RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
अगले दिन से विजेता की छुट्टियाँ ख़तम हो रही थी, मुझे ही उसे छोड़ने जाना था,
उसने शाम को ही बोला था कि उसे किसी भी तरह स्कूल के समय तक वहाँ पहुँचना है…
तय हुआ कि सुबह पौ फटने से पहले ही निकल लेंगे, जिससे वो समय पर अपने स्कूल भी जा सकेगी, और लौट कर मे अपना कॉलेज भी अटेंड कर लूँगा…
15-20किमी का रास्ता बुलेट से मेरे लिए कोई ज़्यादा समय नही लगना था, फिर भी बुआ के घर पहुँचना, उसके बाद उसकी अपनी तैयारी कर के स्कूल निकलना,
इन सारी बातों को ध्यान में रख कर हम 5 बजते ही घर से चल पड़े…
विजेता ने एक टाइट शर्ट और घुटनों तक की स्कर्ट पहन रखी थी, जिसमें वो अभी भी एक स्कूल जाती हुई कमसिन लड़की ही लग रही थी…
बारिस का मौसम था, घने बादलों के चलते, काफ़ी अंधेरा था अभी…गाड़ी की हेड लाइट में हम 35-40 की स्पीड में मस्त सुबह – सुबह की ठंडी हवा का लुत्फ़ उठाते हुए जा रहे थे…
घर से निकलते ही विजेता की मस्तियाँ शुरू हो गयी… अब वो पहले वाली शर्मीली, छुयि-मुई सी विजेता तो रही नही थी..
वो पीछे से मेरी पीठ से चिपक कर अपने दोनो हाथों को आगे कर के मेरे लंड को पॅंट के ऊपर से ही सहलाने लगी…
मुझे अपनी पीठ पर उसकी कठोर चुचियों के उभार महसूस हो रहे थे, ऐसा लग रहा था कि शायद उसने उन्हें शर्ट के बाहर ही निकाला हुआ था..
जब उसके निपल मेरी पीठ से रगड़ते तो शरीर में एक झंझनाहट जैसी होने लगती.
मेने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा – ये क्या हो रहा है वीजू…?
वो मेरे कान की लौ को अपने दाँतों में दवा कर बोली – आप दोनो भाई बहनों ने एक सीधी साधी लड़की को बेशर्म कर दिया, अब पुछ्ते हो कि क्या हो रहा है…
मेने उसी हाथ को साइड में ले जाकर उसकी नंगी जाँघ को सहलाते हुए कहा – वो तो ठीक है डार्लिंग, लेकिन अब चलती बाइक पर ये सब मत करो,
अभी भी बहुत अंधेरा है, मेरा ध्यान भंग हो गया, और गाड़ी लहरा गयी तो सिंगल रोड पर हम झाड़ियों दिखेंगे…
विजेता अपने कड़क हो चुके निप्पलो को मेरी पीठ पर रगड़ते हुए बोली – तो धीरे – 2 आराम से चलाओ ना भैया, इतनी भी क्या जल्दी है आपको मुझसे दूर होने की…?
मे – अरे यार ! इससे भी क्या धीरे चलाऊ…? अच्छा ठीक है, जो तेरी मर्ज़ी हो वो कर…
मेरे मुँह से इतना कहना ही था कि उसने मेरे पॅंट की जीप खींच दी, और अपना हाथ अंदर डाल कर मेरे लंड को अंडरवेार के बाहर निकाल लिया…
रास्ते में भरपूर अंधेरा था, ऊपर से सुबह होने को थी, इस वक़्त किसी वहाँ के गुजरने के भी कोई चान्स नही थे, सो वो खुलकर अपनी मनमानी पर उतर आई..
मेरा लंड तो उसके हाथ लगते ही अपनी औकात पर आ चुका था, शख्त, गरम लंड को मुट्ठी में कसकर विजेता मेरे कान के नीचे चूमकर उसे मुठियाते हुए बोली..
ये क्या लत लगादि आप लोगों ने मुझे, अब मेरी मुनिया बहुत खुजने लगी है… सीईईईईईई…मम्मूऊऊउ…..कुछ करो ना भैया…. प्लीज़….!
उसका दूसरा हाथ अपनी चूत पर था, जिसे वो खूब ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी….
फिर अचानक से बोली – भैया बाइक रोको, मुझे आपकी गोद में बैठना है…!
मे उसकी बात सुनकर झटका ही खा गया, पीछे मुड़कर जैसे ही देखा तो उसने मेरे गाल को ज़ोर से काट लिया और बोली… रोको ना जल्दी से…
मेने धीरे-2 कर के बुलेट एक साइड में रोक दी…
वो फ़ौरन से उतर कर रोड की साइड में बैठकर मूतने लगी, मेने उसकी तरफ से ध्यान हटा लिया, मुझे पता ही नही लगा कि कब उसने अपनी पेंटी निकाल कर स्कर्ट की जेब में डाल ली…
दो मिनिट बाद आकर वो मेरे आगे, मेरी तरफ मुँह कर के मेरी जांघों के ऊपर बैठ गयी…
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