kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
02-04-2020, 12:27 PM,
#49
RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
चटाक ….
प्राण गुस्से से कांप रहा था,वही रणधीर के लिए ये शाररिक से जायद मानसीक और भावनात्मक दर्द था,हवेली का माहौल तनावपूर्ण था,पिता ने अपने पुत्र पर पहली बार हाथ उठाया था,
“तुम इस रांड के कारण हमारे नियमो को तोड़ दिया,क्या तुम्हे पता नही की इसे बाहर जाने की इजाजत नही है …”
प्राण ने कांपते हुए कहा ..
रणधीर की नजर नीचे थी ..
“ठाकुर साहब आप खामख्वाह डर रहे है मैं कहा भाग जाऊंगी जो आप मुझे बांध कर रखना चाहते है ,और रणधीर ने जो भी किया वो मेरे कारण किया सजा मुझे मिलनी चाहिए…”
मोंगरा की निडरता से प्राण और भी बौखला गया ..
“चुप कर रांड …ये हमारे घर का मामला है ”
प्राण चिल्लाया
“पिता जी आप उसे बार बार यू रांड कहना बंद कीजिये वो रांड नही है “
रणधीर की इस बात से सभी स्तब्ध रह गए वही मोंगरा और पूनम के होठो में दबी हुई मुस्कान आ गई ,प्राण स्तब्ध सा रणधीर को देख रहा था ..
वो गुस्से में उसके ऊपर फिर से हाथ उठाने ही वाला था कि परमिंदर ने उसे रोक लिया ,
“चले जाओ यंहा से “
प्राण कांपते हुए बस इतना ही कह पाया …

************
शाम रात में बदलने लगी थी और हवेली में एक सन्नाटा छा गया था ,
रणधीर मोंगरा के कमरे की ओर जा रहा था लेकिन कुछ आवाजो ने उसे खिड़की के पास ही रोक दिया ..
खिड़की पूरी तरह से बंद नही थी और आवाजे साफ थी …
रणधीर ने हल्के से धक्का लगाया और खिड़की खुलती गई ..
अंदर का नजारा देख कर रणधीर के दिल में एक जोर का झटका लगा……..।
अंदर मोंगरा उसी कपड़ो में लेटी थी जिसमे वो आज उसके साथ थी ,और बलवीर उसके बिल्कुल ही बाजू में सोया हुआ था,
बलवीर ऊपर से नंगा था उसके चौड़े सीने में उगे हुए घने बाल उसकी मर्दानगी बता रहे थे जिससे मोंगरा खेल रही थी ,
मजबूत लोहे सा जिस्म था,अपनी जवानी के पूरे शबाब में दोनो ही काम के साक्षात पुतले लग रहे थे..
मोंगरा की आंखों में मदहोशी थी जो साफ साग बता रही थी की उसके मनोदशा इस समय क्या होगी ..
उसकी साड़ी का पल्लू बिस्तर से नीचे लटक रहा था और ब्लाउज के कुछ बटन खुले हुए थे,पसीने उसके गले से उतर रहा था,सांसे तेज थी ,चहरे की लालिमा बढ़ी हुई और आंखों में मदहोशी..
मोंगरा ने अपने होठो को बलवीर के छतियो में लगा दिया,वो उसे बड़े ही प्यार से चूम रही थी,बलवीर ने अपनी मजबूत भुजा से उसे कस लिया मोंगरा जैसी धाकड़ लड़की की भी आह निकल गई ..
“तुम्हे नही पता की आज मैं कितना जला हु तुम्हारे लिए तुम्हे किसी और के बांहो में देखने से बड़ी सजा क्या हो सकती है ..”
मोंगरा ने आंखे उठाकर उन मासूम आंखों को देखा जो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थे ..
और ऊपर उठाकर उसके होठो में अपने होठो को मिला दिया ,
रणधीर के दिल में जैसे खंजर चल गया हो..वो दर्द से तिलमिला उठा..
“मैं किसी के साथ भी रहु लेकिन रहूंगी तुम्हारी ही मेरी जान ,आज मेरा कौमार्य तुम्हारे हाथो से टूटेगा,ये अधिकार मैं तुम्हे ही दे सकती हु .तुम्ही सच्चे मर्द हो ...”
रणधीर को रोना ही आ गया ,लेकिन वो अब और भी विस्मय में था क्योकि जब मोंगरा ने जब ये कहा की तुम्ही सच्चे मर्द हो तो वो खिड़की की ओर देख कर मुस्कुराई ..
रणधीर को इस बात पर विस्वास ही नही हो रहा था की मोंगरा ये जानते हुए भी बलवीर की बांहो में थी की वो उसे देख रहा है ..
मोंगरा की कातिलाना अदा बिना किसी हथियार के भी किसी को मारने को काफी थी ,रणधीर को ये अपने आंखों का धोखा ही लगा..
मोंगरा बलवीर को उकसा चुकी थी और बलवीर ने उसे अपने नीचे डाल लिया,वो जानवरो सा उसके ऊपर टूट पड़ा..
एक ही झटके में उसके सीने को ब्लाउज से आजद कर दिया ,और उसकी साड़ी निकाल फेंकी..
मोंगरा अब बस एक पेटीकोट में थी और बलवीर के विशाल शरीर के नीचे मचल रही थी ,
“मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु मोंगरा ,तुम मेरी हो मेरी हो …”
बलवीर उसके पूरे चहरे को चूमने लगा,
मोंगरा का हाथ ऊपर था जिसे बलवीर के मजबूत हाथो में थाम रखा था,वो उसके उरोजों को चूमे जा रहा था,उसका दूध पीने की पूरी जिद में था,
मोंगरा की सिसकियां बढ़ते ही जा रही थी ,
बलवीर उठा और उसने अपने नीचे के वस्त्रों को निकाल फेका,उसके नाग की फुंकार ने रणधीर को भी डरा दिया था,उसकी आंखे और भी फट गई थी,मोंगरा भी उसे बिना पलक झपकाए देख रही थी ..
“तुम सच में सच्चे मर्द हो बलवीर “
मोंगरा ने उसके लिंग को हाथो से भरा और अपनी ओर खिंच लिया ,बलवीर की कमर अब लेटी हुई मोंगरा के होठो के पास थी बलवीर की आंखे बंद थी ,मोंगरा एक बार फिर खिड़की की ओर देखते हुए मुस्कुराई और खिड़की की ओर देखते हुए ही होले से बलवीर के ताजे लिंग को अपने होठो से सहलाकर अपने मुह में ले लिया,बलवीर मानो सुख के सातवे आसमान में पहुच चुका था…
“आह मेरी मोंगरा “उसका हाथो मोंगरा के सर पर अपने ही आप आ चुका था,मोंगरा भी अब खिड़की को देखना बंद कर चुकी थी उसकी आंखे भी बंद हो चुकी थी वो इतनी तन्मयता से बलवीर का लिंग चूस रही थी मानो समय रुक गया हो और मोंगरा के पूरे प्राण उसी एक काम में लग गए हो …
बलवीर का गीला लिंग अब और भी चमक रहा था,मोंगरा ने अपने पेटीकोट का नाडा खुद ही खोल दिया .अंदर बालो से ढकी हुई योनि को देखकर बलवीर उसपर ही टूट पड़ा,उसके होठ मोंगरा के योनि को पूरी तरह से सहला रहे थे…
“आह आह मैं मर जाऊंगी बलवीर आह ..मेरी जान “
मोंगरा की सिसकियां बढ़ने लगी थी ,थोड़ी ही देर में उसका बदन अकड़ा और वो निढल होकर गिर गई …….
कुछ देर उसकी आंखे बंद ही रही लेकिन फिर बलवीर के उंगली के योनि में घुसने के आभस से उसने आंखे खोली उसके होठो में मुस्कुराहट थी उसने फिर से खिड़की की ओर देखा ..
बेचारा रणधीर अपने प्यार को किसी और के हाथो लूटते हुए देख रहा था,लेकिन उसके लिंग ने जैसे बगावत करार दी थी वो झुकने का नाम ही नही ले रहा था,लिंग अपने पूरे शबाब पर था,उसकी अकड़ से रणधीर को दर्द तक होने लगा था,उसने अपने कपड़े के कैद से उसे आजद कर दिया और अपने हाथो में भरकर उसे सहलाने लगा…….
इधर बलवीर ने अपनी थूक मोंगरा की योनि को गीला कर दिया था,वो एक उंगली आसानी से अंदर बाहर कर रहा था,लेकिन अब भी उसमे इतनी जगह नही थी की उसका मूसल उस छोटी सी छेद में जा सके ,वो और थूक का सहारा ले रहा था,जब उसे लगा की ये भी काफी नही होगा वो घी ले आया और अपनी उंगलियों में लगाकर अच्छे से योनि में जगह बनाने लगा,मोंगा दर्द और मजे के सामूहिक सम्मेलन से मदहोशी और दर्द से भरी हुई सिसकियां ले रही थी ..
बलवीर अब उसके ऊपर छा गया था और अपने लिंग को घी से भिगो चुका था,चमकता हुआ उसका लिंग मोंगरा के योनि के द्वार को खोलने को तैयार था,पहले उसने योनि में हल्के हल्के ही लिंग को सहलाया और आराम से अंदर करने लगा…..
“आह बलवीर नही ही……..”
मोंगरा की चीख सी गूंज गई जो जल्द ही बलवीर के मुह में दब गई ,वो उसके होठो को अपने होठो में भर चुका था,लिंग अंदर जाता गया और मोंगरा मानो बेहोश होते गई लेकिन बलवीर उसे प्यार से सहला रहा था,मोंगरा ने आंखे खोली और बलवीर के होठो में अपने होठो को भर लिया ,दोनो ही मदहोशी में एक दूसरे को चूम रहे थे,बलवीर भी धीरे धीरे धक्के को बड़ा था रहा ,दोनो का ही पहली बार था दोनो ही एक दूसरे के प्यार में गुम हो रहे थे,
मोंगरा ऐसे खो गई जैसे दुनिया अब उसके लिए खत्म हो गई हो ,धक्के तेज होते गए और मोंगरा और बलवीर के मुह से निकलने वाली आवाजे भी ……..
तूफान जब शांत हुआ दोनो ही पसीने से पूरी तरह से भीग चुके थे और बलवीर ने अपना पूरा दम मोंगरा की कोख में छोड़ दिया था……
और रणधीर ने दीवार पर ……
रणधीर ने जब खुद को देखा तो वो अपनी ही स्तिथि पर शर्म और ग्लानि से भर गया,वो दौड़ाता हुआ भागा,वही मोंगरा और बलवीर अपने ख्वाबो की दुनिया में मस्त एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े थे..

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RE: kamukta जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत - by sexstories - 02-04-2020, 12:27 PM

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