Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 12:38 PM,
#10
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
ललिता हैरान होकर आनी की बातें सुन रही थी तब तक राज उन्दोनो लड़कों के पास पहुँच गया था एक दम सन्नाटा सा छा गया जैसे जंगल मे शेर के बाहर निकल आने पर सब चूहे अपने बिलों मे घुस्स गये हों ललिता और आनी ने उनकी तरफ देखा दोनो लड़के राज के सामने सहमे से खड़े थी आस पास खड़े स्टूडेंट अपना सर झुका कर खड़े थे राज की आँखों मे मानो जैसे खून उतर आया हो दोनो लड़कों की बोलती राज को देख कर बंद हो गयी थी और वो लड़की भी सहमी सी अपनी एक बैसाखी के सहारे खड़ी थी उसकी एक बैसाखी नीचे गिरी हुई थी

राज ने झुक कर गिरी हुई बैसाखी को उठाया और उस लड़की के हाथों मे दे दी और उन्दोनो लड़कों की तरफ घूरते हुए देख कर बोला

राज : क्या हो रहा था ये (कोई जवाब नही मिला एक बार फिर राज ने दहाड़ती हुई आवाज़ मे पूछा ) क्या कर रहे थे तुम

लड़का; जी वो रेग्गिन्ग

और पटाक की आवाज़ यूँ पूरे कॅंपस मे गूँज गयी राज ने एक जोरदार झापड़ लड़के के गाल पर लगा दिया लड़का अपने हाथ से अपने गाल पर सहलाते हुए सॉरी राज भाई

राज : चलो दफ़ा हो जाओ यहाँ से और तुम लोग क्या तमाशा देख रहे हो चलो सब यहाँ से निकलो (और सब लोग हड़बड़ी मे इधर उधर होने लगे )

राज (लड़की के गिरे हुए बॅग को उठाया) चलो मैं आप को आपकी क्लास मे छोड़ देता हूँ

और राज और वो लड़की दोनो क्लास के तरफ चल पड़े ललिता वहाँ खड़ी राज को एक टक देखती रह गयी उसकी नज़र राज से हट नही रही थी उसकी नज़र राज का पीछे कर रही थी आज राज की शख्शियत ने ललिता के दिल पर पहली दस्तक दी थी ललिता अपने गुलाबी होंटो पर मुस्कान लिए राज को जाता हुआ देख रही थी

आनी: क्या हुआ कहाँ खो गयी अब क्लास मे छोड़ कर आएगी क्या कहीं पसंद तो नही आ गया बोल बात करूँ (हंसते हुए )

ललिता: क्या बोल रही है मारूँगी हां (वैसे ये है कॉन सब लोग इससे डरते क्यों है)
आनी: उंह सीधा-2 बोल ना तू उसके बारें मे जानना चाहती है

ललिता: तू बताती है कि नही या मैं फिर जाओं यहाँ से

आनी: अच्छा-2 बताती हूँ ये है राज फाइनल एअर मे है और बहुत ही अच्छा लड़का हैं और जानती है सब लड़के इससे डरतें है और ये बेचारा लड़कियों से डरता हैं

ललिता: राज हां बड़ा हेवी नाम है

जब सभी क्लासस ख़तम हो गये तो राज बाहर पार्क मे अकेला खड़ा लकी का इंतजार कर रहा था ललिता आनी के साथ क्लास से बाहर निकल कर घर जा रही थी तभी उसकी नज़र राज पर पड़ी

ललिता: सुन आनी चल ना थोड़ी देर पार्क मे चलते हैं

आनी: चल यार वैसे भी अभी से हॉस्टिल जाकर भी करूँगी क्या

और दोनो पार्क की तरफ जाने लगी ललिता का ध्यान राज की तरफ था जो आनी सॉफ देख पा रही थी और मुस्कुरा रही थी पर उसने ललिता को जाहिर नही होने दिया दोनो पार्क मे आकर खड़ी हो गयी दोनो राज के सामने थोड़ी दूरी पर खड़ी थी ललिता ने अपने बालों को जल्दी से हाथ से सँवारा और राज की तरफ देखने लगी पर राज अपनी मस्ती मे खड़ा लकी का इंतजार कर रहा था

दूसरी तरफ लकी स्टाफ रूम मे चला गया और वहाँ गुरमीत को देख कर उसकी जान मे जान आई जब गुरमीत ने लकी को स्टाफ रूम के डोर पर खड़ा देख तो उसने जल्दी से अपने पर्स उठाया और बाहर आ गयी

गुरमीत: यहाँ क्या कर रहे हो ऐसे पागलों की तरह पीछा ना करो सब को शक हो जाएगा वैसे तुम यहाँ किस लिए आए हो

लकी: वो मे ये पूछने आया था क़ी आज आप मुझसे मिल सकती हैं

गुरमीत: (मुस्कुराते हुए) क्यों कल ही तो मिले थी इतनी भी बेसब्री क्यों

लकी:आप कल की बात कर रही हैं मुझ तो ऐसा लग रहा है जैसे मैने आप को बहुत टाइम के बाद देखा हो मैं तो अब आपको देखे बगैर एक पल भी नही रह सकता मे आप से मिलने शाम को घर आऊ

गुरमीत: नही-2 घर पर माँ होती है वो क्या सोचेगी कि तुम रोज रोज क्यों आने लगे हो

लकी: तो फिर कहीं बाहर मिलें

गुरमीत: नही ये भी पॉज़िबल नही है अगर बाहर किसी ने देख लिया तो शक नही लोगो को पक्का पता चल जाएगा

लकी: तो फिर आप ही बताएँ मैं क्या करूँ

गुरमीत: (लकी के भोलेपन पर फिदा हो गयी) गुरमीत अच्छा -2 उदास मत हो मेरे घर का फोन नंबर नोट करो और मुझे 3 बजे कॉल करना मैं कुछ सोचती हूँ

लकी: (लकी ने नंबर अपनी नोट बुक मे नोट कर लिया ) ठीक हैं मे आपको कॉल करूँगा

और लकी तेज़ी से चलता हूँ पार्क की तरफ़ जाने लगा उसे पता था कि राज इस वक़्त वहीं खड़ा हो गा दूसरी तरफ राज की नज़र अब तक ललिता पर नही पड़ी थी तभी उसने लकी को ढूँढने के लिए चारो तरफ नज़र दौड़ाई और उसकी नज़र ललिता पर पड़ गयी ललिता उसी की तरफ देख रही थी दोनो की नज़रें आपसे मे मिली ललिता ने एक हल्की सी स्माइल पास कर दी पर राज ने अपने नज़रें घुमा ली और अपने पीछे की तरफ देखने लगा पर पीछे कोई नही खड़ा था तब राज को अहसास हुआ कि ललिता की वो स्माइल उसके लिए ही थी पर राज अपने शर्मीले बिहेवियर के कारण ललिता से नज़रे नही मिला पा रहा था बहुत हिम्मत जुटाने के बाद राज ने एक बार फिर ललिता की तरफ देखा पर इस बार ललिता आनी से बात कर रही थी राज उसकी तरफ एक टक देख रहा था जैसे ही ललिता ने बोलना बंद किया और उसने एक बार फिर से राज की तरफ देखा दोनो की नज़रें फिर से मिली और ललिता राज को यूँ अपनी तरफ देखता देख शरमा गयी और एक बार फिर स्माइल पास की इस बार राज के होंटो पर भी मुस्कान आ गयी और राज को स्माइल करते देख ललिता एक दम शरमा गये शरम के मारे उसके गाल लाल सुर्ख हो गये और उसने शरमा कर नज़रें झुका ली आनी जो सब देख रही थी वो भी दूसरी तरफ़ देख मुस्कुराने लगी इतने मे लकी तेज़ी से भागता हुआ राज के पास आया और उसके कंधें पर हाथ रखा
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