RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
वो चीखती चिल्लाती ही रह गयी तबतक तो उसने उसके सारे कपड़े फाड़ डाले.., उसकी 36” की मोटी-मोटी चुचियों को बुरी तरह मसल्ते हुए
बोला – मादरचोद.. खाली हाथ आई है..,
हाथ पैर चला नही सकती.., कुच्छ खाने को बना भी सकती थी ना.., पर तुझे क्या.., यहाँ पड़ी पड़ी तरह तरह के लंड लेती है और मस्त खा पी रही है.., कोई दूसरा भूखा है, प्यासा है.., तुझे इससे क्या…?
तेरे भोस्डे में हर समय बड़ी आग लगी रहती है ना.., देख तू आज मे तेरे इस भोस्डे की सारी गर्मी निकाल दूँगा.., ये कहकर विकी ने अपना 6” का लंड पॅंट से बाहर निकाला और उसकी सूखी चूत में पेल दिया…!
वहीदा जैसी चुदैल औरत को उसकी 6” की लुल्ली से भला क्या फरक पड़ने वाला था.., सो उसने इसके लिए कोई विरोध नही किया..,
सोचा चलो चोद-चादकर इसका गुस्सा शांत हो जाएगा तो यहाँ से चला जाएगा.., इतने से मेरा क्या बिगड़ने वाला है…!
विकी दनादन धक्के मारने लगा.., कुच्छ देर में वहीदा की चूत भी गीली होने लगी और वो भी नीचे से अपनी कमर चलाने लगी…!
अभी उसे मज़ा आना शुरू ही हुआ था कि विकी ने अपना लंड बाहर निकाल लिया.., वहीदा ने चोंक कर उसकी तरफ देखा और बोली –
हाईए…विकी छोड़ ना भडुये… क्या हुआ मादरचोद नामर्द साले.., क्यों बाहर निकाल लिया…?
विकी ने आव ना देखा ताव, अपना कटा हुआ ठूंठ उसके भोस्डे में डाल दिया…!
एल्बो तक विकी का ठूँट जाते जाते वहीदा मज़े के आलम में दोहरी हो गयी.., उसे वो किसी मोटे तगड़े लंड जैसा मज़ा देने लगा था..,
वो अपनी गान्ड उठा कर मज़े से सिसकते हुए बोली – हां विकी बाबू इसी से करो.., हाई… बहुत मज़ा दे रहा है ये तो..,
उसकी बात सुनकर विकी अपनी ठूँट को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा.., इससे वहीदा को और भी मज़ा आने लगा.., वो अपनी गान्ड हिला हिला कर विकी को तेज़ी से हाथ चलाने के लिए उकसाने लगी…!
अब वो जल्दी ही अपने चरम की तरफ बढ़ रही थी.., मज़े से चीखते हुए बोली – विकी… मादरचोद… साले.. और तेज.. कर.. हरामी…
विकी ने अपना हाथ चलाने की गति और तेज कर दी.., अब बिस्तेर पर वहीदा का शरीर भी बुरी तरह हिल रहा था.., लेकिन मज़े के कारण उसे ये भी अच्छा लग रहा था…!
तभी एक मज़े की किल्कारी मारते हुए वहीदा की चूत का पानी छूटने लगा.. उसने अपनी गान्ड हवा में लहरा दी.., साथ विकी ने भी जबड़े कसते हुए अपना पूरा बाजू कंधे तक उसके भोस्डे में डाल दिया…!
वहीदा के मूह से किसी हलाल होते बकरे जैसी चीख उबल पड़ी…, उसकी बच्चे दानी को फाड़ता हुआ उसके ठूँट का नुकीला सिरा उसके पेट के अंदर तक अंतडियों में घुसता चला गया…!
उसने यहीं हद नही की, अपना पूरा हाथ घुसाए हुए ही वो पलंग पर खड़ा हो गया.., उसकी चूत आगे से कांकुए को चीरती हुई उसके पेडू तक ककड़ी की तरह फटती चली गयी…!
वहीदा की चीखें इतनी तेज थी कि आजू बाजू के कमरों में गहरी नींद में सोए हुए लोग भी जाग गये.., और बदहवासी में सब के सब वहीदा के कमरे की तरफ दौड़ पड़े…!
कितना भीभत्स नज़ारा था.., विकी का समुचा बाजू वहीदा की चूत के रास्ते उसके पेट तक घुसा हुआ था जो अब उसकी कमर तक चिर गयी थी.., पूरा बिस्तर खून से लथपथ दूसरी तरफ बेहोश जाकिर पड़ा था..,
पलंग के बीचो-बीच अपने उसी बाजू पर वहीदा के भारी भरकम शरीर को टांगे हुए विकी किसी ख़ूँख़ार जंगली जानवर की तरह खड़ा था…!
आस पास के तमाम लोग आकर वहीदा के दरवाजे पर जमा हो गये.., अंदर का ये भयानक सीन देख कर सबके चेहरे दहशत से पीले पड़ गये.., किसी की भी हिम्मत नही हुई की कमरे के अंदर कदम भी रख सके…!
वहीदा के मूह से अब कराहें आना भी बंद हो चुकी थी.., अब वो शायद बेहोश हो चुकी थी.., तभी विकी को जैसे होश आया.., उसके शरीर को एक तेज झटका सा लगा…!
उसने दरवाजे पर खड़े तमाम लोगों को देखा जो दहशत भरी निगाहों से उसे ही देख रहे थे.., उसने अपने शरीर को जैसे ही ढीला छोड़ा..,
उसका बाजू वहीदा के भारी भरकम शरीर से झुकता चला गया और इसी के साथ वो उसकी बाजू से सरक कर धप्प से बिस्तेर पर जा गिरी…!
उसके गिरने की आवाज़ सुनकर उसने पलंग पर देखा.., जिसे देख कर वो एक साथ पलंग से नीचे उछल पड़ा मानो पलंग पर सेकड़ों ज़हरीले नाग रेंग रहे हों..,
अपना कटा हुआ खून से सना किसी रोड जैसा हाथ देख कर उसने डर के मारे एक झूर-झूरी सी ली साथ ही डर के मारे उसकी टाँगें काँपने
लगी.., उसे लगा कि अब वो ज़्यादा देर तक अपने पैरों पर खड़ा नही रह पाएगा सो.., जल्दी ही घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गया…!
लोग अभी भी उसे डरी हुई नज़रों से घूर रहे थे.., कुच्छ पल हिम्मत जुटा कर विकी ने कहा – ये.ये..ये… सब किसने… किया…है.., और तुम इतने सारे लोग यहाँ क्यों खड़े.. हो…?
उसकी कांपति आवाज़ सुनकर लोगों का कुच्छ डर कम हुआ.., और उनमें से किसी ने हिम्मत जुटा कर कहा – देख क्या रहे हो.., पकडो
इसे… मारो साले को… लगता है ये अब पूरी तरह पागल हो गया है…!
उस एक आवाज़ के आते ही दसियों लोग कमरे में दखिल हो गये.., इससे पहले कि विकी अपनी तरफ से कोई सफाई दे पाता.., दर्जनों हाथ और लात उसके उपर बरसने शुरू हो गये…!!!
मेरे ही किसी विश्वसनीय ने आकर मुझे जगाया…, जगाया क्या.., मे तो अभी सो भी नही पाया था.., संजू के जाने के बाद से इसी सोच विचार
में पड़ा था कि आख़िर अब ये खुरापाती प्रेत क्या धमाल करने वाला है…!
कमरे की बेल बजते ही मेने गेट खोला और जैसे ही पता चला कि विकी ने ये कांड कर दिया है.., मे फ़ौरन उधर के लिए भागा.., कहीं गुस्से में आकर लोग विकी को मार ही ना डालें…!
जब मे वहाँ पहुँचा तब भी लोग विकी पर लात घूँसे बरसा ही रहे थे.., मेने उन्हें उससे अलग किया लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी..,
विकी की पिटते पिटते सहन शक्ति जबाब दे गयी और वो भगवान को प्यारा हो चुका था.., उसकी नब्ज़ टटोलते ही मेने एक लंबी साँस
छोड़ी..,
फिर मन ही मन मुस्करा उठा.., वाह संजू प्यारे.. किस चतुराई से एक साथ दो-दो बदले ले लिए तुमने…!
वहीदा की हालत बेहद खराब थी.., उसे वहाँ मौजूद फेसिलिटीस के हिसाब से मेडिकल ट्रीटमेंट शुरू करा दिया था.., लेकिन लगता नही था
कि वो अब कभी ठीक हो भी पाएगी या नही…!
पहली नज़र में ही लग रहा था कि उसकी अन्द्रुनि यौनी और आतें कितना डॅमेज हो चुकी है.., ब्लड लगातार जारी था.., अगर ऐसा ही चलता रहा तो खून की कमी के चलते उसका कल का दिन निकलना भी मुश्किल होगा…!
बाहर उसे इस वक़्त बिना उपर की पर्मिशन के ले जाया नही जा सकता था, जाकिर होश में आ चुका था.., और उसी की ज़ुबानी सारा वाकिया सामने आया…!
मेने ऑफीस से रात में ही रेशमा को भी इन्फर्मेशन दे दी.., जिसे उसने उसी समय बॉस को ट्रान्स्फर कर दिया.., और वो कल ही यहाँ आने वाला था…!
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