RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
दूसरी तरफ अपने खड़े लंड को हाथ मे लिए सौरभ वो सेक्सी कहानियो वाली किताब को पढ़ रहा था, आधी से ज़्यादा वो पढ़ चुका था कि तभी एक ऐसी कहानी आई जो आने वाले वक़्त मे उसके जीवन मे एक अलग ही परिवर्तन लाने वाली थी…
जैसे जैसे सौरभ उस कहानी को पढ़ता जा रहा था उसका गला सूखता जा रहा था उसकी आँखो मे सुरखी बढ़ती जा रही थी उसके लंड की नसें और भी ज़्यादा फूलने लगी थी दरअसल वो जो कहानी पढ़ रहा था वो इस बारे मे थी कि कैसे एक माँ अपनी प्यास अपने बेटे से चुदकर बुझवाती है, सौरभ को वो कहानी पढ़ कर बहुत मज़ा आया अब उसके लिए अपने आप पर काबू करना बड़ा ही मुश्किल था हो अपने लंड को जोरो से हिलाने लगा
और जब उसका पानी गिरने को हुआ तो उसने अपनी आँखे बंद कर ली और तभी उसकी आँखो के सामने उसकी मम्मी विनीता का चेहरा आ गया और लंड से वीर्य की धार बह चली आज से पहले उसका कभी इतना पानी नही गिरा था जब वो शांत हुआ तो वो सोचने लगा कि मम्मी भी तो बहुत सुंदर है बिल्कुल किसी परी की तरह लगती है और उनके चूतड़ भी कितने मस्त है काश उस कहानी की तरह मैं भी कभी मम्मी को चोद पाता तो मज़ा ही आ जाता
ऐसे ही सोचते सोचते उसने एक बार और अपना लंड हिलाया और फिर सो गया.अगले दिन जब वो जगा तो उसने देखा कि विनीता बाहर आँगन मे बैठ कर बर्तन धो रही है और उसकी पीठ सौरभ की तरफ थी तो उसके कुल्हो का कटाव देख कर सौरभ के होश फाकता हो गये थे उसने पहले कभी भी अपनी मम्मी को उस नज़र से नही देखा था तो ये जानते हुए भी कि ये ग़लत है सौरभ रोमांचित सा होने लगा
अब उसके दिमाग़ मे बस एक ही बात थी कि क्या वो अपनी मम्मी को पटा कर चोद सकता है या नही तो उसने चान्स लेने की सोची पर कैसे ये उसे मालूम नही था दूसरी तरफ उषा सुधा के साथ मामा के घर आ तो गयी थी पर उसकी चूत की बढ़ती प्यास ने उसका जीना हराम कर रखा था वो हर हाल मे अपने भाई के लंड को अपनी चूत मे लेना चाहती थी पर वो इधर फँसी पड़ी थी तो बस चूत को उंगली का ही सहारा था वो जल्दी से जल्दी गाँव जाने को उतावली पड़ी थी
इधर प्रेम के मुँह जो खून लग गया था वो तो बस विनीता को चोदने के मोके की तलाश मे ही रहता था और कुछ ऐसा ही हाल विनीता का भी था पर दिन मे मोका लगने का कोई चान्स था ही नही तो बस रात का ही सहारा था , पर वो इस बात से अंजान थी कि अब उसके मादक जिस्म का रस्पान करने के लिए उसका अपना बेटा भी तैयार हो चुका है और मोके की तलाश मे है पर गरम चूत कहाँ किसी लाज शरम की बात करती है
इधर रात को सुधा सोने की कोशिश कर रही थी पर ना जाने क्यो उसको नींद नही आ रही थी उसका ध्यान अपने बेटे के बड़े तने हुवे लंड पर बार बार जा रहा था दरअसल उसे सपना आया था कि वो अपने बेटे के लंड पर कूद रही है सपना तो टूट गया था पर उसकी आँखो मे वो सीन जैसे जम गया था तो उसे अपनी सोच पर हैरानी हो रही थी कि कैसे वो अपने बेटे के बारे मे ऐसा सोच सकती है अंजाने मे उसने अपनी चूत पर हाथ लगाया तो देखा कि वो बुरी तरह से टपकी पड़ी थी
सुधा को खुद पर शरम सी आई पर उसने फिर सोचा कि वो भी तो एक औरत थी उसकी भी कुछ जिस्मानी इच्छाये थी जो पति के मरने के बाद उसने जैसे तैसे करके दबा ली थी पर अब चिंगारी फिर से भड़क ने लगी थी और फिर सुधा भी टंच माल थी गाँव के कई आदमी उसकी पीछे लट्टू थे बस उसके एक इशारे भर की देर थी पर सुधा ने किसी को घास नही डाली थी तो दोस्तो हर कोई अपनी अपनी उलझनों मे उलझा पड़ा था पर सबकी मंज़िल एक ही थी जिस्मो की प्यास को बुझाना
तो उस रात को भी प्रेम और विनीता ने जम कर अपने जिस्मो की आग को बुझाया पूरी रात विनीता प्रेम के लंड के झूले पर झूलती रही प्रेम ने रगड़ रगड़ कर उसकी मुनिया को कूटा था, पर यहाँ पर एक दिक्कत हो गयी थी जब सुबह अंधेरे विनीता वापिस अपनी दीवार को कूद रही थी तो उसका बॅलेन्स बिगड़ गया और वो गिर गयी उसके घुटने पर चोट लग गयी जैसे तैसे करके वो अपने कमरे मे पहुचि दर्द के आलम मे पता नही कब उसकी आँख लग गयी
सूरज चढ़ चुका था सौरभ भी उठ गया उसने मम्मी को आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नही आया तो वो उपर चला गया तो देखा की विनीता अभी भी सोई पड़ी थी कुछ तो रात को चुदाई की थकान थी और कुछ चोट का असर सांस लेने के कारण उसका सीना उपर नीचे हो रहा था तो सौरभ उस नज़ारे को देख ने लगा उसका लंड हरकत मे आने लगा कुछ देर तक नज़रें को देखने के बाद उसने हिला कर विनीता को जगाया तो वो हड़बड़ाते हुवे उठी पर अगले ही पल उसके जिस्म मे दर्द की लहर दौड़ ती चली गयी
सौरभ ने पूछा तो उसने झूठ बोलते हुए कहा कि बेटा रात को बाथरूम जाते टाइम फिसल गयी जिस से घुटने मे चोट लग गयी तो दर्द हो रहा है वो बिस्तर से उठना चाहती थी पर उठ ना पा रही थी तो सौरभ ने उसको सहारा देकर उठाया इसी बीच सौरभ का हाथ उसकी माँ की कमर को टच कर गया तो उसके जिस्म के तार झन झना गये चूँकि पैर मे बहुत दर्द था तो डॉक्टर को बुलाया गया उसने चेक करके बतया कि शूकर है घुटना टूटा नही पर करीब 10-15 दिन तक देखभाल करनी होगी और उसने घुटने पर एक बॅंड बाँध दिया और कुछ दवाइयाँ देकर चला गया
चोट के कारण प्रेम और विनीता दोनो के लिए ही मुश्किल खड़ी हो गयी थी दोनो के बदन मे जलती हुई चुदाई की आग उन्हे बड़ा ही परेशान कर रही थी पर दोनो मजबूर थे जबकि मम्मी की चोट सौरभ के लिए किसी वरदान से कम नही थी उसके बापू की तरक्की कर दी गयी थी तो वो अब कई कई दिन मे घर आने लगा था जबकि विनीता के कई काम सौरभ को ही करने पड़ते थे जैसे कि जब वो कहीं जाती तो सौरभ उसको सहारा देता जब वो मूतने जाती तो सौरभ बाथरूम के दरवाजे पर ही खड़ा रहता
अंदर से आती मूत की सुर्र्र्र्र्र्र्ररर सुर्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ उसे बड़ा ही रोमांचित करती थी पर वो चाह कर भी आगे नही बढ़ पा रहा था था पर किस्मत ने उस पर भी मेहरबानी करनी ही थी, उस दिन विनीता बाथरूम मे नहा रही थी और सौरभ बाहर खड़ा था विनीता घुटने मे बॅंड बँधा होने के कारण दीवार का सहारा लेकर खड़ी खड़ी ही नहा रही थी कि तभी उसके हाथ से साबुन फिसल कर नीचे फर्श पर गिर गया अब चूँकि वो नंगी नहा रही थी तो सौरभ को भी नही बोल सकती थी तो उसने खुद ही सोचा कि जैसे तैसे करके साबुन उठा ती हूँ पर इसी चक्कर मे उसका पैर साबुन पर टिक गया और वो फिसल गयी और सामने रखी बाल्टी से टकरा गयी एक तो पहले से ही घुटने मे चोट लगी पड़ी थी दूसरी ओर अब उसका कुल्हा बाल्टी से टकरा गया तो उसके गले से तेज चीख निकल गयी और वो तो रोने ही लगी उसको बहुत तेज दर्द हो रहा था उसकी चीख सुनकर बाहर से सौरभ ने तुरंत ही दरवाजे को हड़काया और जो अंदर का नज़ारा उसने देखा तो उसके होश फाकता हो गये
फर्श पर विनीता नंगी पड़ी थी साबुन कहीं लगा था कही नही लगा था उसकी टाँगे खुली हुई थी जिस से सौरभ की नज़रे सीधी उसकी रेशमी झान्टो से भरी चूत पर ठहर गयी उस गुलाबी रंग की पंखुड़ियो से सजी काले रंग की चूत के छेद को देख कर सौरभ का काबू खुद से खोने लगा उसकी सुध्बुध खोने लगी थी जबकि विनीता सौरभ के इस तरह से बाथरूम मे आ जाने से शरम से गढ़ गयी थी उसने अपने हाथो से अपने बोबो को ढकते हुए और जैस तैसे करके चूत को टाँगो मे छुपाने की असफल कोशिश करते हुए दर्द भरी आवाज़ मे कहा देख क्या रहा है उठा मुझे तो सौरभ का ध्यान टूटा उसने सूखे गले से कहा हम उठा ता हूँ और फिर उसने आगे बढ़ कर विनीता को उठाया तो उसने उसकी गान्ड को भीच दिया तो विनीता चिहुन्क गयी उसके अपने बेटे ने उसकी गान्ड को दबाया था नही नही उसने सोचा ग़लती से उसका हाथ लग गया होगा हाँ ऐसा ही हुआ होगा सौरभ ने उसके शरीर पर पास रखी साड़ी लपेटी और उसको कमरे मे ले आया
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