Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
01-02-2020, 12:41 PM,
#11
RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
जयसिंह ने जिस हाथ से मनिका के पायजामे का एलास्टिक पकड़ रखा था वह उत्तेजनावश कांप रहा था, नाईट-लैंप की धीमी रौशनी में वे अपनी बेटी के पायजामे में झाँक रहे थे. उनका सामना एक बार फिर मनिका की पहनी हुई एक छोटी सी पैंटी से हुआ, 'उह्ह..’उन्होंने दम भरा, उन्हें एहसास नहीं हुआ था कि इतनी देर से वे अपनी साँस थामे हुए थे. 'रांड की कच्छियों ने ही जब ये हाल कर दिया है तो साली की चिकनी चूत तो लगता है जिंदा नहीं छोड़ेगी.' जयसिंह ने मन में सोचा, उन्होंने पहली बार मनिका की योनि का विचार किया था 'ओह..' फिर अचानक उन्होंने एक और तथ्य पर गौर किया, मनिका के बदन की एक बात जो उन्हें उकसाती थी पर जिस पर उनका ध्यान अभी तक नहीं गया था वह थी उसके जिस्म पर बालों का न होना. मनिका के पायजामे के भीतर भी उन्हें उसकी रेशम सी चिकनी स्किन पर बाल दिखाई नहीं दे रहे थे. 'देखो साली को क्या वैक्सिंग कर रखी है हरामन ने...पता नहीं मेरा ध्यान पहले किधर था. पहली रात को इसकी नंगी गांड देख कर ही समझ जाना चाहिए था यह तो मुझे...क्या अदा है यार तेरी मनिका...’वे अपने विचारों में इसी तरह डूबे हुए थे की मनिका थोड़ी सी हिली, जयसिंह ने झट से अपना हाथ उसके पायजामे से हटा लिया और सीधे लेट कर आँखें मींच ली, घबराहट से उनका दिल तेजी से धड़क रहा था.

मनिका ने करवट बदली और दूसरी ओर घूम कर सो गई. जयसिंह चुपचाप लेटे रहे. कुछ वक्त बीत जाने पर जयसिंह एक बार फिर थोड़ा हिम्मत करके मामूली से टेढ़े हुए और हल्की सी आँख खोल मनिका की तरफ देखा. मनिका का मुहँ अब दूसरी तरफ था और पीठ उनकी ओर, 'हे भगवान् कहीं जाग तो नहीं गई ये..’जयसिंह ने आशंकित होकर सोचा. उन्होंने थोड़ा और इंतजार किया पर मनिका की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. जयसिंह ने डरते-डरते अपना हाथ ले जा कर उसकी पीठ से छुआया, वे एक बार फिर उत्तेजित होने लगे थे. जब मनिका ने उनके स्पर्श पर कोई हरकत नहीं की तो वे थोड़ा और बोल्ड हो गए और अपना हाथ मनिका की गोल-मटोल गांड पर ले जा रखा. जयसिंह के आनंद की सीमाएं टूट चुकी थीं. पहली रात तो उन्होंने बस मनिका की गांड को थोड़ा सा छुआ भर था लेकिन आज उन्हें मनिका के पायजामे के कपड़े में से उसकी माँसल गांड की कसावट अपने हाथ पर महसूस हो रही थी. उनकी हिम्मत बढ़ती ही जा रही थी, अब वे धीरे-धीरे उसकी टी-शर्ट को दूसरी तरफ से भी ऊपर खिसकाने लगे और जब मनिका की दूध सी कमर दोनों तरफ से उघड़ कर उनके सामने आ गई तो वे उसकी कमर की नंगी त्वचा पर हाथ रख सहलाने लगे, बीच-बीच में वे अपना हाथ उसकी गांड पर भी ले जाते थे.

जयसिंह की हिमाकतों से बेख़बर मनिका सोती रही. जयसिंह ने अब एक और कारवाई शुरू कर दी थी, वे मनिका के पायजामे का कपड़ा पकड़ उसे हौले-हौले नीचे की तरफ खीँच रहे थे. अब उन्हें मनिका की नीली पैंटी का एलास्टिक नज़र आने लगा था. उन्होंने पैंटी को भी पायजामे के साथ-साथ नीचे करने के लिए मनिका की गांड की दरार की सीध में अपनी अँगुली घुसाई और नीचे खींच दिया. पायजामे और पैंटी दोनों को एक साथ खींचने में जयसिंह को थोड़ी मुश्किल पेश आई, कुछ नीचे होने के बाद बाकी का कपड़ा मनिका के नीचे दबा होने की वजह से उन्हें रुकना पड़ा. पर मनिका की गांड की दरार का ऊपरी हिस्सा अब उन्हें नज़र आने लगा था, जयसिंह के बदन में उत्तेजना भरी लहर दौड़ गई थी, लेकिन फिर इस से ज्यादा आगे बढ़ने की जुर्रत उनसे नहीं हुई, क्यूँकि वे जानते थे कि अगर वे यह खतरनाक खेल जीतना चाहते हैं तो उन्हें सब्र से काम लेना होगा और इस वक्त उनका दीमाग हवस के हवाले था जिससे कि उनका बना-बनाया दाँव बिगड़ सकता था.

उन्होंने मनिका की गांड की दरार पर धीरे से अँगुली फिराई और एक ठंडी आह भर सीधे हो कर सोने की कोशिश करने लगे.

अगली सुबह जयसिंह की आँख हमेशा की तरह मनिका से पहले खुल गई थी. उन्होंने अपनी सेफ-साइड रखने के लिए उसका पायजामा थोड़ा ठीक कर दिया हालांकि सुबह-सुबह एक बार फिर उनका लंड मनिका को देख कर खड़ा हो गया था. जब मनिका उठ गई तो एक बार फिर वे रोज़ की तरह तैयार होकर घूमने निकल गए. अगले दो दिन फिर इसी तरह निकल गए व जयसिंह ने भी मनिका को रात को सो जाने के बाद छेड़ने से परहेज किए रखा था. वे अपनी अच्छी किस्मत को इतना भी नहीं अजमाना चाहते थे कि कहीं किस्मत साथ देना ही छोड़ दे.

मनिका और उनके बीच अब काफी नजदीकी बढ़ चुकी थी. चौबीस घंटे एक-दूसरे के साथ रहने और बातें करने से बातों-बातों में मनिका अब उनके साथ फ्रैंक होने लगी थी, वह उनसे अपनी फ्रेंड्स और उनके कारनामों का भी जिक्र कर देती थी, कि फलां का चक्कर उस लड़के से चल रहा है और फलां लड़की को उसके बॉयफ्रेंड ने क्या गिफ्ट दिया था वगैरह-वगैरह. जयसिंह भी उसकी बातों में पूरा इंटरेस्ट लेकर सुनते थे जिस से मनिका और ज्यादा खुल कर उनसे बतियाने लगती थी. जाने-अनजाने ही मनिका जयसिंह के चक्रव्यूह में फंसती चली जा रही थी.

उनके दिल्ली स्टे की आठवीं शाम जब वे अपने हॉटेल रूम में लौटे थे तो जयसिंह आ कर काउच पर बैठ गए थे. मनिका बाथरूम जा कर हाथ-मुहँ धो कर आई थी, जयसिंह ने उससे पूछा,

'तो फिर आज डिनर में क्या मँगवाना है?'

'मेन्यु दिखाओ...देखते हैं.' मनिका मुस्काते हुए उनके पास आते हुए बोली, मेन्यु जयसिंह के हाथ में था.

मनिका ने उनके पास आ कर मेन्यु लेने के लिए हाथ बढाया था. जयसिंह ने उसे मेन्यु न दे कर उसका हाथ थाम लिया और उस से नज़रें मिलाई, फिर हौले से उसका हाथ खींचते हुए आँखों से अपनी जांघ पर बैठने का इशारा किया और अपनी टांगें थोड़ी खोल लीं व साथ ही मुस्कुरा कर बोले,

'चलो फिर देखते हैं...'

'हाहाहा पापा...चलो.' मनिका उनकी गोद में बैठते हुए बोली.

जयसिंह की ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा था. उन्होंने अँधेरे में एक तीर चलाया था जो ठीक निशाने पर जा लगा था और अब २२ साल की मनिका उनकी गोद में बैठी मेन्यु के पन्ने पलट रही थी. जयसिंह उसके बदन के कोमल स्पर्श से मंत्रमुग्ध हो उठे थे, उसके घने बाल उनके चेहरे को छू रहे थे और उसकी गर्दन पर अभी भी, उसके मुहँ धो कर आने के बाद, कुछ पानी की बूंदे चमक रहीं थी. उन्होंने मनिका के हाथों पर अपने हाथ रखते हुए मेन्यु पकड़ लिया था और ख़ुशी-ख़ुशी उसकी सुझाई चीज़ों के लिए हाँ में हाँ मिला रहे थे. कुछ देर बाद उन्होंने मनिका की पसंद का डिनर ऑर्डर किया, जो कि वे रोज ही किया करते थे, और जब तक रूम-सर्विस नहीं आई वे वैसे ही बैठे बातें करते रहे. मनिका ने मेन्यु एक ओर रख दिया था और अपना एक हाथ जयसिंह के गले में डाल उनकी तरफ मुहँ कर बैठ गई थी, वहीँ जयसिंह का एक हाथ उसके पीछे उसकी पीठ पर था जिसे वह थोड़ी-थोड़ी देर में ऊपर से नीचे तक फेर दे रहे थे.

मनिका अपना दूसरा हाथ अपनी जांघ पर रखे बैठी थी और जयसिंह भी, कुछ देर बाद जब रूम-सर्विस वाले ने गेट पर नॉक किया तो मनिका उठी और दरवाज़ा खोल उसे अन्दर बुलाया. वेटर अन्दर आ कर उनका खाना लगा गया.

'मजा आ गया आज तो...साली ने बिलकुल ना-नुकुर नहीं की...' जयसिंह और मनिका डिनर वगैरह कर के बिस्तर में घुस चुके थे और जयसिंह लेट कर ख़ुशी-ख़ुशी अपनी सफलता के ख्वाब देख रहे थे.

मनिका भी जग रही थी 'मेरी लाइफ कितनी हैपनिंग हो गई है डेल्ही आ कर...पूरी लाइफ में मैंने इतनी मस्ती नहीं की होगी जितनी यहाँ एक वीक में कर चुकी हूँ...ओह हाहाहा ये तो कुछ ज्यादा हो गया, पर फिर भी आई एम हैविंग सो मच फन विद पापा...और ये सब पापा की वजह से ही पॉसिबल हो पाया है नहीं तो अभी घर पे बैठी वही बोरिंग लाइफ जी रही होती...गॉड पता ही नहीं चला कब ऐट (आठ) डेज निकल गए...और पापा तो अब मेरे फ्रेंड जैसे हो गए हैं...इवन बेस्ट-फ्रेंड जैसे, कितना ख्याल रख रहे हैं मेरा. आई होप कि पापा वापस घर जाने के बाद भी ऐसे ही कूल बने रहें...कितना कुछ शेयर कर चुके हैं हम एक-दूसरे से...और मम्मी को खबर ही नहीं है कि हम यहाँ कितनी मस्ती कर रहे हैं...हेहे...पर घर पे सच में मुझे केयरफुल रहना पड़ेगा कहीं भूले-भटके कुछ मुहँ से निकल गया तो पापा बेचारे फँस जाएँगे. कनि (कनिका) और तेसु (हितेश) से भी सीक्रेट रखना होगा...एंड फ़ोन से हमारी पिक्स भी निकाल कर रखनी होगी कहीं उन्होंने देख लीं तो और गड़बड़ हो सकती है. यहाँ से जाने से पहले ही लैपटॉप में ट्रान्सफर कर के हाईड कर दूँगी...हम्म.' वह अपने पिता से ठीक उल्टे विचारों में खोई थी.

मनिका हमेशा से ही फिल्मों और टी.वी. सीरियलों में दिखाए जाने वाले मॉडर्न परिवारों को देख कर सोचा करती थी कि काश उसके घर में भी इस तरह थोड़ी आज़ादी हो, हालाँकि जयसिंह ने हमेशा उसे लाड़-प्यार से रखा था लेकिन एक छोटे शहर में पली-बढ़ी मनिका ने अपने चारोँ ओर ऐसे ही लोगों को देखा था जो हर वक्त सामाज के बने-बनाए नियमों पर चलते आए थे और अपने बच्चों पर भी अपनी सोच थोपने से नहीं चूकते थे, जिनमें भी खासतौर पर लड़कियों को तो हर कदम पर टोका जाता था. सो जब जयसिंह ने मनिका को इस नई तरह की ज़िन्दगी का एहसास कराया, जैसा अभी तक उसने सिर्फ सिनेमा में ही देखा था और अपने लिए चाहा था, तो वह अपने-आप ही उनके रचाए मायाजाल में फँसने लगी थी.

दोनों बाप-बेटी अगली सुबह के लिए अलग-अलग सपने सँजोते हुए सो गए.

जयसिंह और मनिका जब अगली सुबह आ कर कैब में बैठे तो कैब ड्राईवर ने उनसे कहा कि वह उन्हें दिल्ली की लगभग सभी पॉप्युलर साइट्स दिखा चुका है सो आज वो उन्हें कोई खास सैर नहीं करा सकेगा (ड्राईवर उनसे थोड़ा घुल-मिल चुका था क्यूँकि रोज़ वही उनके लिए कार लेकर आता था और जयसिंह की जेनेरस टिप्स की वजह से वह उनकी इमदाद थोड़ी ज्यादा ही करने लगा था), इस पर मनिका का उत्साह ज़रा फीका पड़ गया,

'अब क्या करें पापा?' मनिका ने कुछ निराश आवाज़ में जयसिंह से पूछा.

'अरे भई पूरी दिल्ली घूम डाली है अब और क्या करना है? घर चलते हैं...’जयसिंह ने मजाक करते हुए कहा.

'नो पापा.' मनिका फटाक से बोली 'अभी तो हमारे पास आधे से ज्यादा वीक पड़ा है. डोंट जोक एंड बी सीरियस ना.'
जयसिंह मनिका के जवाब से बहुत खुश हुए, 'हाहाहा... ठीक है ठीक है. दिल्ली में करने के लिए कामों की कमी थोड़े ही है.'

'तो वही तो मैं पूछ रही हूँ ना सजेस्ट करो कुछ, ड्राईवर भैया ने तो हाथ खड़े कर दिए हैं आज.' मनिका ने फ्रस्ट्रेट हो कर कहा.

उसकी बात सुन ड्राईवर ने कुछ खिसिया कर फिर कहा था कि उसे जितना पता था वो उन्हें घुमा चुका है.

'हाहाहा...अरे मनिका तुमने तो मूड ऑफ कर लिया.' जयसिंह हंस कर बोले 'चलो तुम्हारा मूड ठीक करें, अपन ऐसा करते हैं आज कोई मूवी चलते हैं और फिर तुम उस दिन कह रहीं थी न कि तुम्हे कुछ शॉपिंग करने का मन है?'

मनिका अगले ही पल फिर से चहकने लगी थी. 'ओह पापा यू आर सो वंडरफुल.' वह ख़ुशी से बोली 'आप को ना मेरा मूड ठीक करना बड़े अच्छे से आता है...और आपको याद थी? मेरी शॉपिंग वाली विश...हाऊ स्वीट. मुझे लगा भूल गए होंगे आप और मुझे फिर से याद कराना पड़ेगा.'

'कोई बात मिस की है तुम्हारी आज तक मैंने मनिका?' जयसिंह ने झूठे शिकायती लहजे में कहा.

'ऑ पापा. नहीं भई कभी नहीं की...’मनिका ने होंठों से पाऊट करते हुए कहा.

मनिका की इस अदा ने जयसिंह के मन में लगी आग में घी डालने का काम किया था 'देखो साली कैसा प्यार जता रही है. इन्हीं मोठे होंठों ने तो जान निकाल रखी है मेरी...चिनाल खुश तो हो गई चलो.' उन्होंने मन में सोचा और ड्राईवर से बोले,

'चलो ड्राईवर साहब पी.वी.आर. चलना है आज.'

जब ड्राईवर उन्हें लेकर चल पड़ा था तो कुछ देर बाद मनिका ने जयसिंह से कहा था,

'एक बार तो डरा दिया था आपने मुझे...'

'हैं? अब मैंने क्या किया?' जयसिंह हैरान हो बोले.

'आप बोल रहे थे ना कि घर चलो वापस.' मनिका मुस्काते हुए बोली थी.

'हाहाहा.' जयसिंह ने ठहाका लगाया और बोले 'क्यूँ घर नहीं जाना तुम्हें?'

'नहीं...' मनिका ने आँखें मटका कर कहा था. जयसिंह मुस्का दिए और उसके गले में अपना हाथ डाल उसे अपने साथ लगा कर बैठा लिया.
Reply


Messages In This Thread
RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी - by sexstories - 01-02-2020, 12:41 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,456,537 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,357 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,214,074 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 917,971 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,627,089 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,059,701 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,915,024 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,938,083 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,985,762 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,630 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)