RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 20
डॉ चुन्नी लाल तिवारी यरवदा वाले,उर्फ डॉ चूतिया..
उनकी छोटी सी क्लिनिक को देखकर किसी को अंदाज भी नही लग सकता था की ये आदमी आखिर है क्या चीज,क्लिनिक भी ऐसा जन्हा कोई पेशेंट नही होते थे,अजीब बात थी की उस शख्स को रश्मि के पिता भैरव सिंह भी जानते थे ,जब उन्होंने उसका नाम सुना तो उनकी आंखे ही चमक गई ……
“आखिर डॉ साहब से तुम क्यो मिलना चाहते हो ..”
“बस एक काम था अंकल “
हमारे पहुचते शाम हो चुका था ,मैं उनके ही बगीचे में बैठा हुआ उनके साथ चाय पी रहा था ,पास में ही रश्मि भी बैठी थी …
“कोई उनसे मिलने की बात कहे तो समझो की वो कोई बड़ी मुशीबत में है ,वरना ऐसे ही कोई उनसे नही मिलता ..आखिर बात क्या है ..??”
उनकी बात सुनकर मैं सोच में पड़ गया था की क्या मुझे उन्हें सब कुछ बताना चाहिए या फिर नही ………
“बस अंकल कुछ ऐसी बात है जिसे मैं आपको नही बताना चाहूंगा “
वो चौक कर रश्मि की ओर देखने लगे,रश्मि ने बस अपना सर हिला कर उन्हें निश्चिंत किया ..
“ठीक है कोई बात नही ,तुम नही बताना चाहते तो मत बताओ लेकिन ….लेकिन अगर तुम्हे मेरी जरूरत पड़े तो मैं सदा तुम्हारे साथ हु ,कभी तुम्हारे पिता मेरे अच्छे दोस्त थे ,और अब तुम मेरी बेटी के दोस्त हो ,तो मैं तुम्हारी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहूंगा ..”
उनकी बात सुनकर मुझे उनकी एक बात खटक गई …
“पहले अच्छे दोस्त थे मतलब ??”
उन्होंने एक गहरी सांस ली ……
“मतलब अगर सब कुछ सही होता तो तुम आज मेरे घर में पैदा होते,”
मेरे साथ साथ रश्मि भी चौक गई थी …..
“ये क्या कह रहे हो पापा ..”
“हा बेटी लेकिन यही सच है ,इसके पिता रतन और मैं अच्छे दोस्त हुआ करते थे ,हमने एक साथ पढाई की ,कालेज में भी हम साथ ही थे .उस समय तुम्हारे दादा के भाई ने अपने हिस्से की जयजाद बेच दी हमारे नाम आया ये महल और कई तरह की परेशानियां ,हम कहने को तो राजा थे लेकिन हमारी आर्थिक स्तिथि उस समय ठीक नही थी ,वही इसके दादा जी का उस समय बिजनेस की दुनिया में एक बड़ा नाम था, रतन ने मेरे बिजनेस को सेटल करने में मेरी मदद की उसके बिजनेस के कांटेक्ट थे वही मेरी राजनीति में पकड़ मजबूत थी ,क्योकि हम लोग यंहा के राजा थे कोई भी नेता हमारे समर्थन के बिना यंहा से आज भी नही जीत पाता,लेकिन हमारी दोस्ती मे दरार उस समय पड़ी जब हम दोनो को ही एक ही लड़की से प्यार हो गया …..”
उनके इतना कहने भर से मैं और रश्मि एक दूसरे को देखने लगे ,मुझे उनकी बात कुछ कुछ समझ आ रही थी की वो किसके बारे में बात कर रहे थे…….
मानो भैरव ने मेरी आंखे पढ़ ली ..
“हा बेटे वो तुम्हारी माँ थी ...और इसी बात में हमारी लड़ाई हो गई ,उसने मेरी बहुत मदद की थी इसलिए उसके लिए मेरे दिल में आज भी इज्जत है ,लेकिन आज भी वो मुझसे बात नही करता,उसके पिता के पास करोड़ो की दौलत थी वो बड़ा नाम थे वही मेरे पिता जी की मौत हो गई और मेरे ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई ,तो अनुराधा(राज की माँ) के पिता ने मेरी जगह रतन को अपना दामाद बनाने का फैसला कर लिया,बस इतनी सी बात है...मैं इस बात से टूट ही गया था लेकिन फिर मेरी जिंदगी में रश्मि की माँ आई और उसने मुझे बेहद ही प्यार दिया और मुझे एक प्यारी सी बेटी भी दे दी ..उसके बाद मैं सब कुछ भूलकर अपनी दुनिया में खुस रहने लगा ”
उन्होंने प्यार से रश्मि की ओर देखा ….
रश्मि भी अपने पिता को बड़े ही प्रेम से देख रही थी ..
“ओह पापा “
वो उनके गले से लग गई …
कुछ देर बाद दोनो शांत हुए ..
“तो बेटा ये थी हमारी कहानी ,तो मेरे ख्याल से तुम्हे मैं कल ही डॉ के पास भेज देता हु ,ठीक है ना ……”
मैंने हा में सर हिलाया …..
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दूसरे दिन से ही काजल मेडम का अतापता नही थी,पूछने पर पता चला की वो कुछ दिनों की छुट्टी पर गई हुई है ,मुझे समझ आ गया की शायद उन्हें मेरे बाबा से मिलने की बात का पता चल गया होगा लेकिन कैसे ..??
हो सकता है की वो मेरे ऊपर भी नजर रखे हुए हो ..
जो भी हो ,मुझे आज डॉ चूतिया से मिलने जाना था,मैं 10 बजे के करीब ही रश्मि के घर पहुच गया वंहा पहले से रश्मि मेरा इंतजार कर रही थी ,हमारे साथ हमारी सुरक्षा के लिए एक गाड़ी और भी थी ,अंकल ने बताया की उन्होंने डॉ से बात कर ली है..
करीब 2 घण्टे के बाद हम डॉ के क्लिनिक के बाहर थे …
उनका नाम पढ़कर ही रश्मि हंस पड़ी ,
“कैसा अजीब नाम है इनका तुम्हे लगता है की ये हमारी कोई मदद कर पायेगा “
रश्मि की ये बात मुझे बड़ी अच्छी लगी उसने ये नही कहा की क्या डॉ तुम्हारी कोई मदद कर पायेगा ,उसने कहा की क्या डॉ हमारी मदद कर पायेगा,अब हम दोनो मैं और तुम नही बल्कि हम हो चुके थे…
“देखते है ..”
हम अंदर गए एक सामान्य सा क्लिनिक था ,सामने रिशेप्शन था और फिर डॉ का केबिन,रिसेप्शन में कोई भी नही था ,जब हम अंदर गए तो वंहा एक पतला दुबला ,सावला आदमी बैठा कम्प्यूटर में कुछ देख रहा था वही उसके बाजू में एक गोरी चिट्टी ,हट्टी तगड़ी,भरी पूरी महिला खड़े हुए उसी कम्प्यूटर में कुछ देख रही थी,मैं उस महिला को पहचानता था ,यही थी जो वेबसाइट में मेरे मम्मे देख लो कर के अपने बड़े बड़े वक्षो को मसल रही थी ,उसे देखने से ही मेरे लिंग में एक सुरसुराहट सी हो गई ….
“नमस्ते डॉ साहब ..”
मुझसे पहले रश्मि ने कहा ..
उसकी आवाज सुनकर दोनो ही चौके ..
“ओह आओ आओ ,शायद तुमको भैरव सिंह ने भेजा है राइट ..”
“जी “
“बैठो बैठो ..”
हम दोनो डॉ के टेबल के सामने की कुर्सी पर बैठ गए …
अब डॉ और मेरी हमारी तरफ मुड़े…
“कहो कैसे आना हुआ ..??”
मैंने उन्हें शुरू से सब कुछ बताना स्टार्ट किया,कैसे मैं,जंगल गया,फिर बाबा से मिला,फिर काजल मेरे जीवन में आयी,फिर वकील आया फिर वकील की मौत फिर चन्दू का गायब होना फिर काजल का मुझे ट्रेन करना और डॉ वाली स्टोरी सुनाना और फिर फिर काजल के बारे में चन्दू से बात करते हुए पता चलना,फिर बाबा से मिलना और अब काजल का गायब हो जाना…
सब सुनकर वो थोड़े देर तक सोच में पड़ गए लेकिन मैरी बोल उठी ..
“वो कमीनी काजल यंहा भी आ गई ,हर जगह आ जाती है लगता है की उसी के कारण कहानी बनती है हमारी तो कोई वेल्यू ही नही है ..”(रीडर्स इसे इग्नोर करे )
उसकी बात से मैं चौका ..
“मतलब आप उसे पहले से जानती हो ,उसने मुझे आपकी वीडियो दिखाई थी लेकिन वीडियो में तो आपकी आवाज उसके जैसी है लेकिन असल जिंदगी में तो आपकी आवाज बहुत ही अलग है ..”
मेरी बात सुनकर मैरी थोड़ा शर्मा गई
“तो तुमने वो वीडियो देखी,क्या है ना की काजल की आवाज बहुत ही सेक्सी है तो मैंने आवाज उसी से डब करवाया था ..ऐसे कैसे लग रही हु मैं उस वीडियो में तुमने अच्छे से देखा ना..”
उसने अपने वक्षो को थोड़ा मेरे ओर झुका दिया ,उसने सफेद कलर का एक एप्रॉन पहना था जैसा डॉ पहनते है,जो की इतना टाइट था की उसके दोनो मम्मे बाहर की ओर झांक रहे थे ,भरे हुए शरीर की मलिका मिस मैरी मारलो पूरी तरह से एक MILF थी ..
उसे देखकर मैंने अपना थूक गटका ,वही रश्मि ने मेरे जांघो पर अपना हाथ मार दिया,मुझे फिर से होश आया …
“जी जी अच्छा था ,और अब मुझे समझ आया की काजल ने मुझे वो वीडियो क्यों दिखाया था ..”
“तुम्हें अच्छा लगा तो तुम्हारे लिए लाइव शो भी रख दूंगी “
उसने अपनी निचली जीभ को अपने दांतो से दबाया जो की इतना सेक्सी था की मेरा तो मुह ही खुला रह गया ,लेकिन रश्मि गुस्से से भर गई …
“डॉ साहब क्या हम काम की बात करे ..”
डॉ जैसे किसी सोच से बाहर आया था ..
“हा हा क्यो नही क्यो नही ...देखो ..क्या नाम है तुम्हारा “
“जी मेरा नाम राज है राज चंदानी और ये मेरी दोस्त भैरव सिंह की बेटी रश्मि ..”
“ओके तुम रतन चंदानी के बेटे तो नही “
“जी….आप मेरे पिता जी को जानते है ??”
“हा बिल्कुल इतने बड़े बिजनेसमेन है कैसे नही जानूँगा ..और कभी वो भैरव का खास दोस्त भी हुआ करता था “
“जी अंकल ने हमे कल ही बताया ..”
“ह्म्म्म अच्छा है ...देखो बेटा ,काजल कभी मेरे ही साथ काम किया करती थी ,वो मेरी ही शागिर्द है और उसे मेरे कनेक्शन का भी अच्छे से पता है ,हमारी राहे अब अलग हो चुकी है लेकिन वो कभ मेरे रास्ते में नही आयी थी ,लेकिन मेरा नाम वो कई जगह पर ले चुकी है तुम्हारे साथ भी उसने ऐसा ही किया,ऐसे वो बाबा जी कौन है …”
“मुझे नही पता …”
“ह्म्म्म जैसा तुमने बताया वो डागा ही होगा ..”
उसकी बात सुनकर मैं बुरी तरह से चौका ..
“वाट ...लेकिन वो तो क्रिमिनल था ना “
मेरी बात सुनकर डॉ जोरो से हँसा …
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