RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
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रात के अंधियारे में हल्की केंडल की रौशनी बिखर रही थी और बलवीर अपनी सरदार के शरीर की मालिश कर रहा था ,
मोंगरा अभी बस एक पेटीकोट पहने हुए बैठी थी,ऊपर का बदन पूरा नंगा ही था , उसके बड़े और घने बाल ही उसके वक्षो को छुपा रहे थे ,और बलवीर उसके पीछे बैठा हुआ उसके पीठ पर तेल मल रहा था ,उसके हाथो की फिसलन से चम्पा को बेहद ही सुकून मिल रहा था ..
ऐसे तो बलवीर को मोंगरा अपना सब कुछ ही दिखा चुकी थी लेकिन फिर भी एक पर्दा जरूर रखती थी क्योकि उसे पता था की वो उसकी सरदार है और अगर वो अपनी इज्जत नही करेगी तो गिरोह के लोग उसकी इज्जत कैसे करेंगे …
वो अपने मर्जी से मजे करती थी ना की किसी के जबरदस्ती या दवाब में ,चाहे दबाव प्यार का ही क्यो ना हो …
ऐसा बलवीरर के लिए तो वो उसकी मां थी माना की गिरोह के सभी सदस्य मोंगरा से उम्र और बल में बड़े थे लेकिन फिर भी उसका प्रभाव ऐसा था की वो उसे मां मानते थे ,और मोंगरा अपने गिरोह के सभी सदस्यों को अपना बेटा…
ये अलग बात थी की ये बस एक प्रतीक ही था और सब कुछ मोंगरा के ऊपर ही था………
बलवीर के गर्म हाथो के स्पर्श से मोंगरा के जिस्म की गर्मी भी बढ़ रही थी लेकिन फिर भी ना जाने वो आजकल खुद को क्यो बलवीर से दूर रख रही थी ,बलवीर के दिमाग में ये बात भी चलती थी लेकिन वो फिर भी था बड़ा ही वफादार साथी,
“सरदार आप कुछ अलग सी लग रही हो कुछ दिनों से “
मोंगरा के चहरे में थोड़ी मुस्कान आ गई वो जानती थी की आखिर बलवीर ऐसा क्यो कह रहा है …फिर भी उसने कहा
“क्यो..”
बलवीर को कुछ भी बोलते नही बना ,वो क्या बोलता की हमारे बीच जिस्मानी संबंध नही बन पा रहे है?
मोंगरा को भी पता था की बलवीर ये नही बोल पायेगा ,मोंगरा पलट कर लेट गई ,उसके घने काले बाल अब भी उसके वक्षो को ढंके थे लेकिन अब उसका चहरा बलवीर के चहरे के नीचे था,दोनो की ही आंखे मिल रही थी ..
मोंगरा ने अपना हाथ आगे किया ,बलवीर इशारे को समझता हुआ उसकी ओर झुका,मोंगरा ने अपने हाथो से बलवीर का सर पकड़ लिया और अपने सीने से लगा लिया ,बलवीर जैसे आनन्द के सागर में डूब गया हो ,उसकी आंखे बंद हो गई ,
बाल अभी भी मोंगरा के छाती पर फैले हुए थे और बलवीर के चहरे से रगड़ खा रहे थे ,लेकिन बलवीर ने कोई भी शिकायत नही की ,वो मोंगरा के ऊपर जबरदस्ती नही कर सकता था,चाहे पूरे गिरोह में उससे बलशाली कोई नही था लेकिन मोंगरा के सामने वो बस एक गुलाम की तरह वफादार था और एक बच्चे के तरह मासूम ..
बलवीर का विशाल शरीर मोंगरा के ऊपर छा गया था और मोंगरा के इशारे से वो उसके वक्षो में अपने जीभ को रगड़ता हुआ उसका दूध निचोड़ने लगा था ,मोंगरा की भी आंखे मजे में बंद हो जाती लेकिन फिर वो बस शून्य को देखने लगती जैसे कोई लाश हो ,बलवीर जब कुछ देर तक उसे ऐसे ही लेटे हुए महसूस किया तो वो उठकर मोंगरा के आंखों को देखने लगा जो की अभी भी शून्य को ही घूरे जा रही थी ..
“क्या हुआ सरदार ..”
जैसे मोंगरा की तंद्रा टूट गई…
“उस इंस्पेक्टर का समझ नही आ रहा है”
“चम्पा को तो उसके पीछे लगाया है ना अपने “
“हा लेकिन वो इतना अच्छा है की चम्पा भी उसके प्यार में पड़ने लगी है…”
उसकी बात सुनकर बलवीर के चहरे का भी रंग उड़ने लगा …
“रास्ते से ही हटा देते है “
बलवीर थोड़ा धीरे से ही कहा लेकिन मोंगरा के चहरे पर डर के भाव आ गए
“नही हमने कसम खाई थी की किसी बेगुनाह को नही मरेंगे “
“लेकिन वो हमारी सबसे बड़ी मुसीबत बन सकता है “
मोंगरा थोड़ी देर यू ही चुप रही
“उसे चम्पा ही अपने प्यार से सम्हालेगी…”
बलवीर थोड़ा चिंतित तो था लेकिन मोंगरा के सामने वो क्या कह सकता था ...
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