RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 32
हम अपने प्यार में मस्त थे वही दो आंखे हमें घूरे जा रही थी ,जब हवस का तूफ़ान शांत हुआ तो मैंने कमरे की और देखा ,वो आंखे लाल थी और गुस्से में लग रही थी ,वो मुझे देखते ही तेजी से बाहर की और चले गयी ……..
मैं तुरत ही उठा और उसके पीछे चले गया
"दीदी सुनो तो "
वो निकिता दीदी थी
"मुझे कुछ भी नहीं सुनना मैं तो सोच भी नहीं सकती थी की ये सब छी ………”
वो आगे जाने लगी ,और ऐसे कॉम्प्लिकेटेड सिचुएशन में भी मेरा ध्यान उनके टाइट सलवार में कसे हुए चूतड़ों पर चला गया ,वो किसी मटके की भांति लग रहे थे और बड़े ही मस्ती में झूल से रहे थे ,दीदी अपने कमरे में गई और दरवाजा जोर से बंद होने की आवाज आई…
वही मेरा लिंग जो की अभी अभी एक यौवन को भोग चुका था वो फिर से तन कर सलामी देने लगा था ,
जब मैंने उसे अपने हाथो से मसाला तो मुझे ध्यान आया की मैं तो नंगा ही घूम रहा हु.
मुझे खुद पर विस्वाश नही हुआ लेकिन फिर मेरे दिमाग में एक बात आयी..
गो विथ वाइंड ...मतलब की हवा के साथ चलो ,जीवन अगर इधर ही ले जा रहा है तो उसके साथ ही बहो और मुझे भी अब अपने दिमाग में चल रहे द्वंद को भूलकर अपनी शैतानी शक्तियों के साथ ही चलना चाहिए ...मेरे अंदर दो दो शक्तियां थी ..
और दोनो ही बड़ी ही ताकतवर थी तो मैं उनसे क्यो लडू जैसा वो मुझे चलाना चाहते है मुझे वैसे ही बहना चाहिए …
मेरा दिमाग क्लियर हो चुका था ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा बोझ सर से उतर गया हो …
मैं तुरंत दीदी के कमरे के सामने खड़ा हो गया और दरवाजे को पीटा…
“चले जाओ यंहा से ..”
अंदर से रोने की आवाज आयी
“दीदी एक बात प्लीज् मैं समझा सकता हु “
थोड़ी देर तक दरवाजा नही खुला
“अगर आप दरवाजा नही खोलोगी तो मैं यही खड़ा रहूंगा रात भर “
थोड़े देर बाद दरवाजा खुल गया और मैं जल्दी से अंदर आया ,उन्होंने दरवाजा लगा लिया ,
“छि तुझे इतनी भी शर्म नही है की तू नंगा ही यंहा चला आया “
उन्होंने एक बार मुझे घूर कर देखा और तुरत ही अपनी आंखे मुझसे हटा ली..”
“दीदी “
मैं उनके नजदीक आकर उनके कमर को पकड़ चुका था
“मुझे माफ कर दो “
उन्होंने मुझे अपने से दूर करने के लिए धक्का लगाया
“दूर हट मुझसे “
और आगे जाने लगी लेकिन मैंने उन्हें पीछे से जकड़ लिया,वही हुआ जो होना था,मेरे लोहे जैसा लिंग जो की तन कर किसी खड़ा था जाकर सीधे दीदी के नर्म नर्म चूतड़ों से रगड़ खा गए ऐसा लगा जैसे मुझे जन्नत मिल गई वही दीदी की सांसे भी जैसे रुक सी गई ,वो शांत हो गई थी ..
“भाई हट यंहा से “
उनकी आवाज कमजोर थी जो की ये बता रही थी की वो बेहद ही नर्भस है लेकिन एक सदमे भी है ,मैंने अपने कमर को एक बार और चलाया और मेरा लिंग एक बार फिर से उनके चूतड़ों पर रगड़ खा गया ,दीदी जोरो से छूटने के लिए मचली लेकिन मेरी पकड़ बेहद ही मजबूत थी वो बस कसमसा कर रह गई ..
“छोड़ मुझे तू शैतान हो गया है ,अब तू वो भोला भाला लड़का नही रह गया “
दीदी रूवासु हो गई थी जिसे देखकर मुझे दुख हुआ और मैंने उन्हें पलटकर अपने सीने से लगा लिया ,उनके बड़े बड़े वक्ष मेरे छातियों में धंस गए थे वही मेरा लिंग अब उनके जांघो के बीच तो कभी पेट पर रगड़ खा रहा था नर्भसनेस के कारण वो पसीने से भीगने लगी थी …
“दीदी मुझे भोला भाला बनकर कुछ भी हासिल नही हुआ ,अब तो मैं एक शैतान ही हु ,लेकिन यकीन मानो मैं अपनी बहनो से बहुत प्यार करता हु “
दीदी ने मुझे देखा
“प्यार करने का ये तरीका नही होता राज ये हवस है “
“हा दीदी ये हवस है ,लेकिन इसमे भी प्यार छिपा हुआ है,एक भाई का प्यार अपनी बहन के लिए “
ये कहकर मैंने दीदी के मलाईदार चूतड़ों को सहला दिया और चटाक
एक जोरदार थप्पड़ मेरे गालो में आ पड़ा
“इसे तू प्यार कहता है ,तू सच में शैतान ही है हट जा मुझसे दूर “
वो रोने लगी थी ,मुझे समझ नही आया की मैं क्या करू ,
मुझे वो बात याद आई जो कभी बाबा जी और काजल ने कहा था की मुझे अपनी शक्तियों का ही अंदाज नही है ,और ये भी की मैं किसी भी को खुद की ओर आकर्षित कर सकता हु ,
मैंने खुद कोई शान्त किया और दीदी के गले में पूरे शिद्दत से एक चुम्मन कर दिया ,मेरे होठ उनके गले में जा लगे उनमे मेरे पूरे जस्बात थे ..
उनका रोना बंद हो चुका था वो मुझे ही देख रही थी
“तू मुझसे क्या चाहता है भाई …??”
उनकी आंखों में कुछ बदल सा गया था ,वो शांत हो चुकी थी
“प्यार ...मैं आपको प्यार देना चाहता हु ऐसा जैसा आपको कोई दूसरा नही दे सकता ..”
मैंने उनके बालो में अपनी उंगलिया फ़साई और उन्हें अपनी ओर खीच लिया वो बिल्कुल ही आश्चर्यचकित थी शायद वो एक सम्मोहन में फंस चुकी थी ,उस दिन मुझे समझ आया की किसी को कैसे सम्मोहित किया जाता है,मैंने अपनी पूरी एनर्जी फिर से अपने होठो तक लाई और उनके होठो से मिला दिया ..
“उह “
वो उस अजीब से अहसास से मचल सी गई ,वो टूटने लगी और मेरे होठो को चूसने लगी,उन्होंने मुह खोलकर मेरे जीभ को अपने मुह के अंदर आने दिया ..
मैं उस रस से भरे होठो को बेहद ही इत्मीनान और प्यार से भरकर चूस रहा था ,वो भी मेरी बांहो में मचल रही थी और मेरे सर को अपने हाथो से पकड़े कर उसे अपनी ओर खीच रही थी .मुझे लग रहा था जैसे वो किसी जादू के नशे में चूर हो गई है जैसे वो खुद को भूल ही गई हो……
मैं उनके मुह के अंदर तक अपने जीभ को ले जा रहा था मैं जितना हो सके उतना उनके अंदर तक पहुचना चाहता था ,मेरा लिंग उनके जांघो के बीच घिस रहा था अब मुझे लगा की ये ही समय है दीदी पूरी तरह से मेरे वश में थी ..
मैंने हाथ आगे बढ़कर उनके सलवार का नाडा खोल दिया वो टाइट था इसलिए जल्दी से नीचे नही गिरा ,मैंने उन्हें अपने हाथो से उठाकर बिस्तर में लिटा दिया था ,मैं अपने हाथो को आगे बढ़कर उनके सलवार को निकाल रहा था वो भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी ,मैंने बिना देर किये ही उनकी पेंटी भी निकाल कर फेक दी ...और फिर से उनके ऊपर लेट गया,हमारे होठ अभी भी मिले हुए थे वही मेरे हाथ अब दीदी की योनि पर थे जो हल्के हल्के बालो से भरी हुई थी और काम के रस से गीली भी हो चुकी थी ,उनपर हाथ चलाना भी किसी जन्नत से कम नही था,मेरी एक उंगली उस रस से भीगकर उनके योनि में फिसल गई
“आह..भाई “
वो मचली लेकिन मुझे उनके योनि के कसावट का अंदाजा लग गया ,मुझे समझ आ चुका था की मेरा लिंग ही उनकी योनि में जाने वाला पहला लिंग होने वाला था ….
ये मेरा नशीब ही था की मेरी इतनी सुंदर बहनो की अनछुई योनियों को मैं ही पहला हकदार था ,
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