RE: Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची
चाची ने सिफ मुस्कुराते हुए जवाब दिया, इस दौरान बातों बातों मे फूफा ने अपने लेफ्ट हॅंड को थोड़ा उपर कर दिया, और चाची की चुचियों को उंगलियों से छू रहे थे. फूफा ने पूछा "क्यूँ कोमल्जी..अछा लग रहा है ना?" चाची ने कुछ जवाब नही दिया, इस पर फूफा की हिम्मत और भी बढ़ गयी वो अपने चेहरे को चाची के गर्दन के पास ले आए ऐसा लग रहा था जैसे वो चाची के सरीर की खुसबु ले रहे हो, चाची ये सब महसूस कर रही थी. फूफा ने फिर चाची के कान के पास अपने गाल लगाए और पूछा "कोमल्जी सब दिख रहा है ना?" चाची ने सर को हिलाते हुए हां बोला. फूफा का चेहर एक दम लाल होगया था अब उनसे भी कंट्रोल नही हो रहा था अगर अकेले होते तो आज चाची चुद गयी होती पर क्या करते इतने सारे लोग थे इसे ज़्यादा कुछ कर भी नही सकते थे. इस बार फूफा ने कुछ ज़्यादा ही हिम्मत दिखाई,
अपने लेफ्ट हॅंड को उनकी ब्लाउस और राइट हॅंड को सारी के अंदर डालने की कोसिस करने लगे पर अब चाची से रहा नही गया, चाची फूफा के हाथ को हटाते हुए नीचे उतर गयी, इस दौरान चाची ने फूफा के तने हुए लंड को रगड़ दिया और उसे महसूस भी किया. चाची का चेहरा लाल हो गया और पसीना भी आ रहा था शायद वो फूफा के लंड की रगड़ से गरम हो गयी थी, वो बेड पर आ कर बैठ गयी और जग से पानी निकाल कर पीने लगी, फूफा दूर पर ही खड़े थे जब उन्होने चाची को पानी पीते देखा तो बोले "अर्रे कोमल्जी हमे भी पीला दीजिए, हम भी बहुत प्यासे है" चाची इतनी भी भोली नही थी कि फूफा की डबल मीनिंग वाली बात ना समझ सके, चाची ने मज़ाक मे कहा "इतनी भी गर्मी नही है कि आपको प्यास लग जाए"
फूफा: "अर्रे इतनी देर से आपको पकड़ के रखा था, थ्कुगा नही?"
चाची: "इतनी जल्दी थक गये, आप तो हमे उठाने वाले थे, इतने मे ही हवा निकल गयी
फूफा: "अगर ताक़त आज़माना है तो आजओ..हम पीछे नही हटेंगे"
चाची: "ठीक है फिर कभी देख लेंगे आपकी हिम्मत"
ये कहते हुए चाची ने फूफा को पानी ग्लास दिया फूफा ने पानी पिया और फिर डोर के पास खड़े हो गये. अभी तिलक की रसम ख़तम नही हुई थी, चाची बड़ी हिम्मत कर के फूफा के पास खड़ी हो गई पर उस लकड़ी के बॅक्स पे चढ़ने की हिम्मत नही हो रही थी, फूफा ने पूछा "क्यूँ तिलक नही देखना" चाची ने कहा "रहने दीजिए आप थक जाएँगे", इस बार फूफा ने बड़ी शरारती मुस्कान देते हुए चाची को देखा, चाची शरम कर नीचे देखने लगी शायद चाची को भी ये सब अछा लग रहा था पर डर भी था कि कोई अगर देख लेगा तो बदनामी हो जाएगी. तिलक की रसम तो ख़तम होगयि पर फूफा बेचारे प्यासे रह गये.
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