RE: Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची
चाची “नही नही...चूत मे तो बड़ी मुस्किल से जाता है अगर गंद मे डालो गे तो मर ही जाउन्गि”
फूफा: “अर्रे एक बार डालके तो देखो”
चाची: “नही...चूत मे डालना है तो डालिए नही तो मैं जाती हूँ”
फूफा: “ठीक है तुम्हारी मर्ज़ी”
फिर फूफा लंड चूत के अंदर डालने लगे, तभी चाची बोली “ज़रा धीरे से डालिएगा, आज तेल नही लगा है दर्द होगा” पर फूफा कहाँ सुनने वाले थे एक ज़ोर का धक्का दिया आधा लंड अंदर चला गया चाची तो उछल गयी और उनके मूह से चीख निकल गयी, फूफा बोले “कोमल चिल्लाओ मत कोई आ जाएगा, अभी तो सिर्फ़ आधा ही गया है” चाची ने सारी को अपनी मूह मे दबा लिया और फूफा ने एक फिर ज़ोर का धक्का मारा पूरा लंड अंदर चला गया, चाची अपनी गंद घुमाने लगी पर फूफा ने चाची पर झुक कर उनकी कमर पकड़ ली और घोड़े की तरह चोदने लगे. अब चाची का दर्द शायद कम हो गया था इसीलिए उन्होने अपना पैर थोड़ा और फैला दिया था की लंड आसानी से जा सके, फूफा भी चाची की कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर के धक्के दे रहे थे, हर धक्के पर चाची की गंद थिरकने लगती. झुकने कारण उनकी चूंची और बड़ी लग रही थी और ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे हिल रही थी, फूफा तो बड़े मज़े से चोद रहे थे पर पसीने से पूरे गीले हो गये थे.
समाप्त
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