RE: Hindi Porn Story चीखती रूहें
वो जंगल का एक गुफा ही था जहाँ जोसेफ मिला. उस के हाथ पिछे बँधे हुए थे और वो ज़मीन पर बैठा हुआ था.
सुतरां के बारे मे बाली ने बताया कि वो दूसरे गुफा मे रखा गया है. लेकिन उसे पता नहीं कि उसे बाली ने ही पकड़वाया है. उस के आदमी उसे गुफा तक ऐसे लाए थे कि उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दी गयी थी. और उसे उसी तरह यहाँ से निकाला भी जाएगा ताकि वो किसी के बारे मे बता नहीं सके.
एनीवे.....सुतरां को छोड़ दिया गया.....लेकिन इमरान उस से नहीं मिला......और ज़रूरत भी क्या थी. वो यहाँ फ्रेंडशिप मिशन पर तो आया नहीं था......की विदाई के समय मिलना ज़रूरी हो.
बाली अपने आदमियों से कह रहा था "उपर के ऑर्डर्स कभी कभी अत्यंत कष्ट दायक होते जाते हैं. अब शायद स्कीम बदल दिया गया है. अभी अभी संदेश प्राप्त हुआ है कि प्रेज़ेंट स्कीम को छोड़ कर के क़ैदियों को पोर्ट सयीद पहुँचा दिया जाए. इस लिए मैं इन्हें ले जा रहा हूँ.
इमरान नहीं मिल सका. उसकी तलाश मेरे नहीं रहने पर भी जारी रखा जाए.......जाओ अब तुम सब अपने अपने ठिकानो पर जाओ."
वो सब चले गये. बाली थोड़ी देर खामोश खड़ा रहा फिर बोला. "अब तो रिवॉल्वार जेब मे रख लो."
"जब तक तुम भी मेरे साथ स्टीमर पर सवार नहीं हो जाते तब तक ऐसा संभव नहीं है." इमरान सर हिला कर बोला...."और स्टीमर पर भी हम दोनों हर समय साथ ही रहेंगे. एक ही कॅबिन मे सोएंगे. तुम से कुच्छ ऐसी ही मुहब्बत हो गयी है......कि एक सेकेंड की भी जूदाइ मेरा कलेजा फाड़ कर रख देगी. क्या समझे प्यारे....."
इस बीच इमरान खुले आम रिवॉल्वार ले कर खड़ा रहा था. प्रकट मे ऐसा लगता था कि वो जूलीया सफदार और चौहान को कवर कर रखा
हो लेकिन बाली अच्छी तरह जानता था कि अगर उस से थोड़ी सी भी ग़लती हो गयी तो खुद उसी का सीना छल्नी हो कर रह जाएगा.
वो नक़ाब निश्चित रूप से बड़े काम की निकली थी......जो इमरान ने बाली के ही एक साथी के चेहरे से उतारी थी. बाली के साथी उसे
अपनों ही मे से कोई व्यक्ति समझ रहे थे.......और शांति से चले भी गये थे. अगर उन्हें थोड़ा भी संदेह हो जाता तो पासा पलट भी सकता था.
बाली ने एक बार फिर कोशिश की कि इमरान उसी समय डिपार्चर के लिए ज़िद नहीं करे लेकिन इमरान नहीं माना. बाली ने बताया कि स्टीमर खुलने मे अभी 2 घंटे बाकी हैं......इस लिए उसे कम से कम घर जाने का मौका तो मिलना ही चाहिए.
"लॉंच पर बैठ कर वेट कर लेंगे." इमरान ने कहा. "वरना कहीं तुम्हें घर पहुँच कर नींद आ गयी तो हम फिर से अनाथों की तरह बिलबिलाते फिरेंगे."
फिर वो सब कुच्छ देर बाद ही लॉंच मे पहुँच गये.......जिस की चर्चा इमरान ने किया था. रिवॉल्वार अब भी बाली की कमर से लगा हुआ था.
"बोघा...." बाली बड़बड़ाया...."वो सच मूच सेल्फिश है. उसे अपने आदमियों की थोड़ी भी फिकर नहीं होती."
"क्या हम लोगों के यहाँ पहुँच जाने के बाद भी तुम्हें बोघा से कुच्छ निर्देश मिले थे?"
"नहीं.....मुझे इस पर भी हैरत है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि......संदेश किसी दिन भी नागा हुआ हो. ये पहला मौका है कि कयि दिन उस
ने ट्रांसमीटर पर लटोशे को संबोधित नहीं किया है."
इमरान कुच्छ ना बोला. रात साएन्न....साएन्न कर रही थी. यहाँ पानी स्थिर था.
लगभग 2.30 बजे स्टीमर की सीटी सुनाई दी.....और बाली सम्भल कर बैठ गया. कुच्छ देर बाद उसके हाथों मे एक मोबाइल ट्रांसमीटर दिखाई दिया. वो कह रहा था "हेलो......जी....सिक्स फाइव........जी...सिक्स फाइव......थ्री...एट कॉलिंग......हेलो....इट ईज़ थ्री एट......सेवेंत पॉइंट
पर रूको......एमर्जेन्सी......यस....थ्री एट....."
लॉंच तैरने लगी. बाली ही उसे चला रहा था.
"हमारे इस तरह निकल जाने से तुम्हारा क्या अंजाम होगा?" इमरान ने पुछा.
"देखा जाएगा.....मुझे इस की चिंता नहीं है." बाली ने भर्रायि हुई आवाज़ मे कहा. "पोलीस के हाथों मे पड़ने से कहीं अच्छा है कि बोघा ही का कोई अग्यात एजेंट मुझे शूट कर दे. मैं लटोशे का एक प्रॉमिनेंट पर्सन हूँ. इतना बड़ा अपमान नहीं सह सकता कि पोलीस मुझ से पुच्छ ताच्छ करे......या मैं कोर्ट के कटघरे मे दिखाई दूं."
"लेकिन तुम अपना पेशा भी नहीं छोड़ सकते.....क्यों?"
"अब मुझे इसके बारे मे भी सोचना पड़ेगा."
स्टीमर तक पहुँचने मे एक घंटा लगा.
बाली ने एक बार फिर ट्रांसमीटर ही के द्वारा स्टीमर के कॅप्टन से बात की कि वो कुच्छ लोगों को पोर्ट सयीद तक पहुँचना चाहता है.
स्टीमर से रस्सियों की सीधी लटका दी गयी.
दा एंड
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