Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 12:43 PM,
#20
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
लकी: कहाँ रह गयी थी मैं सोच रहा था कहीं अकेली तो नही चली गयी

गुरमीत: नही बस वो घर पर ही देर हो गयी चलो अब चलते हैं

गुरमीत और लकी दोनो बस मे बैठ गये गुरमीत लकी से एक दम सट कर बैठी थी लकी का हाथ गुरमीत की जाँघो पर आ गया गुरमीत ने लकी के हाथ को पकड़ कर हटा दिया

गुरमीत: क्या कर रहे हो कोई देख लेगा

लकी: अब यहाँ हमे कॉन जानता हैं बेफिकर हो जाओ और आज के इस सफ़र को यादगार बना लो
गुरमीत ने लकी के कंधे पर अपना सर रख दिया दोनो हाथ मे हाथ डाले बैठे थी बस चल पड़ी और करीब 3 घंटे के सफ़र के बाद दोनो गुरदास पुर पहुँच गये

लकी: (दोनो बस से उतर गये थे) तो अब कहाँ चलना है

गुरमीत: मुझ रिपोर्टिंग तो कल ही देनी है तो आज सीधा तुम्हारे घर चलते हैं

लकी: चलो ठीक है घर ही चलते हैं

दोनो ऑटो मे बैठ कर घर की तरफ निकल लिए 15-20 मिनट के सफ़र के बाद लकी का घर आ गया दोनो ऑटो से उतरे और लकी ने ऑटो वाले को पैसे दिए और समान उठा कर गेट के पास आकर डोरबेल बजाई थोड़ी देर बाद एक औरत ने गेट खोला जो लकी को देखते ही बोली

शांति: अर्रे लकी बाबा आप आइए अंदर आइए

गुरमीत और लकी दोनो अंदर आ गये

लकी: दादी कहाँ है

शांति: अपने रूम मे हैं सोई हुई है मैं अभी उनको जगाती हूँ

शांति ने लकी की दादी के रूम मे जाकर दादी को उठा कर लकी के आने की खबर दी लकी की दादी लकी के आने की खबर सुन कर बहुत खुश हुई और बाहर हाल मे आ गयी

दादी: (हाल मे आते हुए) अरे मेरा बच्चा लकी कैसा है (लकी ने अपनी दादी के पैर छुए और दादी ने लकी को गले से लगा लिया)

लकी: मे ठीक हूँ दादी आप कैसे हो

दादी: मे भी ठीक हूँ बेटा तू बता तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है
लकी: बहुत बढ़िया चल रही है दादी. दादी ये मेरी कलाज मे प्रोफेसर हैं मुझ पढ़ाती हैं इनकी यहाँ एलेक्षन्स मे ड्यूटी लगी है इन्हे यहाँ दो दिन का काम है इसे लिए मे इन्हे साथ ले आया ये दो दिन यहीं रहेंगी

दादी: (अपनी आँखों पर लगे मोटे चश्मे को ठीक करके गुरमीत की तरफ देखा कर)कोई बात नही पुतर दो दिन क्या चाहे चार दिन रहे तुम्हारी टीचर हैं

गुरमीत ने आगे बढ़ कर दादी के पैर छुए और दादी ने उसके सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया

दादी: जुग जुग जिओ बेटा देख कितनी पढ़ी लिखी लड़की है पर फिर भी कितने संस्कार हैं इसमे नही तो आज कल की लड़कियाँ हाई हेलो मुझे तो इनका मतलब भी समझ मे नही आता बेटा क्या नाम है तुम्हारा

गुरमीत: जी मेरा नाम गुरमीत है

दादी: सुन लकी जा अपनी मेडम को ऊपेर का रूम दिखा दे और उनका बॅग भी रख आ और हां फ्रेश होकर नीचे आ जाओ मे शांति से कहकर चाइ और कुछ खाने के लिए बनाने के लिए कहती हूँ

लकी: जी दादी (और लकी गुरमीत की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा गुरमीत लकी की मुस्कान के पीछे छुपी शरारत को समझ कर शरमा गयी)

लकी और गुरमीत ऊपेर आ गये लकी एक रूम मे डोर खोल कर अंदर आ गया और गुरमीत भी अंदर आ गयी लकी ने गुरमीत के बॅग्स को रखा गुरमीत रूम देख रही थी उसका ध्यान लकी पर नही था लकी ने पीछे से जाकर गुरमीत को बाहों मे भर लिया

गुरमीत: क्या कर रहे हो लकी कोई आ जाएगा

लकी: अब यहाँ कॉन आएगा

गुरमीत: (मुस्कुरा कर अपना एक हाथ पीछे लेजा कर लकी के गाल पर रखते हुए) तुम्हारी दादी और कॉन

लकी; नही आएँगी वो सीडीया नही चढ़ पाती उनको घुटनो मे तकलीफ़ रहती है

गुरमीत: अच्छा तो अब तुम मुझसे इस रूम का रेंट लोगे

लकी: हां जो भी आप प्यार से दे दें

गुरमीत: (लकी की तरफ पलट कर) लो ले लो जो चाहे गुरमीत तो उसी दिन से तुम्हारी हो गयी जिस दिन तुमने मुझे पूरी औरत होने का अहसास दिलाया और बनाया

लकी ने गुरमीत को अपनी बाहों मे ले लिया और गुरमीत के चुतड़ों पर हाथ रख दिए और टाइट सलवार उसके चुतड़ों पर एक दम कसी हुई थी हाथ लगाने से उसकी पैंटी लाइन का सॉफ-2 अहसास हो रहा था गुरमीत लकी की बाहों मे कसमसाने लगी लकी हाथों से गुरमीत के चुतड़ों को मसल रहा था लकी अपने होंटो को गुरमीत के होंटो के तरफ बढ़ाने लगा गुरमीत के गाल एक दम लाल हो चुके थे गुरमीत ने अपनी आँखें बंद कर ली और लकी ने गुरमीत के होंटो को अपने होंटो मे ले लिया गुरमीत अपने होंटो को लकी से चुस्वा कर मस्त होने लगी लकी का लंड पेंट मे तन कर कुलाँचे भरने लगा और गुरमीत की नाभि के नीचे रगड़ खाने लगा गुरमीत के हाथ लकी की पीठ को सहला रहे थे जब लकी ने गुरमीत के होंटो को अलग किया

गुरमीत: तुम्हारा वो क्या हमेशा ही खड़ा रहता हैं

लकी: मुस्कुराते हुए वो क्या

गुरमीत: (शरमाते हुए) तुम्हारा हथियार

लकी: कॉन सा हथियार नाम लेकर बोलो ना

गुरमीत: ( लकी की छाती पर मुक्का मारते हुए) धत मुझे शरम आती है

लकी: प्लीज़ जान एक बार मेरी खातिर

गुरमीत: अगर मैं बोल दूं तो क्या हो जाएगा

लकी: मुझ अच्छा लगेगा

गुरमीत: (शरमाते हुए) तुम्हारा लौडा (लकी ने गुरमीत के दोनो चुतड़ों को मसल दिया ) ओह्ह लकी क्या कर रहे हो

लकी: तुम्हारी गान्ड को मसल रहा हूँ

गुरमीत: छि कैसे बातें कर रहे हो

लकी: (मुस्कुराते हुए) अच्छा अब फ्रेश होकर नीचे आ जाओ

और लकी रूम से निकल कर अपने रूम मे आ गया और फ्रेश होने बाथरूम मे घुस गया लकी कपड़े चेंज करके जैसे ही गुरमीत के रूम मे पहुँचा तो गुरमीत वहाँ नही थी लकी नीचे आ गया गुरमीत दादी के साथ बैठ कर चाइ पी रही थी और साथ मे बातें कर रही थी लकी को देख गुरमीत के होंटो पर मुस्कान आ गयी
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RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश - by sexstories - 12-20-2019, 12:43 PM

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