तियार करती जा रही थी.

मैंने पलभर के लिए सड़क पर से निगाह हटा कर वसुन्धरा की ओर निहारा. वसुन्धरा ने मेरी ओर ही देख रही थी. नज़र से नज़र मिली. जाने क्या भाव था वसुन्धरा की आँखों में … आत्मसम्मान या नित्य जलती रहने वाली शमा की लौ का तेज़ या आत्मबलिदान देने वाले की नेकी का रौशन अन्तर्मन … पता नहीं.

वसुन्धरा की नज़र मेरे अंतर में कहीं गहरे उतर गयी. तभी बहुत ज़ोर से बिजली चमकी और धड़धड़ा कर बादल गरजे. अगले ही क्षण मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी. बाहर वातावरण में घटाटोप अँधेरा छा गया था. अभी शाम के साढ़े पांच ही बजे थे लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे रात के दस बजे हों. घने अँधेरे में, मूसलाधार बारिश में पहाड़ी सड़क पर ड्राइव करना कितना ख़तरनाक हो सकता है, यह तो वही जानता है जो कभी ऐसी हालत में फंसा हो, ज़रा सी असावधानी और सब ख़त्म. धर्मपुर अभी भी लगभग 30 किलोमीटर दूर था.

“वसुन्धरा जी! मैं आप से कुछ कहना चाहता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप मेरी बात पर गौर जरूर करेंगी.”
वसुन्धरा की सवालिया निगाहें मेरी ओर उठी.
“वसुन्धरा जी! जिंदगी में एक्सीडेंट्स भी हो जाते हैं कभी लेकिन जिंदगी तो चलती ही रहती है. हाँ कि ना?”
“कहते जाइये, मैं सुन रही हूँ.”

“गिरने में कोई बुराई नहीं, बुराई … गिर कर उठने से इंकार करने में है. एक नयी शुरुआत न करने में है.”
“तो …” वाइस-प्रिंसिपल साहिबा धीरे-धीरे चैतन्य हो रही थी.
“आप एक नयी शुरुआत कीजिये न.”
” मैं जानती हूँ … अब की बार पापा ने आपको मोहरा बनाया है.”
“मोहरे जैसी कोई बात नहीं वसुन्धरा जी! सभी, आप के मम्मी-पापा और मैं भी, मैं खुद भी चाहता हूँ कि आप एक खुशहाल और भरी-पूरी जिंदगी जियें.”

“राज! मेरे ख्याल से आपको सारी बात नहीं पता.” वसुन्धरा के मुँह पर मेरा नाम पहली बार आया था, वो भी ‘मिस्टर’ या ‘जी’ जैसे किसी अलंकार के बिना.

इससे पहले कि मैं कुछ कहता कि अचानक कार बायीं ओर रपटने लगी. मैंने ब्रेक-पैडल पर लगभग ख़ड़े ही होकर जैसे-तैसे कार संभाली. झमाझम बारिश में, कार से उतर कर देखा तो पाया कि पैसेंजर-साईड का अगला टायर पंक्चर हुआ था. बारिश में ही जैसे-तैसे टायर बदला लेकिन इस सारी कार्यवाही में तक़रीबन चालीस-पैंतालीस मिनट लग गए.

सर से पांव तक भीगा हुआ मैं, कार चला कर वसुन्धरा को साथ लिए भरी बरसात में साढ़े सात बजे के लगभग धर्मपुर पहुंचा तो ऐसा लग रहा था कि जैसे हम किसी भूतिया नगर में पहुंच गए हों. सारे शहर की बिजली गुल, सड़क पर कोई बंदा न बन्दे की ज़ात. न कोई बस, न कोई टैक्सी. ऊपर से खराब मौसम और रात सर पर खड़ी.

ऐसे में अकेली वसुन्धरा को धर्मपुर उतारने को मेरा मन नहीं माना. वैसे डगशाई वहाँ से सात-आठ किलोमीटर ही दूर था. जहां सत्यानाश … वहां सवा-सत्यानाश. मैंने तत्काल फैसला ले लिया. जैसे ही मैंने कार डगशाई की ओर मोड़ी तो वसुन्धरा चौंकी.
“इधर किधर?”
“आपको आप की मंज़िल तक पहुँचाना नहीं क्या?” मैंने थोड़ा हंस कर कहा, हालांकि ठण्ड से मेरी कुल्फी जमे जा रही थी.
“मेरी मंज़िल तो मेरे पास है लेकिन मेरी किस्मत में नहीं.”
“क्या मतलब?” मैं चौंका.
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Porn Story हसीन गुनाह की लज्जत - 2 - by sexstories - 12-09-2019, 12:08 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,566,860 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 551,915 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,261,098 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 953,494 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,691,080 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,112,545 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,005,848 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,239,379 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,097,189 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 291,263 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)