Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
जादू की लकड़ी
इंट्रोडक्शन
एक छोटे से लकड़ी का टुकड़ा आपकी जिंदगी सवार देगा ये सोचना थोडा मुश्किल सा काम है लेकिन अगर वो लड़की का टुकड़ा जादुई हो तो ..??
मे बी पॉसिबल राइट …
ये स्टोरी भी ऐसे ही लकड़ी के एक टुकड़े के बारे में जो मुझे किसी इत्तफाक से मिल गया,और मेरी जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया
मेरा नाम है राज,राज चंदानी ,जितना कमान मेरा नाम है उससे भी कामन मेरी जिंदगी थी ,कामन कहना थोड़ा गलत होगा क्योकि मेरी जिंदगी तो झंड थी …
मेरे पिता रतन चंदानी शहर के सबसे बड़े कपड़ा व्यपारी है ,समझो नाम चलता है,रुपये पैसे की कोई कमी नही थी,वो एक बेहद ही आकर्षक और रौबदार व्यक्तित्व के मालिक थे ,खुद के साड़ी के मिल और कई कपड़ो की दुकाने थी ,तो आप सोचोगे की ऐसे अमीरजादे की जिंदगी झंड कैसे हो गई …….
कारण भी मेरे पिता ही थे ,वो जितने रौबदार ,चार्मिंग,रसूखदार थे उतना ही मैं फट्टू,डरपोक,और मरियल था,इसका कारण भी मेरे पिता ही थे क्योकि उन्होंने बचपन से ही मुझे मर्द बनाने के चक्कर में इतना टार्चर किया की मैं डरपोक हो गया,वो मुझे सबके सामने जलील कर दिया करते थे,मेरी तुलना अपने से करते और फिर मुझे लूजर साबित कर देते,बचपन में ही उन्होंने मुझे इतना डराया धमकाया था की मेरे अंदर वो हीन भावना बहुत गहरे में घर कर गई थी ,मुझे लगता था की मैं कुछ भी नही हु ,
ऐसे ये बात नही थी की वो सबके लिए ऐसे ही थे,मेरी बहनों को वो राजकुमारियों जैसे रखते थे,वो तीनो निकिता,नेहा ,निशा उनकी लाडली थी,हमेशा उन्हें अपने सर में चढ़ाए रखते तो मुझे अपने जूते की धूल भी नही समझते थे,उनका एक ही मानना था की घर में एक ही मर्द है और वो है वो ,जैसे मेरा कोई वजूद ही नही था ….
निकिता और नेहा मुझसे बड़ी थी वही निशा मुझसे 1 साल की छोटी..
वो कितने बड़े चुददक्कड़ थे ये तो इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की 4 बच्चे उन्होंने 4 साल में ही पैदा कर दिए ,बेचारी मेरी माँ ..
मेरी माँ अनुराधा,भोली भाली सी ,वो इस घर में एक मात्रा इंसान थी जिसे मेरी थोड़ी फिक्र थी ,लेकिन वो संस्कारी ,भोली भाली बेचारी ही थी मेरे बाप के सामने बिल्कुल भीगी बिल्ली सी बन जाती,और मेरा बाप फिर मेरे गांड में सरिया घुसा घुसा कर मेरी मारता था……
लुसर...ये मेरे बाप का सबसे प्रिय शब्द था जब बात मुझपर आती ,यंहा तक की हमारे नॉकर के बेटे चंदू को भी मुझसे ज्यादा इज्जत दी जाती थी,क्योकि वो क्रिकेट और फुटबॉल का कैप्टन था,हम हमउम्र ही थे,उसकी बात बाद में करेंगे …
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