RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
ईश्वर की कृपा रही तो वो फिरसे अपने परिवार के साथ रह सकेगी.., वो उसकी दूसरी शादी कर देंगे.., धीरे धीरे वो अपने अतीत को भूलकर फिरसे जीवन के सुख भोगने लगेगी….!
भगवान करे आपकी सब बातें सच साबित हों.., ये कहकर संजू मेरे कंधे पर सिर रख कर अपने आगे की कहानी सुनाने लगा…!
हफ्ते दस दिन हमारे जीवन के सबसे सुनहरे दिन रहे.., किसी ने हमें नही छेड़ा लेकिन 10वे दिन युसुफ मेरे पास आया और मुझे अपने साथ काम पर ले गया…!
उस दिन के बाद से रोज़ सुबह हम बाहर निकल जाते और शाम तक घर लौट आते.., मुझे इस बात का शुकून था कि कम से कम हम दोनो रात तो साथ में गुज़ार रहे थे…!
इस बीच मेने इस ऑर्गनाइज़ेशन के बारे में सब कुच्छ जान लिया.., इस दौरान मेने हर उस संभवना पर भी सोच विचार किया जिससे मे और
प्रिया दोनो सुरक्षित इस पाप की दुनिया से कहीं दूर निकल कर शुकून का जीवन जी सकें लेकिन मे अपनी सारी कोशिशों में असफल रहा…!
मेरी दिलेरी और क्रूरता का युसुफ ही नही वहाँ काम करने वाले ज़्यादातर लोग कायल थे.., यही दो बातें इस घिनौने धंधे को सफल बनाती हैं…!
एक दो बार मेने शेर सिंग के चमचो को भी पेल दिया था.., जब उसने उनका पक्ष लेना चाहा तो मेने उसको भी धमका दिया.., मौके पर
मौजूद युसुफ और एक दो और ओहदेदारों ने बीच बचाव करा दिया वरना मे उस साले को भी पेलने वाला था…!
मे – बहुत ख़तरनाक खेल खेलते रहे हो तुम.., अगर तुम्हें ऐसे ही काम करने का शौक था तो मेरी डीटेक्टिव एजेन्सी कोई बुरी नही थी.., उसमें काम करते हुए भी तुम्हारे ये शौक पूरे हो सकते थे…!
संजू दुखी होते हुआ बोला – सॉरी भैया.., मेरी मति मारी गयी थी..आज मुझे इस बात का बहुत अफ़सोस हो रहा है कि क्यों मेने आपकी बात नही मानी…!
मेने उसका कंधा थप-थपाते हुए कहा – होनी को शायद यही मजूर था मेरे भाई.., खैर अब तुम मुझे आगे के प्लान के बारे में बताओ.., शाम होने को है…
संजू ने मुझे राठी के छुपे होने की जो जगह बताई, वो यहाँ से करीब 150-160किमी की दूरी पर थी.., हमने दिन छिपे वहाँ के लिए निकलने का फ़ैसला लिया…!
करीब शाम 7 बजे हम अपनी गाड़ी लेकर वहाँ के लिए निकल लिए.., करीब दो-ढाई घंटे का सफ़र तय करके हम उस फार्महाउस के पास थे…!
अंधेरी रात थी.., गाड़ी हमने फार्म हाउस से थोड़ी पहले ही रास्ते से हटकर घने से पेड़ों के बीच छुपा दी और वहाँ से पैदल ही वहाँ पहुँचे…!
मुझे बिना किसी की नज़र में आए अंदर पहुँचना था.., इस समय वहाँ कोई ज़्यादा सुरक्षा व्यवस्था तो नही होनी चाहिए थी.., फिर भी दो-चार लोग तो होना आम बात थी…!
संजू के लिए कोई मॅटर नही था.., वो धड़-धडाते हुए बाउंड्री के उपर से उड़ता हुआ अंदर चला गया.., मुझसे ये कहकर कि आप यहीं रूको
में अभी अंदर का जायज़ा लेकर आता हूँ..!
संजू को अंदर गये हुए काफ़ी देर हो चुकी थी.., लेकिन वो नही आया तो फिर मेने भी अंदर जाने का फ़ैसला लिया और पीछे से बाउंड्री फांदकर मे भी फार्महाउस के अंदर चला गया…!
अंदर पूरी तरह शांति थी.., फार्महाउस के काफ़ी हिस्से में बिल्डिंग बनी हुई थी.., पीछे की साइड में एक स्विम्मिंग पूल भी बना हुआ था..,
जिसके आस-पास का गीलापन बता रहा था कि कुच्छ देर पहले ही यहाँ कम से कम दो लोग ज़रूर स्विम्मिंग करके गये हैं…!
मे भी उन्ही गीले निशानों का पीछा करते हुए बॅक डोर से अंदर चला गया जो सिर्फ़ धूलका हुआ ही था.., एक छोटी सी गॅलरी से होते हुए वो निशान एक कमरे के दरवाजे तक चले गये थे..!
मे भी उस दरवाजे तक जा पहुँचा, हल्के से हाथ का दबाब डाला तो वो अंदर से बंद पाया.., तभी मुझे अंदर से एक औरत के खिल खिलाने की आवाज़ सुनाई दी…!
मे समझ गया कि राठी यहाँ भी किसी औरत के साथ मस्ती कर रहा है.., लेकिन अब सवाल था कि अंदर पहुँचा कैसे जाए.., तभी मेरी नज़र एक खिड़की पर पड़ी..,
ये काँच की स्लाइडिंग विंडो थी.., लेकिन अंदर से उसपर परदा पड़ा हुआ था.., मेने उसके ग्लास को स्लाइड करके देखा तो वो एक तरफ को सरक गया..,
मेरा काम बन गया.., थोड़ा सा ग्लास स्लाइड करके अंदर के पर्दे को जैसे ही साइड में करके मेने अंदर झाँका.., एक अजीबो ग़रीब तरह का नज़ारा देखकर मेरा मूह खुला का खुला रह गया…!
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