RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 15
निशा को देखकर नही उसके आंखों में आंसू को देखकर मेरी हवा टाइट हो रही थी …
“क्या हुआ निशा ..?”
मैं जानता था की निशा ने वो सब देख लिया है जो मैं अंदर कमरे में कर रहा था ,असल में मैं भी पापा की तरह ही खुल्लमखुल्ला ये सब कर रहा था …..
वो बिना कुछ बोले ही भागी...मैंने भी खुद को थोड़ा सम्हाला और उसके पीछे भागा वो अपने कमरे में घुस गई थी ,मैं भी अंदर चला गया ……
“तू ऐसे रो क्यो रही है..??”
“तो क्या करू...रश्मि के साथ कुछ करते तो ठीक भी था लेकिन उन लोगो के साथ...छि वो हमारे माँ के उम्र के है...आप भी अपने बाप की ही औलाद निकले,मैं ही गलत थी आपके बारे में सोचती थी की आप अलग हो लेकिन ….नही ...अब जाओ यंहा से ,ताकत मिलने पर सभी उसका गलत ही फायदा उठाते है…..”
अब मैं इसे क्या समझाता की मैं वंहा क्यो गया था ..
“निशा मैं तुझे क्या समझाऊ की मैं वंहा क्यो गया था ..”
इस बार वो मुझे घूरने लगी ..
“अब ये मत कहना की उन्होंने आपको सेडयूस किया होगा..”
“नही असल में पहले मैंने ही उनके ऊपर जोर डाला था ,लेकिन मेरी बात तो सुन ..ये एक तरह का बदला था..”
वो मुझे अजीब नजर से देखने लगी ..
“मतलब …”
“मतलब की ये लोग मुझे मारने का प्लान बना रहे थे..”
“क्या…?”
“हा निशा ...कान्ता और शबीना को यंहा इसीलिए लाया गया था की ताकि वो पापा का पाप अपने पेट में ले ले,और उससे जो बच्चे जन्म ले उन्हें हमारे प्रोपर्टी में हिस्सेदारी मिलेगी ….”
“क्या???मैं समझी नही ..”
“चल मेरे साथ “
मैं उसे अपने कमरे में ले गया और वसीयतों की कॉपी दिखाई ,और पूरी बात समझाई की कैसे वकील ने हमारे साथ गेम खेला और कैसे चन्दू मुझे मारने का प्लान कर रहा है ,और कही छिप गया है लेकिन मैंने लकड़ी ,अपने ट्रेनिंग और काजल मेडम की बाते उससे शेयर नही की ……
“ओह मेरे भइया, चन्दू इतना कमीना निकल जाएगा मुझे अंदाजा भी नही था “वो मेरे गले से लग गई
लेकिन फिर मुझसे अलग हुई..
“लेकिन इससे आपको ये हक नही मिल जाता की मेरा हक आप किसी दुसरो में बांटो,हा रश्मि की बात अलग है “
मुझे समझ आ चुका था की वो किस बारे में बात कर रही है ..
“कौन सा हक “
“इसका हक”
उसने मेरे लिंग को पकड़ लिया जो की अभी अभी थोडा ढीला हुआ था ..
मैं हंस पड़ा
“तू मेरी बहन है मैं तेरे साथ ये सब नही करूँगा ,ये सब पाप है ..”
“भाड़ में गया पाप-वाप मुझे तो चाहिए…”
वो मेरे ऊपर कूद पड़ी थी और मुझे किस करने लगी ,हमारे होठ मिल गए और मेरा लिंग फिर से फुंकार मारने लगा…
ये अजीब बात थी की अब मुझे ज्यादा मजा आ रहा था,मुझे निशा के कोमल शरीर को छूने में उनसे खेलने में और उन्हें प्यार करने में ज्यादा मजा आ रहा था…..
मैं उसे सहलाने लगा था उसकी सांसे भी तेज हो चुकी थी ..
लेकिन मेरे मन में बार बार ये सवाल आ रहा था की क्या जो मैं करने जा रहा हु वो सही है ……??????
निशा मेरी बहन थी लेकिन जब से हमने होश सम्हाला था तब से बहन भाई वाली बॉन्डिंग हममे नही थी शायद यही वो कारण था की वो मेरे प्रति सेक्सुअली अट्रेक्ट हो रही थी ,मुझे उसके प्रति कोई सेक्सुअल अट्रेक्शन तो नही था लेकिन ……
लेकिन उसके शरीर की वो हल्की गर्मी मुझे पसंद आ रही थी ,मर्द था तो औरत के स्पर्श से उत्तेजना तो आनी ही थी ,क्योकि ये सच था की हमारे बीच कोई इमोशनल बॉन्डिंग नही बनी थी ,और जो थी भी वो कमजोर ही थी …..
निशा मुझे टूटकर चाहती थी और यही बात मुझे उसके और भी पास ले जा रही थी ,लेकिन फिर मुझे याद आया की मैंने कान्ता और शबीना का क्या हाल किया था और ये तो वरजिन है शायद..??
“रुक रुक ..”मैंने उसे अपने से थोड़ा अलग किया
“क्या हुआ भइया …”उसकी सांसे तेज थी ..
“मैं एक हैवान हु निशा ,तू शायद मुझे नही झेल पाएगी “
उसने मेरे आंखों को बड़े ही गहराई से देखा ,
“आपने उनके साथ जो किया वो मैंने देखा था ,हा आप एक हैवान हो ,हवस से भरे हुए एक राक्षस जिसे शांत नही किया जा सकता लेकिन …...लेकिन आप उनके साथ सिर्फ अपनी हवस और फस्ट्रेशन मिटा रहे थे लेकिन मेरे साथ…...मेरे लिए आप मेरे देवता हो ,मेरी जान हो ,मेरे प्यारे भाई हो ,मेरा पहला प्यार हो ,मैं आपके जिस्म से नही बल्कि आपके रूह से भी उतनी ही मोहब्बत करना चाहती हु “
उसने अपनी उंगलिया मेरे माथे से लेकर मेरे होठो तक चलाई ...और मेरे होठो में लाकर उसे रोक दिया,वो अभी भी मेरे ऊपर ही थी ,हल्के लूज टीशर्ट के अंदर उसने कोई भी अंतःवस्त्र नही पहने थे ,ना अपनी छोटी सी केपरी के अंदर कोई पेंटी जैसी चीज,जिससे उसके जिस्म का अहसास मुझे साफ साफ हो रहा था ..
उसने अपनी उंगलियो से मेरे होठो को बड़े ही प्यार से छुवा और हल्के हल्के से उन्हें सहलाने लगी ,मेरे साथ वो हुआ जिसके बारे में मैंने कभी सोचा ही नही था ,मैं उसके उन उंगलियों के अहसास में ही खो सा गया …
अजीब बात थी की उसकी आंखे नम हो रही थी लेकिन होठो में हल्की सी मुस्कान थी ,वो बिल्कुल ही शांत थी जो की मैं भी था….
“भइया मैं आपको अपना प्यार देना चाहती हु ,आप पर अपना हक जताना चाहती हु,आपकी हो जाना चाहती हु,शायद दुनिया के लिए ये पाप हो या कुछ और हो ,आप शायद इसे मेरे जिस्म की भूख ही समझे लेकिन यकीन मानिए की मेरे अंदर जो चल रहा है वो मैं ही जानती हु ...मैं अपना सब कुछ आप को दे देना चाहती हु ,आप इसे किसी हैवान की तरह भोगे की प्रेमी की तरह प्रेम करे ये आपके ऊपर है ,मेरा जिस्म और मेरी रूह मैं आपके हवाले करती हु …”
उसने अपने होठो को मेरे होठो से सटा दिया …
इस बार उसके होठो में कुछ अलग ही बात थी ,वो समर्पण था ,कोई जल्दबाजी नही थी कोई छिनने की भावना नही थी ,बस प्रेम का अहसास था,और उस अहसास से मैं भी जुदा नही रहना चाहता था ,मैं उस अहसास में डूब सा गया…
उस संवेदनशीलता में अपने को खो देना मुझे किसी सौभाग्य से कम नही लग रहा था ……..
मैं हल्के हल्के से उसके नाजुक होठो को अपने होठो से चुम रहा था वो अपने को और भी मेरे अंदर समाने की कोशिस कर रही थी …
मेरा लिंग अपनी ही धुन में अकड़ा हुआ था लेकिन मुझे इतनी भी फिक्र नही थी की मैं उसे कहि डालकर रगड़ू…
असल में मैं उसकी ओर ध्यान ही नही दे पा रहा था वो बस निशा के जिस्म से रगड़ खा रहा था लेकिन उससे ज्यादा मजा और खो जाने का अहसास मुझे निशा के होठो से ही मिल जा रहा था,
मैंने उसे अपने बांहो में भर लिया ,वो हल्की सी भरी हुई जरूर थी लेकिन मेरे सुडौल बांहो और मजबूत नंगी चौड़ी छाती में वो जैसे खो सी गई थी ,वो अब अपना सर मेरे छातियों में उगे बालो पर रगड़ रही थी ,मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मेरी छाती में कोई मासूम सा बच्चा सो रहा हो ,मैं उसे कोई भी दुख नही देना चाहता था ,प्यार करने के लिए मैं बस उसके फुले हुए गालो को अपने दांतो से हल्के से कांट लेता …..
मेरा लिंग अपनी ये अवहेलना नही सह पाया और कब मुरझा गया मुझे पता भी नही चला ….
हम बहुत देर तक वैसे ही सोये रहे ……
“भइया…”
“ह्म्म्म”
“आपके शैतान को क्या हुआ आप तो बोल रहे थे की मैं उसे नही झेल पाऊंगी वो तो सो गया “
उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुराए बिना नही रह पाया …
“ह्म्म्म शायद वो तेरे सामने शैतानी नही कर सकता ..”
वो भी मस्कुराते हुए मुझे देखने लगी ..
“मेरे पास एक जेल है ,पहली बार के लिए मैंने लाया था…..मैं चाहती हु की आज आप मुझे पूरी तरह से अपना बना लो “
अब मैं क्या कहता की मुझे तो उसका यू ही बांहो में लेटना ही किसी सेक्स से ज्यादा सुख दे रहा था ,मैंने कुछ भी नही कहा वो अपने कमरे में गई और एक ट्यूब ले आयी और मुझे थमा दिया …..
“अब मैं आपके हवाले हु “
सच बताऊ तो मुझे बिल्कुल भी समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू ,कैसे शुरुआत करू…..वो मुझे इस हालत में देखकर हँसने लगी ….
“पूरे बुद्धू ही हो …”
और मेरे ऊपर कूद गई ,हमारे होठ फिर से मिल गए थे ,इस बार उसने बहुत ही उत्तेजना के साथ मेरे होठो को चूमना शुरू किया,मैं भी उसके साथ हो लिया,उसने मेरा हाथ अपने वक्षो पर टिका दिया और मेरे हाथ कसते चले गए ,मैं उसके उरोजों को हल्के हल्के से दबा रहा था,और वो कसमसा रही थी ,मेरे लिंग ने धीरे धीरे फुदकना शुरू कर दिया था खासकर जब निशा के जांघो के बीच की घाटी से वो टकरा जाता तो जैसे एक झटका मरता,वो अकड़ गया था और जैसे जैसे वो अकड़ रहा था,मेरा और निशा का किस और भी ज्यादा उत्तेजक और तेज हो रहा था …
मैं निशा के बालो को पकड़कर उसे अपने नीचे लिटा दिया ,अब मैं पूरे जोश में आ चुका था,
एक बार मैंने उसके चहरे को देखा,उसकी आंखे आधी बंद हो चुकी थी सांसे तेज थी ,आंखों का काजल थोड़ा फैल गया था ,चहरा पूरा लाल हो चला था और होठ गीले थे,जो मुझे अपने ओर आमंत्रित कर रहे थे,मैंने फिर से उसके होठो को अपने होठो में भर लिया लेकिन इस बार अपने हाथ को उसके टीशर्ट से अंदर धकेल दिया ..
जो की उसके नंगे वक्षो पर जाकर रुके….
ऐसा स्पर्श मैंने जीवन में पहली बार अनुभव किया था ,वो बहुत ही मुलायम थे ,जैसे कोई रेशम हो ,चिकने ऐसे जैसे मक्खन हो ,मेरे हाथ फिसले और मैं उन्हें हल्के हल्के ही सहलाने लगा ….
अब मेरी भी सांसे तेज हो रही थी ,लिंग अपने पूरे सबाब में आ चुका था ,जो की सीधे निशा के जांघो के बीच रगड़ खा रहा था …
वो झीना सा कपड़ा उसकी योनि से रिसते हुए द्रव्य को रोकने में नाकामियाब था और मुझे पूरे गीलेपन का अहसास हो रहा था जो की मेरे लिंग तक जा पहुचा था ,
“भाई अब ..कर भी दो ना “
निशा बड़ी ही मुश्किल में बोल पाई थी …..
मैंने उसके टीशर्ट और केपरी को उसके जिस्म से आजाद कर दिया,अब वो मेरे सामने पूरी नग्न सोई थी और मैं उसके ऊपर अपने के मात्रा कपड़े को आजाद कर नग्न था …
हम दोनो के ही जिस्म एक दूसरे से रगड़ कहा रहे थे ,मैं तो उस ट्यूब के बारे में भूल भी गया था ,हवस और ये मजा मेरे अंदर उतरने लगा था ……..
कान्ता और शबीना से हुए कांड के बाद मेरे लिंग की चमड़ी अच्छे से खुल चुकी थी इसलिए मैं निशा के योनि के रस से भिगोकर उसे उसके योनि के द्वार में घिसने लगा…..
“आह..भाई...रुक...जा.”
निशा उस आनंद के अतिरेक को सह नही पा रही थी वो बड़ी मुश्किल से बोल पाई ,
“ट्यूब ..”उसने उसने उखड़े हुए स्वर में कहा ….
मेरा हाथ पास ही पड़े ट्यूब में चला गया और मैंने एक ही बार में लगभग आधा ट्यूब उसके योनि और अपने लिंग में डाल दिया..
उस जेल का कमाल था की मेरा लिंग इतना चिकना हो गया था की आराम से फिसल रहा था लेकिन अभी उसे एक दीवार को तोडना था वो थी निशा के यौवन की दीवार ,उसका कौमार्य …
मेरी प्यारी बहन ने मुझे अपने कौमार्य को भंग करने के लिए चुना था ,वो कार्य को शायद कोई दूसरा मर्द करता ,लेकिन समाज की और सही गलत की परवाह किये बिना हम जिस्म के मिलन के आनंद में डूबे हुए थे…….
मैंने अपने अकड़े हुए लिंग को फिर से निशा के योनि में रगड़ा और धीरे से वो थोडा अंदर चला गया ……
निशा ने मुझे कस कसर जकड़ लिया था उसके आंखों से दो बून्द आंसू झर गए …..
“आह मेरी जान …”मेरे मुह से अनायस ही निकला ,वो इतना टाइट था की मेरे मुह से आह का निकलना स्वाभाविक था,और वो मजा जो लिंग की चमड़ी के योनि के सुर्ख दीवार में घिसने से मिलता है …
“भाई..’निशा भी मुझे जोरो से जकड़ते हुए मेरे मुह में अपने मुह को घुसाने लगी ,हमारे होठ एक दूसरे के होठो को बेतहाशा ही चूमने लगे थे,मेरी कमर रुक गई थी अभी मेरा सुपाड़ा ही अंदर प्रवेश कर पाया था ,निशा ने मेरे कूल्हों पर आपने हाथो को जमा लिया ,वोई वंहा हल्के से प्रेशर देकर मुझे आगे बढ़ने की सहमति देने लगी …
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