RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
कनिका को विश्वास हो चला था कि उसके पापा अब सचमुच सो गए है, अब उसे अपने मैन मिशन को पूरा करना था,
उसके कांपते हाथ धीरे धीरे जयसिंह के लोअर की तरफ बढ़ने लगे, उसे लग रहा था जैसे वो जयसिंह से कोसो दूर है तभी उसके हाथों को वहां तक पहुंचने में इतना समय लग रहा है, पर आखिर कर उसके हाथ जयसिंह के लोअर के ठीक ऊपर आ पहुंचे थे, मनिका ने लोअर के ऊपर से ही जयसिंह के लंड वाली जगह को टटोला तो उसे जयसिंह का अर्धसोया लंड अपनी हथेलियों में महसूस होने लगा, उसकी उत्तेजना अब पल पल बढ़ती जा रही थी, उसे लगने लगा था कि अगर उसने जल्दी नही की तो कही उसका इरादा बदल न जाये, ओर ये सोचते ही ना जाने उसमे कहा से इतनी हिम्मत आ गयी कज उसमे पलक झपकते ही जयसिंग के लोअर के इलास्टिक को पकड़ा और झटपट नीचे कर दिया, जयसिंग की एक आदत थी, वो सोते समय अंडर वियर कम ही पहनता था, और आज भी उसने अंडर वियर नही पहनी थी, कनिका को लगा था कि अभी उसे दूसरी बाधा यानी जयसिंग की अंडर वियर को पर करना है पर उसे क्या पता था कि उसकी किस्मत आज उस पर बड़ी मेहरबान है,
जैसे ही उसने लोअर को खींचकर थोड़ा नीचे किया, जयसिंग का लंड पूरी तरह से नंगा उसकी आँखों के सामने आ गया, हालांकि वो उसे देख नही पा रही थी पर उसकी कल्पना मात्र से ही कनिका के बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी
अब कनिका के हाथ धीरे धीरे अपनी अंतिम मंजिल की ओर बढ़ने लगे और जल्द ही उसने अपनई नरम हथेलियों को जयसिंग के अर्धसोये लंड से मिलाप करवा दिया, कनिका जयसिंग के लंड को अपने हाथों में महसूस कर गनगना उठी, उसे भरोसा ही नही हो रहा था की आखिर उसने अपने पापा के लंड को छू लिया था,
वो धीरे धीरे अपनी कोमल हथेलियों से लंड के चारो ओर फंदा से बनाकर उसे होले होले ऊपर नीचे करने लगी, थोड़ी देर में ही उसकी मेहनत का असर नज़र आने लगा, जयसिंग के लंड ने अपना आकार बढ़ाना शुरू कर दिया था, पर कनिका इतने में खुश नही थी, उसे तो पुरा टाने हुआ लंड चाहिए था , इसलिए वो हल्के से उठी और पल भर के ही उसने अपने होठों को जयसिह के लन्द के सुपडे से छुआ दिया,
कनिका का बदन बुरी तरह से गरमा चुका था, उसके होठों की तपन से जयसिह के लंड में हलचल होनी शुरू हो गयी, कनिका ने अब आने वाले वक्त को किस्मत के भरोसे छोड़ दिया और उसने लपककर जयसिंह के लंड को जितना हो सके अपने मुंह मे ले लिया, अब तो जैसे अपने होश खो चुकी थी, उसे परिणाम की परवाह न थी, वो तो अब मज़े से जयसिंह के लंड को जोर जोर से चूस रही थी
इस तरह लंड पर गर्म अहसास से जयसिंह नींद में ही कसमसाने लगा, उसकी नींद अब हल्की हल्की टूटने लगी थी, उसका लंड अब लोहे की रॉड की तरह सख्त हो चुका था, इधर कनिका बेपरवाह होकर लंड चुसाई में तल्लीनता से लगी थी, पर तभी अचानक उसे अपने बालों पर किसी के हाथों का अहसास हुआ, वो घबरा गई, उसने अपना चेहरा ऊपर उठाना चाहा पर उन हाथों ने अपना ज़ोर लगाकर दोबारा कनिका को लंड चूसने पर मजबूर कर दिया
अब कनिका समझ चुकी थी कि उसके पापा जग चुके है और अब वो भी इस सब का मज़ा ले रहे है, कनिका को अपने प्लान की कामयाबी पर बड़ी खुश हुई, वो और ज़ोर लगाकर जयसिंग का लंड चूसने लगी, इधर जयसिंह भी कनिका के चेहरे को संचालित कर रहा था
लगभग 5 मिनट तक कनिका ने जमकर जयसिंह का लंड चूसा, जयसिंह को अपने आप पर बड़ा गर्व महसूस हो रहा था, अब जयसिंह ने कनिका के चेहरे को ऊपर उठाया और फिर कनिका की अपनी बाहों में भर लिया
जयसिंह - कनिका मैं कब से तुम्हारी प्यारी सी फुद्दि के लिए तरस रहा था बेटी
कनिका: (अपने होंठो को जयसिंह के होंठो के तरफ बढ़ाते हुए) सच….पापा.... .कनिका ने जयसिंह की आँखो में झाँकते हुए कहा, और फिर अपने होंठो को जयसिंह के होंठो से लगा दिया
कनिका की ये बात सुनते ही, जयसिंह ने टीशर्ट के ऊपर से ही कनिका की चुचि को मसल दिया…कनिका तो जैसे पागल हो गई….उसने पागलो की तरह जयसिंह के होंठो को चूसना शुरू कर दिया…जयसिंह भी उसके होंठो पर टूट पड़ा….दोनो के होंठो में मानो जैसे कोई जंग छिड़ गई हो…
दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे…कनिका के मुँह से उंह उंह की आवाज़ें आ रही थी…जब दोनो का साँस लेना मुस्किल हो गया था, तो कनिका ने अपने होंठो को जयसिंह के होंठो से अलग किया…और फिर अपनी अधखुली नशीली आँखों से जयसिंह की आँखो में झाँकते हुए बोली..
कनिका - वाह पापाआआआ.... आप तो एक्सपर्ट हो पूरे
जयसिंह - वो तो मैं हूँ
कनिका अब कोई बात करके समय नही गवाना चाहती थी….वो फिर से जयसिंह के होंठो को चूसने लगी. इस बार उसने कुछ देर जयसिंह होंठो को चूसने के बाद, अपने होंठो को अलग कर दिया….और जयसिंह के सर को अपनी गर्दन पर झुकाते हुए बोली.
कनिका: पापा मुझे प्यार करो ना…मुझे किस करो. मेरे बदन के हर हिस्से को चुमो, चाटो….खा जाओ मुझे….
जयसिंह जैसे ही कनिका के ऊपर आया…कनिका ने अपनी टाँगे खोल ली, जिससे जयसिंह की टाँगें उसकी जाँघो के दरमियाँ आ गई…और उसका तना हुआ लंड उसके लोअर में से कनिका की स्कर्ट के ऊपर से उसकी चूत से जा टकराया..
"आह पापाआआआ उंह “ कनिका अपनी स्कर्ट के ऊपर से ही जयसिंह के लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए सिसक उठी….
उसने अपनी टाँगो को कैंची की तरह जयसिंह की कमर पर लपेट लिया…जयसिंग ने भी उसके मम्मो को मसलते हुए अपने होंठो को उसकी सुरहीदार गर्दन पर लगा दिया….और उसके गर्दन को चाटने लगा…..कनिका मस्ती में फिर से सिसक उठी, उसने जयसिंह के सर के इर्द गिर्द घेरा बना कर उससे अपने से और चिपका लिया….
कनिका- ओह्ह्ह पापा हां खा जा मुझे आज पूरा का पूरा आहह…सीईइ पापा आज मेरी आग को बुझा दो पापाआआआ प्लीज़….
जयसिंह भी अब पूरी तरह मस्त होकर उसकी चुचियों को मसलते हुए, उसके गर्दन को चूम रहा था….और कनिका उसके सर को सहला रही थी…और बार बार अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा कर अपनी चूत को स्कर्ट के ऊपर से ही, जयसिंह के लंड पर दबा रही थी….
"ओह्ह्ह पापा आहह और ज़ोर से दबाओ ना मेरे मम्मे अह्ह्ह अह्ह्ह्ह…" मनिका सिसकी
फिर जयसिंह उसकी गर्दन को चूमता हुआ नीचे की ओर आने लगा….और उसके टीशर्ट से बाहर झाँक रहे मम्मो के ऊपरी हिस्से को अपने होंठो में भर कर चूसने के कोशिश करने लगा…
"आह हां चुस्ससो अह्ह्ह्ह पापा आह” ये कहते हुए, कनिका ने अपने हाथो को जयसिंह के सर से हटाया, और फिर अपने दोनो हाथों को नीचे ले जाकार अपनी टीशर्ट को पकड़ कर ऊपर करने लगी….ये देख जयसिंह जो कि अपना सारा वजन कनिका के ऊपर डाले लेटा हुआ था, वो अपने घुटनो के बल कनिका के जाँघो के बीच में बैठ गया….
कनिका ने अपनी टीशर्ट को पकड़ कर ऊपर करते हुए उतार दिया….और फिर बेड पर बैठते हुए अपनी ब्रा के हुक्स खोल कर उसे भी जिस्म से अलग कर दिया….ब्रा को अपने बदन से अलग करने के बाद, उसने जयसिंह की ओर देखा, जो उसकी छोटी छतों अधपकी चुचियों को खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था.
" ये आपको बहुत पसन्द है ना ?" कनिका ने मुस्कुराते हुए जयसिंह की ओर देखकर कहा, जयसिंह ने भी हां में सर हिला दिया
जयसिंह का लंड अब पूरी तरह तन गया था…जो अब सीधा कनिका की चूत की फांको के ठीक ऊपर था…..
कनिका ने फिर से उन्हे बाहों में भरते हुए, उनके सर को अपनी चुचियों पर दबा दिया…
"आह पापा चूसो ईससी अहह” जयसिंह भी पागलो की तरह कनिका की चुचियों पर टूट पड़ा….और उसकी एक चुचि को मुँह में भर कर उसके अंगूर के दाने के साइज़ के निप्पल को अपनी ज़ुबान से दबा -2 कर चूसने लगा…. कनिका ने उसके सर को फिर से सहलाना शुरू कर दिया…..
कनिका: आह चुस्स्स्स लो आह पापा खा जा मेरे मम्मो को अहह उंह सीईईईई आह हाईए मा ओह हां चुस्स्स्स्स पापा और ज़ोर ज़ोर सी से चूसो
कनिका की आवाज़ में अब मदहोशी साफ झलक रही थी….उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था…उसके गाल लाल होकर दिखने लगे…फिर कनिका को अपनी चूत की फांको पर जयसिंह के लंड का गरम सुपडा रगड़ ख़ाता हुआ महसूस हुआ. कनिका एक दम से सिसक उठी, उसने जयसिंह के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया, उसका निपल खींचता हुआ जयसिंह के मुँह से पक की आवाज़ से बाहर आ गया….
कनिका: (मस्ती में सिसकते हुए) हाय कितने जालिम हो आप….
कनिका की आँखें अब वासना के नशे में डूबती हुई बंद हुई जा रही थी, उसने अपनी नशीली अध खुली आँखों से एक बार जयसिंह की तरफ देखा, फिर उसके होंठो से अपने होंठ सटा दिए, जयसिंह ने भी कनिका के नीचे वाले होंठ को अपने होंठो में दबा-2 कर चूसना शुरू कर दिया….
"उंह अहह उंघह" कनिका घुटि आवाज़ में सिसक रही थी….
उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाकार जयसिंह के लंड पर रखा, और उसे अपनी मुट्ठी में भर लिया, जयसिंह के बदन में तेज सरसराहट दौड़ गई, कनिका ने अपने होंठो को जयसिंह के होंठो से अलग किया और अपनी टाँगो को फेला कर घुटनो से मोड़ कर ऊपर उठा लिया, जयसिंह तो जैसे इस पल का इंतजार में था….वो अपने घुटनो के बल कनिका की जाँघो के बीच में आ गया, जैसे ही उसकी नज़र कनिका की फूली हुई चूत पर पड़ी, उसका लंड फिर से झटके खाने लगा, जो उस वक़्त कनिका के हाथ में था, कनिका जयसिंह के लंड की फुलति नसों को अपने हाथ में सॉफ महसूस कर रही थी…..
उसने जयसिंह के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर दबाया, तो जयसिंह के लंड का सुपडा उसकी चूत की फांको को फेलाता हुआ, छेद पर जा लगा, कनिका की कुँवारी चूत की फाँकें जयसिंह के लंड के सुपाडे के चारो तरफ फैेलाते हुए कस गई, अपनी चूत के छेद पर जयसिंह के लंड का गरम सुपडा महसूस करते ही उसके बदन में मानो हज़ारो वॉट की बिजली कोंध गई हो, उसका पूरा बदन थरथरा गया….
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