RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
बलवीर जैसे सदियों से प्यासा था ,वो उसके निप्पल को चूसने लगा,लेकिन मोंगरा के चहरे पर वासना की लकीर भी नही खिंची वो बलवीर को अपने बच्चे की तरह अपने सीने से और भी जोर से चीपका कर उसे अपने स्तनों का रस पिलाने लगी ,उसके बाल बलवीर का चहरा ढंके हुए थे और उसके हाथ बलवीर के सर को सहलाते हुए उसे अपना प्यार दे रहे थे,बलवीर किसी भूखे बच्चे की तरह मोंगरा की भरी छातियों को चूस रहा था ,उसके आंखों में आंसू था ,और मोंगरा की भी ममता जैसे छलक रही हो वो भी उस मजे में आंसू बहा रही थी…
ना जाने ये कैसा अजीब सा रिश्ता था इन दोनो के बीच का…
बहुत देर तक वो बस ऐसे ही उसकी छातियों को चूसता रहा…
जब दोनो ही थक गए तो वो अलग हुआ और कुछ सोचता हुआ बोला…
“सरदार एक नया इंस्पेक्टर आया है प्रभात की जगह पर “
“तो क्यो मुश्किल है क्या ???”
“हा है तो “
“क्या “
“बहुत ईमानदार है “
मोंगरा जोरो से हँस पड़ी और उसके चहरे में एक गजब की आभा छा गई जिसे बलवीर देखता ही रह गया जैसे उसमे खो जाएगा
“हा ईमानदार है तब तो सच में मुश्किल है ,लेकिन देखे तो उसकी ईमानदारी कितनी है और किस चीज की है ,जो पैसे से नही बिकते वो डर के बिक सकते है ,जो डरते भी ना हो वो औरत के जिस्म के आगे बिक जाते है “
मोंगरा थोड़ी गंभीर हो चुकी थी
“सरदार जंहा तक मुझे पता चला है वो ना तो आजतक पैसे में बिका ना ही किसी से डरा इसलिए एस.पी.ने आपको पकड़ने यंहा भेजा है ,लेकिन औरत का पता नही …”
मोंगरा के चहरे में मुस्कान आ गई
“ठीक है उसे भी आजमा लेंगे “
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सुबह सुबह जब सूर्य भी नही निकला था ,अजय अपनी आदत के मुताबिक दौड़ाने निकल पड़ा उसे सुबह का माहौल बहुत पसंद था साथ ही उसे पसंद थी सुबह की हवा ,और पसीने में तर होता हुआ शरीर ..
अभी 4 ही बजे होंगे,जगह नई थी लेकिन सुहानी थी ,जंगलों और पहाड़ो से घिरा हुआ जगह था,दूर दूर तक कोई बस्ती नही ,वो दौड़ाता हुआ जंगल में बने पगडंडियों में आगे निकल आया था ,थककर एक जगह रुक गया जहां पानी की कलरव ध्वनि सुनाई दे रही थी ,लगा जैसे पास ही कोई झरना होगा,वो अपनी सांसों को काबू में करता हुआ था आगे जाने लगा,
उसे किसी लड़की की मधुर आवाज सुनाई देने लगी …
झाड़ियों के कारण उसे कुछ दिखाई तो नही दे रहा था लेकिन वो उस ओर बढ़ता गया,सूरज अभी अभी अपनी लालिमा फैला रहा था,उसे घर से निकले 1-1.30 घण्टे तो हो ही गए होंगे …
मौसम में ठंड अभी भी थी ,लेकिन वो पसीने से भीग चुका था ,उसे इस जंगल के सुहाने मौसम में पता ही नही लगा की वो कितना आगे आ गया है ,
सामने के दृश्य को देखकर अजय का युवा मन आनंदित हो उठा ,वो कौतूहल से सामने देखे जा रहा था ..
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