RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
मैंने अपने दिमाग पर जोर डाला की आखिर उस दिन हुआ क्या था ,मुझे याद आया की मैं उस दिन डिनर करके अपने कमरे में आय था ,नहाने के बाद दर्पण के सामने खड़ा अपने विकसित हो रहे बाजुओ को देखा था ,इस बात से मुझे अपने इस ताबीज पर बहुत ही प्यार आय था और मैंने इसे प्यार से चुम लिया था …
ओह माय गॉड मैंने इसे हल्के से चूमा था बस ,बिल्कुल ही अनजानें में ,मेरे जीभ में अभी भी चंदन की हल्की सी खुशबू मौजूद थी,क्या मैंने अनजाने में इसे चाट लिया था ???,उसके बाद मैं बिस्तर में आकर लेट गया था कुछ ही सेकंड के लिए मेरा सर घुमा और फिर मैं उठाकर अपने नाइट वाले कपड़े पहन कर लेट गया था,कुछ देर बाद निशा कमरे में आ गई थी ,उसने रश्मि वाली बात की और फिर अपने आकर्षण की बात की (अपडेट 7)...
“आज तारीख क्या है ..”
मेरी बात से निशा चौकी लेकिन उसने तारीख बता दी मैं कुछ देर तक बस चुप ही हो गया था,मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर हुआ क्या है फिर मेरे दिमाग ने चीजो को समझना शुरू किया कही ये इस लकड़ी का ही जादू तो नही जिसने मुझे भविष्य दिखा दिया …
मुझे अब भी कुछ समझ नही आ रहा था ,मैंने अपना मोबाइल निकाला उसमें ना तो विवेक अग्निहोत्री का कोई काल आया था ना ही कोई मेसेज था ,टाइम और समय वही थे जो उस दिन था ,मैं सर पकड़ कर बैठ गया था …
“भइया बताओगे की आखिर हुआ क्या है “
मैं जोरो से हंस पड़ा था निशा और भी गंभीर हो गई और थोड़ी डर भी गई ……
“आप मुझे डरा रहे हो ..”
मैं अब उसे क्या कहता की मुझे आने वाले दो दिनों का भविष्य दिखाई दिया है ,आज रात निशा मुझसे अपने आकर्षण के बारे में बात करने वाली थी ,फिर कल सुबह मैं काजल मेडम से इस बारे में सलाह लेता,शाम को चन्दू के साथ दारू पीकर पिता जी की चुदाई देखता और फिर रात निशा के साथ आगे बढ़ता,और विवेक का काल,दूसरे दिन विवेक से मिलना और फिर शाम को विवेक की हत्या की खबर ….यानी मेरे पास ज्यादा समय नही था अगर ये सपना नही था तो ….वरना मैं अंधेरे में ही तीर चला रहा होऊंगा…
“भइया आप कुछ बोल क्यो नही रहे हो “
मैंने निशा को देखा ,ये ही वो लड़की है जो मुझे धोखा दे रही है ...शायद ,क्योकि अभी मुझे कुछ पता नही था ..
“निशा आज थोड़ा थका हुआ हु ,क्या कल बात करे “
उसने मुझे अजीब निगाहों से देखा उसका चहरा मायूस था …
“ठीक है ..”
वो वापस चली गई थी …
अगर ये सच में भविष्य था तो ये लकड़ी काम करती है लेकिन ये क्या काम करती है ये मुझे कैसे पता चलेगा …???
मैंने अपनी आंखे बंद कर ली और सोने की कोशिस करने लगा…
किसी के गालो के चाटने से मेरी नींद टूटी , जैसा की अक्सर टॉमी किया करता था…
“भइया भइया …”ये निशा की आवाज थी
मेरी आंखे खुली तो सामने निशा का चहरा था ..
“मैं आपको पूरे घर में ढूंढ रही हु और आप यंहा छत में सोये है ..”
उसकी बात सुनकर मैं फिर से हड़बड़ाते हुए उठा …
मेरे जीभ से अब चन्दन की खुशबू गायब थी …
तारे अब भी आसमान में चमक रहे थे,वही मौसम ,मैं फिर से डरने लगा था अब ये क्या है……..
“क्या हुआ भइया….?...आप परेशान लग रहे हो ..”
“कुछ नही बस..”
“तू कितने समय से है यंहा पर “
“कुछ 2 मिनट ही हुए होंगे आपको जगाते …”
ये दो मिनट से मुझे जगा रही थी और मैंने इसकी आवाज अभी सुनी ,मतलब जब पहली बार मैंने इसकी आवाज सुनी थी तब से मैं ये सपना देख रहा हु ,लेकिन सपने में तो कोई आधे घण्टे जितना समय मैंने बिताया था ,हो सकता है क्योकि मैं जानता था की सपने में दिमाग कुछ ही सेकंड में पूरे दिन तक को दिखा सकता है ,कुछ घण्टो में हम पूरी जिंदगी जी लेते है …
यानी ये सपना था ,लेकिन कितना रियल था ,मतलब इस लकड़ी ने काम किया या नही ???
मैं बुरी तरह से कन्फ्यूज़ हो गया था आखिर साला ये हो क्या रहा है …???
“भइया आप ठीक तो हो ना “
“बस कुछ टेंशन है ..चलो कमरे में चलते है ..”
वो चुप चाप मेरे साथ कमरे में आ गई
“क्या हुआ आप इतने परेशान क्यो लग रहे हो “
“आज तारीख क्या है ??”
वो चौकी और उसने आज की ही तारीख बताई मतलब रविवार की ..मैं कुछ देर पहले ही छत गया था ,वंहा लकड़ी की ताकत जानने के लिए इसे चाट दिया,मुझे कुछ अजीब दृश्य दिखाई दिए और फिर बूम...एक सपना जो बेहद ही रियल था …….
“ओके ..”
“क्या हुआ है आपको सब ठीक तो है ना”
अब मैं पूरी तरह से उस सपने और उसके डर से बाहर आ चुका था ..
“हम्म चन्दू और रामु काका कल रात से गायब है ,किसी को नही पता की वो कहा गए …”
“तो आप क्यो परेशान हो रहे हो,गए होंगे कही आ जाएंगे…”
निशा मेरे गोद में आकर बैठ गई,और अपने होठो को मेरे होठो के पास ला दिया ,वो एक आमंत्रण था …
मैंने उसकी आंखों में देखा ……..
“निशा विवेक अग्निहोत्री को जानती हो “
“हा वो हमारे वकील है ना,आज माँ बहुत परेशान लग रही थी उनकी खबर से वो छत से गिर गए ना,पापा और माँ उनके ही घर तो गए है आज “
निशा का स्वभाव बिल्कुल ही नार्मल था,कही से नही लग रहा था की ये लड़की मुझे फंसा रही होगी ,बिल्कुल नेचुरल,इसके दो ही मतलब हो सकते थे,पहला की ये बेहद ही शातिर है और बेहद ही अच्छी अभिनेता है और दूसरा की ये सच में मासूम है और कोई इसकी आड़ ले कर गेम खेल रहा है …….
मैं उसे ही देख रहा था जैसे मैं उसके अंदर जा कर सब कुछ पता करना चाहता था …
“क्या हुआ भइया…..??..अरे आप उनको लेकर क्यो परेशान हो रहे हो ,आपने तो कभी उनसे बात भी नही की है ,ना ही कभी अच्छे से मिले हो ..”
“मैं उनको लेकर नही तुझे लेकर परेशान हु “
वो चौकी
“क्यो आखिर ???”
“मैं तेरा भाई हु और तू मुझसे ही प्यार करने लगी,हमारा रिश्ता तो ऐसे नाजायज हुआ ना…”
उसने अपना मुह सिकोड़ लिया
“आप फिर से चालू मत हो जाओ ,मैं आपकी हु बस मैं इससे ज्यादा कुछ नही जानती ,जायज नाजायज की फिक्र आप और नेहा दीदी करो “
“नेहा दीदी “मेरे मुह से अचानक निकल गया
“हा वो भी हमेशा यही कहते रहती है की मेरा आपसे प्यार करना नाजायज है और खुद चन्दू से छिप छिप कर मिलती है ,वो भी तो हमारा भाई ही है ना फिर उनका रिश्ता कैसे जायज हुआ और हमारा नाजायज ..”
इस बार मेरे दिलो दिमाग में बम ही बम फूटने लगे थे…
“मतलब नेहा दी और चन्दू ..???”
मैंने संभावना व्यक्त की
“ओह माय गॉड मैंने ये क्या बोल दिया,अगर नेहा दी को पता चल गया तो वो मुझे मार ही डालेगी “
निशा ने अपने सर को पकड़ लिया
“भइया प्लीज किसी को कुछ मत बोलना और प्लीज चन्दू से झगड़ा मत करना ,वो दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार करते है ,प्लीज् प्लीज प्लीज ‘निशा ने मेरे सामने अपने हाथ जोड़ लिए…
“कब से चल रहा है ये ..”
“कुछ महीनों से ,सच में उन दोनो ने कुछ नही किया है अभी तक “
वो झट से बोली
“तुझे कैसे पता “
“बस पता है …”वो थोड़ी देर चुप ही रही ..
“मैं उनकी जासूसी जो करते रहती हु “
वो हल्के से हंसी…
“ह्म्म्म और नेहा दीदी को हमारे बारे में कब से पता है ??”
“कुछ सालो से ...मैं तो आपकी बहुत पहले से दीवानी हु “
उसने आंखे मटकाई मेरे दिमाग में सब कुछ क्लियर था …
नेहा दीदी निशा के मेरे ऊपर आकर्षण के बारे में जानती थी,और फिर जब चन्दू उससे मिला, चन्दू ने उन्हें अपने शीशे में उतारा और चन्दू को भी ये बात पता चली ,,शायद उन्होंने ही निशा को भड़काया था की वो मुझे जलील किया करे ,क्योकि कुछ महीनों से उसका मुझे जलील करना बहुत ही बढ़ गया था और तरीका कुछ गंदा हो गया था,पहले तो बस वो मुझसे नफरत सी करती थी जैसे प्यार के ना मिलने पर टूटे दिल का आशिक करता है ,मुझे अब उसकी कही हर पुरानी बात का मतलब समझ आ रहा था...उसका वो मुझसे बिना बात के लड़ना फिर नफरत से देखना,असल में वो नफरत नही थी वो प्यार का टूटना था …….
वो मुझे हसरत से देखती थी जो मुझे नफरत लगता था …
फिर चन्दू और नेहा के कहने पर उसने मुझे जलील करना शुरू कर दिया,और शायद कार में हुई घटना भी नेहा का ही प्लान था …
फिर जब मैं वापस आया तो मेरे बदले रूप से नेहा और चन्दू घबरा गए तो उन्होने फिर से निशा को आगे किया मुझसे माफी मांगने और सब कुछ अपने पक्ष में करने के लिए….
मुझे समझ तो आ गया था लेकिन अभी भी मैं कन्फर्म नही था …
“तो नेहा दीदी ही तुझे मुझे जलील करने को कहती थी ..”
वो चुप हो गई
“नही वो अक्सर चन्दू ही कहता था की अगर तू उसे जलायेगी तो शायद वो ठीक हो जाएगा,उससे वो तुझे पाने को बेताब हो जाएगा ,कभी कभी नेहा दीदी भी उसका सपोर्ट किया करती थी,सॉरी भइया मैंने आपको बहुत दर्द दे दिया ..”
उसके आंखों में आंसू आ गए थे ,लेकिन मुझे उसपर बेहद ही प्यार आया ,मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया ..
“चल कोई बात नही ,लेकिन भूल कर भी ये बात नेहा दीदी को पता नही चलानी चाहिए की तूने मुझे उनके बारे में सब कुछ बता दिया है ,ना ही ये की तूने मुझे ये बताया है की नेहा दी हमारे बारे में जानती हैं “
“क्या वो क्यो ???”
“पहले मेरे सर की कसम खा ..”
“नही पहले बताओ “
“मेरी जान प्लीज “मैंने उसे प्यार से कहा वो थोड़ी मुस्कराई और मेरे सर पर हाथ रख दिया
“ठीक है नही बताउंगी लेकिन क्यो”
“क्योकि मैं नही चाहता की वो मुझे भी तेरी तरह पागल समझे “
मैं हंस पड़ा और वो मुझे गुस्से में मारने लगी..
“मैं आपको पागल लगती हु “
इस बार मैंने उसके सर को पकड़ा और उसके होठो में अपने होठो को डाल दिया ,उसे जैसे एक झटका सा लगा और थोड़ी देर में वो शांत हो गई और मेरे बांहो में खुद को पूरी तरह से छोड़ दिया …
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