RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
पहले युसुफ का उसी के एक खास आदमी के हाथों मारा जाना.., एक लड़की का फरार हो जाना.., उसके कुच्छ दिनो बाद ही राठी का भी कत्ल.., और इन्ही घटनाओं के बीच आपका रेशमा के साथ मुलाकात करना…!
उसके बाद के हालत जो यहाँ अड्डे के अंदर हुए ये सब तो आपकी आँखों के सामने ही हुए हैं.., ये मात्र संयोग तो नही हो सकता ना..!
मे अपनी आवाज़ पर कंट्रोल करते हुए बोला – मे समझा नही बॉस.., आख़िर आप कहना क्या चाहते हैं..?
जब यूपी सरकार ने तबाद तोड़ छापे मारी करके हमारे इलाक़े से सभी गुंडा तत्वों को या तो एनकाउंटर कर दिया या वहाँ से खदेड़ दिया…!
अपने ध्नधे के दौरान ही मुझे पता चला कि इस इलाक़े में कुच्छ तो बहुत बड़ा कारोबार चल रहा है.., यहाँ आकर अपनी तरह से पता करने पर शेर सिंग का नाम सामने आया…!
अब इसे तो मे अपना सौभाग्य ही समझूंगा कि मे जिस होटेल में रात गुज़ार रहा था उसकी के पीछे वाले कॉटेज में मेरी नज़र रेशमा जी पर
पड़ गयी..,
मे अपनी उत्कंठा शांत करने किसी तरह मे इनके पास तक पहुँच गया.., बस..
बॉस – लेकिन जहाँ तक मुझे पता चला है.., उस रात आपके साथ एक लड़का और भी था.., वो अब कहाँ है..?
बॉस के इस खुलासे से मे एक बार तो हिल ही गया.., मुझे महसूस होने लगा कि मे इस काम को इतना आसान समझ कर खुश हो रहा था.., कितनी आसानी से मे अड्डे तक पहुँच गया…,
वो इतना आसान नही है.., इसकी कुच्छ और नज़रें भी हैं जो रेशमा और शेर सिंग की गति विधिधियों पर भी नज़र रखती हैं और इन्हें पता तक नही है…!
क्या हुआ.., कैसे चुप रह गये मिस्टर. राजवंशी.., बोलिए कॉन था वो लड़का..? मेरे देर तक चुप रहते देख वो फिर बोला…,
मेने अपने चेहरे पर एक मुस्कान लाने की कोशिश करते हुए कहा – मान गये बॉस.., आप ऐसे ही अपने इतने बड़े ऑर्गनाइज़ेशन को नही चला रहे..,
हां ये बात सही है.., वो लड़का मेरा भतीजा है.., जो मेरा इकलौता परिवार का सद्स्य बचा है मेरे साथ यहाँ आया था.., लेकिन जैसे ही मेरी मुलाकात रेशमा जी से हो गयी..,
और जब ये फिक्स हो गया कि अब मुझे मेरी मंज़िल मिल गयी है..,तो मेने उसे घर वापस भेज दिया.., क्योंकि मे उसे इन कामों से दूर रखना
चाहता हूँ…!
बॉस – लेकिन मेरे कुच्छ आदमियों ने उसे कुच्छ दिन पहले तक चौराहे वाले ढाबे पर काम करते देखा है.., वो ये भी पता लगा चुके हैं कि
उस लड़की की किडनप वाली रात से वो अचानक से गायब हो गया…!
बॉस के इस रहस्योदघाटन से मेरे अंदर डर की एक लहर सी दौड़ गयी.., मुझे लगने लगा कि इस मादरचोद को मेरी असलियत मालूम पड़ चुकी है..,
उसके द्वारा लगातार किए जा रहे खुलासे से रेशमा किसी महान बेवकूफ़ की तरह कभी मेरी तरफ देखती तो कभी उस सीशे की तरफ
जिसके पीछे वो तथाकथित बॉस बैठा था…!
मेने अपनी पूरी अन्द्रुनि शक्ति समेटकर बात को संभालने की कोशिश करते हुए कहा – हां ये बात आपकी बिल्कुल सही है.., कि मेरे भतीजे
ने वहाँ से भाग कर कुच्छ दिन उस होटेल पर काम किया था..,
लेकिन मेरे आ जाने के बाद मे उसे वहाँ से ले आया, ये बात उस होटेल के मालिक को भी पता है…, चाहें तो आप उससे ये जानकारी भी हासिल करवा सकते हैं…!
बॉस – उसकी ज़रूरत नही है मिस्टर. अंकुश शर्मा उर्फ वकील साब, वो लड़की जिसे हमने राठी के लड़के के लिए उठवाया था वो तुम्हारी
भतीजी है.., एम आइ राइट..?
हमने सब पता लगा लिया.., अब तुम्हारी पॉल खुल चुकी है.., भलाई इसी में है कि अब सीधी तरह से अपनी सच्चाई कबूल कर लो वरना समय से पहले जहन्नुम पहुँचा दिए जाओगे..…!
उसके मूह से अपनी हक़ीकत सुनकर मेरे तिर्पान काँप उठे.., इस मौके पर सरेंडर करने का मतलब होता समय से पहले अपनी मौत को बुलावा देना..,
अतः मेने अपने आपको संयत रखते हुए कहा – वेल डन मिस्टर. बॉस.., मान गये तुम पहुँची हुई चीज़ हो.., अब अगर इतना सब कुच्छ जान ही गये हो तो अब ये हम दोनो के बीच परदा कैसा…?
अब ज़रा अपनी मोहनी मूरत के दर्शन भी करदो मियाँ… ये कहते हुए मेने जैसे ही अपनी सीट से उठने की कोशिश की तभी खट्..खट्.. की आवाज़ के साथ कुर्सी के हाथों पर लगे लोहे के क्लॅंप्स ने मेरे दोनो हाथों को जकड लिया..,
मे अपनी जगह पर बैठा पूरी तरह से बेबस और लाचार होकर रह गया…!!!
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