Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:13 PM,
#50
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
ये सब देखके कब मैने माँ के नाम की मूठ मारके अपना लावा निकाल दिया था मुझे मालूम नही बस गाढ़ा गाढ़ा चिपचिपा वीर्य मेरी माँ के शरीर को देखके निकले जा रहा था...मैने मोबाइल तख्ते पे रख दिया नाहया और बाहर मोबाइल के साथ निकल गया....हम माँ-बेटे ने मिलके लंच किया उसके बाद माँ थोड़ा सुस्ताये लहज़े में बोली कि उसे नींद आ रही है वो सोएगी...वो सोने बेडरूम चली गयी मैं वापिस पीसी पे माँ के बनाए वीडियो को मेमोरी कार्ड से निकाल कर उसमें देखने लगा...

फिर मेमोरी कार्ड निकाल कर वापिस से मोबाइल का मेमोरी कार्ड मोबाइल में फिट कर दिया..ताकि माँ जो बार बार मेरा मोबाइल चेक करती है उसे मिल ना जाए...खैर ये वाक़या सिर्फ़ उस दिन का था..लेकिन धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी माँ से खुले शब्दो में जैसे गाली गलोच डबल मीनिंग के रूप में बात करना कोई गंदा जोक सुनाके हंस देना...मतलब मैं माँ को पूरा खोलने के मूड मे था...पर वो माँ थी बेटे और उसके बीच एक परदा था जिसकी वो अब भी रेस्पेक्ट करती थी लेकिन वो परदा मैं शायद अब ज़्यादा दिन तक रखना नही चाहता था

माँ ने भी बेटे की हरकतों को नोटीस करना शुरू कर दिया था...उसने देखा कि आजकल बेटा बार बार उसे बगलो में उगे बालों के लिए टोकता है उसका मज़ाक उड़ाता है तो कभी उसके पेट की स्ट्रेच मार्क्स की बात कह डालता है तो कभी बॉडी शेविंग ब्लेड माँ से लाने को कहता है वो धीरे धीरे माँ से खुल रहा था दो दिन बीत गये बाबूजी आ गये पर बेटे की हिम्मत ज़रा सी भी कम ना हुई थी...हालाँकि पिताजी आदम को देखके काफ़ी खुश हुए थे कि उनका बेटा लौट आया है पर आदम कतरा रहा था कि कहीं उन्हें उसकी होमटाउन की नौकरी छोड़ देने वाली बात ना मालूम चल जाए...

पर धीरे धीरे माँ ने अपनी ममता के लिए बाबूजी से बात की और उन्हें समझाया...पिता ने बेटे को अगले दिन समझाया कि कोई बात नही जो हुआ सो हुआ वो अब यही ज़िंदगी गुज़ारे हो सके तो 2 साल और पढ़ ले...पर बेटे का कहाँ मन लगने वाला था? वो तो पहले से ही कामवासना की विद्या पढ़ चुका था उसकी हसरत अब सिर्फ़ चुदाई थी और उसका शौक भी अब घर के भीतर ही अपने माँ को पटाने में था...फिर भी उसे खुशी थी बाबूजी सपोरटिव हो गये थे

लेकिन फिर वोई हालत कि घर में कलेश फिर शुरू हो गयी....और अंजुम और उसके पति में काफ़ी झगड़ा होने लगा...बेटा माँ को झगड़े के बाद समझाने की पूरी कोशिश करता था जिस बीच माँ बेटे से क्लोज़ हो जाती उसे लगता इस दुनिया में उसे समझने वाला सिर्फ़ उसका बेटा आदम ही था...और उसने सॉफ कह दिया था अपने पति को कि उसे अब किसी गैर मर्द की ज़रूरत नही उसको सहारा देने वाला उसका बेटा काफ़ी है...पर आदम इस बात को लेके कुछ ज़्यादा ही मज़ा महसूस करता था उसने अपनी माँ का विश्वास लगभग जीत लिया था...

उस दिन अंजुम बेटे की गैर मज़ूद्गी में हेमा से बात कर रही थी....उसने हेमा को बेटे में हुए बदलाव की खबर सुनाई और साथ साथ उसे आदम के बारे में कुछ अज़ाब सा बताने लगी जिसे सुनके हेमा को काफ़ी मज़ा आ रहा था

हेमा : क्या सच में तेरा बेटा कही तेरा आशिक़ तो नही हो गया? वो जिस तरीके की हरकत कर रहा है जैसा तू बता रही है? मुझे लगता है कहीं मेरी बात सच तो नही हो गयी

अंजुम : मुझे तो लगता है यह मेरा भ्रम है हेमा मेरा बेटा मुझे उस निगाह से क्यूँ देखेगा? मैं उसकी माँ हूँ...लेकिन अज़ीब तो लगता है आजकल उसमे सामने तौलिया पहने निकलते हुए शरम आती है वो मेरी जाँघो को मेरे छाती और गले को तो कभी मेरे पिछवाड़े को भी चोर निगाहो से घूर्रता है (कहते हुए अंजुम ने शरम से आँखे नीचे कर ली)

हेमा : हाहाहा लगता है तेरा बेटा तेरा ही दीवाना हो गया क्या पराए मर्द तेरे पीछे खीचें चले आएँगे ये तो घर का सयाना लौंडा ही अपनी माँ का आशिक़ बन गया है

अंजुम : लेकिन हेमा ये सब आदतें मुझे ठीक नही लगती तू एक काम तू तो उसकी माँ जैसी है वो तो तुझसे और भी ज़्यादा खुला हुआ है और तो और उसकी गंदी गंदी बातें मुझे ऐसा लगता है कि अपने होमटाउन से आने के बाद वो बिल्कुल बदल गया है

हेमा : अर्रे अंजुम मैं हर मर्दो को पहचान लेती हूँ और उसकी नुन्नि को तो मैने ही इन्ही हाथो से एक दिन धोया है एक बार तो उसकी गान्ड भी धोयि थी तू फिकर ना कर हो सकता है वो तेरी इतनी परवाह करता है जैसा तूने कहा कि वो तुझे मार्केट ले जाता है सब्ज़िया भी खुद धोके लाता है और तुझे एक बॅग भी उठाने नही देता तो हो सकता है उसका ये ख्याल करना ये अपनापन तेरे लिए खुशख़बरी हो

अंजुम : खुशख़बरी कैसी खुशख़बरी?

हेमा : देख तू चाहती थी ना तेरा बेटा तुझसे दूर ना रहे तो बस वो तेरे पास आ गया बस उसे जी तोड़ प्यार कर उसे किसी चीज़ की कमी होने मत दे और मेरी मान तो तुम दोनो दोस्त जैसे हो तो उसके अंतर मन को जानने की कोशिशें कर

अंजुम : मुझे लगता है कि वो टाउन में किसी लड़की से मुहब्बत कर बैठा है इसलिए शायद अपनी माँ को पटा रहा है ताकि उससे शादी कर सके मुझसे डरता है ना

हेमा अपने सर पे हाथ रखके उसकी मूर्खता पे सर हिला रही थी कैसी औरत थी अंजुम जो अपने बेटे की फीलिंग्स को समझ नही पा रही थी..हेमा लेकिन कुछ कुछ समझ रही थी इसलिए उसने भोली अंजुम को शान्त्वना दी कि आदम उसे और उसकी बहनों से मिल भी लेगा तो उसे आने को कह मेरे घर....अंजुम मान गयी....हेमा अब आदम से डाइरेक्ट खुद इस मामले में उससे बात करना चाहती थी...अंजुम को लगा कि उसकी सहेली हेमा उसके बेटे को शायद समझा देगी कि उसके दिल में क्या है? लेकिन अंजुम क्या जाने हेमा तो आदम और उसके बीच के रिश्ते को टटोलने की कोशिश रही थी
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