RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
जयसिंह वहीं उसके पीछे खड़े खड़े अपनी बेटी की इस हरकत को देख देख कर पागल हुए जा रहा था ,मनिका की हर एक अदा पर उसका लंड तुनकी मारने लगा था, जयसिंह की कामुक नजरें अपनी बेटी के मदमस्त बदन, चिकनी पीठ, गहरी कमर और उभरे हुए नितम्ब पर टिकी हुई थी
पर उसे हल्का हल्का डर भी लग रहा था कि कहीं मनिका ने पीछे मुड़कर उसे देख लिया तो वो कहीं गुस्सा ना हो जाए
जयसिंह की नजर अपनी बेटी के बदन के हर एक कोने तक पहुंच रही थी, पानी में भीगकर मनिका की टीशर्ट उसकी चूचियों से इस कदर चिपक गई थी कि उसके बिना ब्रा के मम्मे अब साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे, जयसिंह ललचाई आंखों से पानी में भीगी हुई अपनी बेटी की चुचियों को देख रहा था ,तभी अचानक मनिका पलट गई, और उसने तुरंत अपने पापा की नजरों को भांप लिया, अपने पापा की कामुक नजरो को अपनी चूची पर घूमती हुई देखकर उसकी बुर में सुरसुराहट होने लगी, उसे मदहोशी सी छाने लगी, मनिका की नजरें एकाएक उसके पापा की नंगी छातियों पर पड़ी, जो कि अच्छी खासी चौड़ी ओर गढ़ीलि थी , अल्हड़ मस्त जवानी में ऐसे गठीले बदन को देखकर मनिका बुरी तरह उत्तेजित होने लगी ,
बारिश का जोर अब और ज्यादा बढ़ने लगा था, बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी, एक तरफ यह तूफानी बारिश थी, और दूसरी तरफ इतनी तूफानी बारिश में भी दोनों बाप बेटी एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करने में लगे हुए थे,
तेज बारिश में अपनी बेटी की ऊपर नीचे हो रही छातियों को जयसिंह साफ-साफ देख पा रहा था, मनिका की छोटी सी टीशर्ट में से उसका गोरा चिकना पेट और पेट पर नीचे की तरफ उसकी मदमस्त गहरी नाभि एकदम साफ दिखाई दे रही थी, जिस पर रह रहकर जयसिंह की नजरे चली जाती, मनिका ने जब अपने पापा की नजरों को अपने बदन पर नीचे की तरफ जाता देखा तो उसकी नजर भी अपने पापा की कमर से नीचे चली गई, पर जैसे ही उसने वहां का नज़ारा देखा उसका दिल धक्क से रह गया, उसकी भीगी बुर मे से भी मदन रस चू गया,
मनिका और कर भी क्या सकती थी, उसके पापा के कमर के नीचे का नजारा ही कुछ ऐसा था कि उसकी बुर पर उसका कंट्रोल ही नहीं रहा, मनिका आंख फाड़े अपने पापा को देख रही थी, बारिश के पानी मे जयसिंह का टॉवल एकदम गीला हो चुका था, टॉवल का कपड़ा भीगने की वजह से गीला होकर और ज्यादा वजनदार हो गया, लेकिन टॉवल के अंदर जयसिंह का लंड एकदम टाइट हो कर आसमान की तरफ देख रहा था, जिससे टॉवल में एक बड़ा सा तंबू बन गया था, इस नजारे को देखकर मनिका समझ गई थी कि उसके पापा का लंड उसकी अदाओं से ही खड़ा हुआ है, ये सोचकर ही उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गई,
वो अच्छी तरह से जान गई थी की उसके कामुक भीगे हुए बदन को देखकर ही उसके पापा का लंड खड़ा हो गया है, ऐसी तूफानी बारिश में भी मनिका अब पुरी तरह से गर्म हो चुकी थी।
इधर अब जयसिंह भी जान गया था कि उसकी बेटी की नजर उसके खड़े हुए लंड पर पड़ चुकी है, इस पल एक दूसरे को देख कर दोनों बाप बेटी बिल्कुल चुदवासे हो चुके थे, बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज माहौल को और गर्म कर रहा थी, अब ना तो मनिका से रहा जा रहा था और ना ही जयसिंह से , दोनों बाप बेटी अपने आप को संभाल पाने में असमर्थ साबित हो रहे थे, दोनों तैयार थे लेकिन दोनों अपनी अपनी तरफ से यह देख रहे थे कि पहल कौन करता है,
मनिका जयसिंह को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सब कुछ कर रही थी लेकिन वो भी असली पहल करने में थोड़ी शर्मा रही थी ,
"ऐसे क्या देख रही हो मनिका? " जयसिंह अंजान बनते हुए मनिका की तरफ देखकर बोला
"कुछ नहीं पापा, मैं बस यह देख रही हूं कि मेरा साथ देने के लिए आप इतनी रात को भी छत पर भीगने चले आए , आप कितने अच्छे है पापा" मनिका चहकते हुए बोली
"अरे बेटी ये तो मेरा फ़र्ज़ है कि मेरी सबसे प्यारी बेटी की हमेशा देखभाल करूँ" जयसिंह की नजरें अब भी मनिका की भीगी हुई चुचियों पर गड़ी थी,
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ये स्कर्ट भी ना" मनिका कसमसाते हुए बोली
"क्या हुआ मनिका" जयसिंह उसे ताड़ते हुए बोला
"उन्ह्ह्ह्ह.....पापा मेरी स्कर्ट पानी से पूरी तरह भीग गई है, मुझे बड़ा अजीब सा फील हो रहा है, मन कर रहा कि स्कर्ट को उतार दूँ, पर आपके सामने कैसे?" मनिका ने अपने होंठों को चबाते हुए कहा
मनिका की ये बात सुनकर तो जयसिंह के कान गर्म हो गए, उसे विश्वास ही नही हो रहा था कि उसकी बेटी उसके सामने अपनी स्कर्ट उतारना चाहती है, उसके लोडे ने तुनक कर एक ठुमकी ली, अब वो भी इस खेल में आगे बढ़ने के लिए बिल्कुल तैयार था
"कोई बात नही मनिका, अगर तुम्हें तकलीफ हो रही है तो तुम अपनी स्कर्ट उतार दो, वैसे भी इतना अंधेरा है, मुझे कुछ भी साफ दिखाई नही दे रहा" जयसिंह ने ये बात अपनी पूरी ताकत समेट कर कही थी
मनिका तो जैसे जयसिंह की हाँ का ही इंतेज़ार कर रही थी, उसके कहने के साथ ही मनिका ने जयसिंह को लुभाने के लिए अपनी उंगलियों को स्कर्ट की पट्टी में फंसाया और अगले पल ही उसे अपने पैरों की गिरफ्त से आज़ाद कर दिया, अब वो सिर्फ एक छोटी सी गुलाबी पैंटी और महीन सी टीशर्ट पहने खड़ी जयसिंह पर कहर ढा रही थी, ये जानलेवा नज़ारा देखकर जयसिंह के बदन में कामाग्नी भड़क उठी, शायद मनिका को देखकर बरसात भी उसकी दीवानी हो गई थी, इसलिए तो स्कर्ट को उतारते ही बरसात और तेज पड़ने लगी , बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ गई, बिजली की चमक माहौल को और भी ज्यादा गर्म करने लगी, मनिका अपनी कामुक अदा से अपने ही पापा को लुभाने लगी, वो जानती थी कि उसके नाम मात्र के कपड़ो मे से उसके गोरे बदन का पोर पोर झलक रहा है और उसे देखकर उसके पापा उत्तेजित हो रहे है ,पर वो तो और ज्यादा दिखा कर अपने पापा को अपना दीवाना बना रही थी
जयसिंह भी अपनी बेटी की अदाओं को देखकर इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि उसे डर था कि कहीं उसके लंड का लावा फूट ना पड़े। लंड की नसों में खून का दौरा दुगनी गति से दौड़ रहा था, मनिका को अधनंगी देखकर जयसिंह की सांसे बड़ी ही तेज़ गति से चलने लगी थी, वो एक टक अपनी बेटी को देखे ही जा रहा था ,
मनिका के अंदर भी ना जाने कैसी मदहोशी आ गई थी कि वो पानी में भीगते हुए लगभग नाच रही थी, मनिका के बदन में चुदासपन का उन्माद चढ़ा हुआ था, उत्तेजना और उन्माद की वजह से उस की चिकनी बुर पूरी तरह से फुल चुकी थी, पर वो तो भीगने में मस्त थी और जयसिंह उसे देखने में मस्त था,
अब तो जयसिंह को टॉवल से बाहर झांक रहे अपने लंड को वापस छुपाने की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी बल्कि वो तो खुद यही चाह रहा था कि उसकी बेटी की नजर उसके नंगे लंड पर पड़े और उसे देख कर वो दोनों ही बहक जाएं, और हुआ भी यही, बारिश में भीगते भीगते मनिका की नजर अचानक दोबारा अपने पापा के टावल में से झांक रहे मोटे तगड़े लंड पर पड़ी और उसकी मोटाई देख कर मनिका की बुर फुलने लगी, उसके बदन में झनझनाहट सी फैल गई, सांसे भारी सी होने लगी, उसने अपनी जीभ को अपने सूखे होठों पर ऐसे फेरा जैसे उसके सामने कोई मस्त कुल्फी पड़ी हो जिसे देखकर वो ललचा गयी हो,
इधर जयसिंह अब अच्छी तरह से जान चुका था कि इस समय उसकी बेटी की नजर उस के नंगे लंड पर टिकी हुई है, और जिस मदहोशी और खुमारी के साथ मनिका लंड को देख रही थी ,जयसिंह को लगने लगा था कि आज बात जरूर बन जाएगी।
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