RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
प्रेम वहाँ से सीधा अपने खेतो पर गया जो नज़ारा उसने देखा था वो उसके मन मे जैसे बस ही गया था अपनी बहन का मस्त भीगा बदन बार बार उसकी ख़यालो मे आ रहा था आख़िर उस से जब रहा नही किया तो वो अपने लंड को हिलाने ही जा रहा था कि तभी कुछ आवाज़ हुई और वो बाहर को आ गया उसने देखा कि विनीता उसकी तरफ ही चली आ रही है , तो उसने उसको नमस्ते किया इधर प्रेम को देख कर विनीता भी खुश हो गयी
विनीता ने तो ठान ही लिया था कि कैसे भी करके प्रेम के लंड को अपनी भोसड़ी मे लेकर ही रहेगी तो उसने उस पर डोरे डालने का सोचा और बोली प्रेम तू क्या कर रहा है तो प्रेम बोला चाची घास काटने आया हूँ काफ़ी बढ़ गयी है तो विनीता बोली- मैं भी घास काटने ही आई हूँ आजा साथ मे ही काट ते है जबकि विनीता उसको अपनी ओर रिझाना चाहती थी थोड़ी देर घास काटने के बाद
विनीता एक अंगड़ाई लेते हुए बोली –बेटे आजकल कमर मे कुछ ज़्यादा ही दर्द रहने लगा है जब विनीता अंगड़ाई ले रही थी तो उसकी मदमस्त चूचिया जैसे दो पल के लिए तन सी गयी थी तो प्रेम की निगाह भी पड़ गयी उन पर फिर विनीता ने उसे थोड़ा और दिखाने का सोचा और अपने पल्लू को सीने से हटा कर उस से अपने चेहरे को पोंछने का बहाना करने लगी
ब्लाउज से बाहर आने को बेताब उसकी चूचिया अब प्रेम की नज़रो के सामने थी और वो भी खुद को रोक ना पाया उनकी तरफ घूर्ने से विनीता की शातिर नज़रो ने भाँप लिया कि प्रेम भी उत्सुक है बस इसे लाइन पर लाना है जबकि वो ना समझी कि वो तो खुद चूत मारने को मारा जा रहा है विनीता फिर से घास काटने को बैठ गयी पर इस बार उसने अपने पल्लू से सीना को नही ढका बल्कि पल्लू को कमर पर लगा लिया
जब वो बैठ कर घास काट रही थी तो प्रेम की निगाहें बार बार उसके गोरे गोरे उभारों पर जा रही थी , तो उसका हाल बुरा होना शुरू हुआ उसका लंड पॅंट के अंदर ही अकड़ने लगा उसके लंड का उभार विनीता की नज़रो से ना छुपा रहा, घास की कटाइ के बाद वो वापिस हो रहे थे तो विनीता आगे को चल रही थी अपनी भारी गान्ड को कुछ ज़्यादा ही मटकाते हुए .
जिस से प्रेम का हाल बुरा हो रहा था उसने सोचा कि विनीता चाची भी मस्त औरत है और उनकी गान्ड तो किसी मोटे तरबूज जैसी है तभी अचानक से विनीता ज़मीन पर बैठ गयी और कराहने लगी तो प्रेम ने पूछा क्या हुवा चाची-
विनीता- चेहरे पर दर्द के भाव लाते हुए बेटा लगता है मोच सी आ गयी है ज़रा मदद कर मुझे खड़ा होने मे तो प्रेम ने उसको उठाया तो विनीता जान बुझ कर उसके सीने से लग गयी
और अपनी चूचियो से उसके सीने को दबा दिया प्रेम को बहुत ही अच्छा लगा पर फिर अगले ही पल वो उस से दूर हो गयी और अपना हाथ उसके कंधे पर रखते हुए बोली –बेटा बहुत दर्द हो रहा है , मुझसे तो चला ना जाएगा एक काम कर तू मुझे उठा ले और मेरे खेत तक छोड़ दे , तो प्रेम ने उसे अपनी गोदी मे उठा लिया और विनीता के खेत मे बने कमरे की तरफ चल दिया
वहाँ ले जाकर उसने उसको चारपाई पर लिटा दिया, और जाने लगा तो विनीता बोली- बेटा मुझे इस हालत मे छोड़ कर कहाँ जा रहा है ज़रा पैर को दबा दे थोड़ा आराम हो जाए तो मैं भी घर को पहुचु तो प्रेम भी खाट पर बैठ गया और उसकी टाँग को दबाने लगा विनीता ने साड़ी को थोड़ा सा उपर की ओर कर लिया ये प्रेम का पहला अवसर था जब वो यूँ किसी औरत को छू रहा था विनीता के बदन के स्पर्श से उसका बदन गरम होने लगा था
उसकी पिंडलियो को दबाते दबाते उसका हाथ अब घुटनो तक पहुच रहा था विनीता उसकी तारीफ करते हुवे बोली-बेटा तू तो बहुत ही अच्छी मालिश करता है बड़ा आराम मिला है एक काम कर थोड़ा सा दर्द मेरी कमर मे भी हो रहा है तो ज़रा उसे भी दबा दे और फिर वो घूम गयी अब उसकी पीठ उपर को हो गयी थी उसकी मोटी गान्ड प्रेम की आँखो के सामने थी प्रेम उसकी कमर को अपने हाथो से दबाने लगा तो विनीता ने एक आह सी भरी
इधर नीचे कच्छी के अंदर विनीता की चूत का बुरा हाल हुआ था उसकी कच्छी चूत के पानी से पूरी तरह भीग गयी थी उसकी टाँगे अब चिपचिप कर रही थी पर वो सीधे सीधे तो नही बोल सकती थी प्रेम को कि उसे चोद दे, पर अब उसके लिए भी मुश्किल हो राहा था तो उसने कहा बेटा ऐसे दर्द कम ना होगा तू मेरी कमर पर बैठ कर मालिश कर
इधर प्रेम भी थोड़ा सा मूड मे था तो वो फॉरन उसके उपर चढ़ गया उसके मोटे चुतड़ों पर अब प्रेम के लंड का अहसास विनीता को पागल करने लगा था मालिश तो बहाना था , जब की प्रेम का लंड भी विनीता की गान्ड मे घुसने को बेताब हो रहा था जब जब प्रेम आगे को झुकता उसके लंड की रगड़ से विनीता के चुतड़ों मे सुर सुराहट ही फैल जाती
करीब आधे घंटे तक वो दोनो ऐसे ही करते रहे और फिर विनीता ने कस कर अपनी आँखो को बंद कर लिया उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया था,
दूसरी ओर उषा आज अपनी एक सहेली से मिलने आई थी जो कि शादी के बाद पहली बार मायके आई थी ये उसकी पक्की सहेली थी तो दोनो कई बाते शेयर करती थी जब उसकी सहेली ने अपनी सुहागरात का किस्सा उषा को बताया तो उषा भी गरम हो गयी कि कैसे उसके पति ने उसको मज़े दिए
उषा का दिल भी चुदाई के लिए मचलने लगा पर वो ऐसे तो नही चुद सकती थी किसी के साथ भी और उसकी सहेली ने जो बाते उसे उसे बताई थी कि चुदाई मे कितना मज़ा आता है तो उसकी चूत तो बहने से रुक ही नही रही थी और फिर उसे ख़याल आया कि सुबह जब उसके भाई ने उसे नंगा देखा तो उसका लंड भी तो तन गया था तो क्या प्रेम उसे चोद सकता है नही नही ये मैं क्या सोचने लगी वो मेरा भाई है उसके साथ मैं कैसे
पर उसने भी तो उसे नंगी देखा देखा था , और अगर वो अपनी चूत अपने भाई से चुदवा लेगी तो बदनामी भी ना होगी और मज़े का मज़ा भी मिलेगा पर सीधा कैसे कह दूं भाई चोद दे अपनी बहन को और उसकी खुजली को मिटा दे, आख़िर उषा ने सोचा कि वो पहले प्रेम को लाइन देगी अगर वो भी तैयार हुआ तो देखा जाएगा सब लोग अपना अपना जुगाड़ करने मे लगे थे
क्रमशः............................
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