RE: Hindi Kamuk Kahani जादू की लकड़ी
अध्याय 51
जब दिमाग ही काम करना बंद कर दे तो क्या किया जाए,दिमाग ने काम कारना बंद कर दिया था ,विवेक अग्निहोत्री मर चुका था और साथ ही मेरी आखरी उम्मीद भी ,सबसे बड़ी बात जो की अभी तक अधूरी रह गयी थी वो था आखिर क्यो??
आखिर उसने ऐसा किया तो क्यो किया …?
पुलिस और डॉ दोनो के पास ही इसका कोई जवाब नही था,मैं फिर से खाली हाथ घर पहुचा ,अपने कमरे में बैठा हुआ मैं रूबिक क्यूब सॉल्व कर रहा था तभी नेहा दीदी मेरे कमरे में आई ..
मेरा चहरा उतरा हुआ था ..
“क्या हुआ राज आज थोड़ा टेंशन में दिख रहे हो ..”
“दीदी कुछ समझ नही आ रहा है ..?”
“क्या?”
“आपको हमारे पुराने वकील विवेक के बारे में पता है “
“हा जानती हुई उनकी तो डेथ हो गई है ना ..”
“हा लेकिन पिता जी के एक्सीडेंट के बाद...मैं कई दिनों से हमारे साथ हुए हादसों के बारे में सोच रहा था,और आखिर में मैं विवेक तक पहुचा,इस परिणाम में पहुचा की विवेक अग्निहोत्री ने ही हमारे काम में बम लगाया था लगवाया था “
“वाट”
दीदी का चौकना स्वाभाविक था
“हा दीदी ,वो जिंदा था अपने मरने की खबर फैला कर जिंदा था .हमने सोचा था की हम उसे ढूंढ लेंगे लेकिन उसकी लाश मिली ,किसी ने उसे गोली मार दी थी ,बम वाले हादसे के कुछ दिनों के बाद ही “
“आखिर किसने ??”
“यही तो सबसे बड़ी समस्या बन गई है मेरे लिए,क्योकि जिसने भी उसे मारा है वो शायद वो हमारा भी दुश्मन होगा “
कमरे में थोड़ी देर तक सन्नाटा ही पसरा रहा
“राज ऐसा भी तो हो सकता है कोई हमे प्रोटेक्ट कर रहा हो और इसलिए उसने विवेक को मारा होगा ..”
“लेकिन ..”
“लेकिन क्या राज सोचो ऐसा भी तो हो सकता है ना ,की किसी को हमारे भले की फिक्र हो लेकिन वो सामने नही आना चाहता हो इसलिए विवेक को मार कर हमारे परिवार की रक्षा की हो ..”
“हो सकता है लेकिन आखिर ऐसा आदमी हमारे परिवार पर हमला क्यो करवाएगा “
“ऐसा भी तो हो सकता है की हमला विवेक ने करवाया होगा और से रोकने के लिए ही विवेक को ही रास्ते से हटा दिया गया हो “
“हो सकता है दीदी लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नही है असल में हर चीजे जुड़ी हुई है ,मेरा जंगल से वापस आना फिर चन्दू का गायब हो जाना और फिर चन्दू की मौत और फिर हमारे ऊपर हुए हमले ..जयजाद के सारे लोचे लफड़े ,सभी एक दूसरे से कनेक्टेड लगता है ,”
“राज तुम इसे जयजाद से ही जोड़कर क्यो देख रहे हो ,हो सकता है की कोई पर्सलन दुश्मनी होगी ,या कोई पर्सनल दोस्ती ,कुछ भी हो सकता है ना,तुम अपना ध्यान इन सबमे मत लगाओ ..”
“दीदी आखिर कैसे ना लगाऊ,आप ही सोचो ना की अगर वो इंसान हमारा मित्र नही बल्कि दुश्मन होगा तो हमारे ऊपर संकट के बदल तो हमेशा ही रहेगा ,”
“भाई मेरे ख्याल से माँ से बात करनी चाहिए “
“किया था दी “
“अब फिर से क्योकि उस समय तो तुझे नही पता रहा होगा की विवेक मार चुका है “
“लेकिन मां से बात करके मुझे लगा नही ही की उन्हें कुछ पता भी होगा…”
“हो सकता है की वो कुछ छिपा रही हो “
“लेकिन वो ऐसा क्यो करेगी ??”
“जीवन में कई मजबूरियां आती है भाई जिसे हम नही समझ सकते ,हो ना हो मा को कुछ तो जरूर पता होगा “
मेरा दिमाग दीदी की बातो से मेरा दिमाग ठनक रहा था ,नेहा दीदी कितनी समझदार है उसका पता तो मुझे पहले से ही था और अगर वो कुछ बोल रही है तो जरूर उन्हें कुछ ऐसा तो पता होगा जिससे उनको कुछ शक सा हुआ हो ..
“आपको इतना भी क्या कॉन्फिडेंस है अपनी बात पर ..”
वो थोड़ी सकपकाई ..
“भाई मेरे पास कारण है ,पहला भैरव सिंह ,मां का पुराना आशिक था और आज उसके पास नाम और दौलत दोनो है ,वो इतना पावरफुल है की कुछ भी करवा सकता है ..”
“दीदी आप भैरव अंकल और मां के चरित्र पर दाग लगा रहे हो ??”
“भाई हरम में सब नंगे होते है ,अपनी जवानी में इन लोगो ने जो भसड़ मचाई थी उसके कारण ही तो ये सब हो रहा है,भैरव सिंह और मा एक दूसरे से प्यार करते थे,और दोनो पिता जी के जिगरी यार भी थे लेकिन हमारे पिता जी तो ठरकी और हरामियों के गुरु रहे है ,तेरे जैसे आंखों से सम्मोहन करने में उस्ताद ,मां को ही फंसा लिया,हवस में दोस्ती तो गई साथ ही साथ जिंदगी भी गई उनकी ...वो कभी शादी नही करना चाहते थे लेकिन निकिता दीदी पेट में थी और दोनो के घर वाले उस समय के सबसे बड़े बिजनेस परिवार हुआ करता था अच्छे दोस्त भी थे तो इनलोगो के ऊपर प्रेशर डालकर शादी करवा दी …लेकिन भाई प्यार तो प्यार है मां और भैरव दोनो ही जल रहे होंगे...फिर भी जैसे तैसे दोनो अपनी जिंदगी में सेट होते हमारे पिता जी ने एक और कांड कर दिया ..रश्मि की मां को फंसा कर उसे भी प्रैग्नेंट कर दिया हमारे पिता जी की ही देन है और ये बात भैरव और मां दोनो ही जानते है ,अब तू खुद सोच इसके बाद भैरव सिंह अगर पिता जी को मरना नही चाहेगा तो क्या चाहेगा...और मां के बारे में भी सोच इतना जानने के बावजूद बेचारी चुप ही रही ,आदर्श नारी बनकर ..मैं ये तो नही कहती की उन्होंने कुछ किया होगा लेकिन उन्हें पता तो रहा ही होगा कुछ न कुछ शायद,क्योकि अगर भैरव इसमे शामिल है तो वो मां को बताए बिना कुछ नही करेगा ,वही विवेक की बात करे तो वो भी तो दीवाना था ,हमारी मां ने अपने जवानी में कई लड़को को अपने पीछे घुमाया था ,बेचारी खुद ही पिता जी के जाल में फंस गई ..”
उन्होंने एक गहरी सांस ली लेकिन मेरा मुह खुला का खुला रह गया था …
“आखिर आपको ये सब कैसे पता ??”
“तुझे क्या लगता है सिर्फ तुझे ही जासूसी करना आता है ,भगवान ने मुझे भी दिमाग दिया है राज ,हा बस चन्दू के मामले में मैं गलत निकली थी..”
अब मैंने एक गहरी सांस ली
“दीदी चलो मान लिया की मां को कुछ पता होगा लेकिन वो हमे क्यो बताएगी ,और अगर पता ना हुआ तो ..?? हमारे बीच के रिश्ते का क्या होगा इतना बड़ा इल्जाम आखिर हम उनपर नही लगा सकते “
“इसमे इल्जाम वाली क्या बात है भाई “
“ये इल्जाम नही तो क्या है दीदी ,जिन चीजो ने हमारे परिवार को बिखेर दिया उसका तो इल्जाम ही लगता है ना “
दीदी जोरो से हँस पड़ी
“तुझे सच में लगता है की इन चीजो ने हमारे परिवार को बिखेरा है ?? तू खुद सोच की पहले हम सब कैसे थे और अब कैसे है,एक दूजे के इतने नजदीक हम कभी भी नही थे ,हम बिखरे नही बल्कि मिल गए है ,और हमारे परिवार की सबसे बड़ी कमजोरी हमारे पिता जी भी अब नही रहे ..जिनके पापो की सजा हमे ये मिल रही है की मैंने अपने ही खून चन्दू से प्यार किया ,तूने अपने खून रश्मि से प्यार किया उसके बाद अपनी सगी बहनो के साथ भी ..”
“चन्दू हमारा खून नही था दीदी “
“लेकिन उस समय तो हमे पता नही था ना ,और जो तूने किया है उसका क्या ?? ये सभी हमारे पिता जी के पाप का ही तो नतीजा था “
“लेकिन दीदी वो सुधार गए थे,”
“शैतान शैतान ही रहता है राज ..”
उनकी आंखों में आंसू की कुछ बून्द आ गई थी ,दीदी को पिता जी के लिए इतना बोलते मैंने कभी नही सुना था ..वो ऐसे बोल रही थी जैसे वो उनसे नफरत करती हो
“दीदी “
मैंने उनके कंधे को पकड़ा ..
“भाई मैं वर्जिन नही हु भाई ..हमारे पिता के हवस का एक शिकार …”
“वाट..”
मेरा खून मानो जम सा गया था ,मुझे अपने कानो में भी यकीन नही हो रहा था कोई पिता अपनी ही बेटी के साथ ये सब..पिता जी के चले जाने का दुख मुझे हमेशा होता था लगता था की अंत समय में वो ठीक हो गए थे और मैंने उन्हें खो दिया लेकिन आज दीदी की बात सुनकर मैं स्तब्ध था ,मुझे उनसे घृणा हो रही थी ..
“इसलिए तुझसे हमेशा कहती हु भाई की अपने हवस पर काबू रख ,वासना की आग कुछ भी नही देखती ,कोई रिश्ता नही देखती ,मां बेटे,बाप या बेटी,भाई या बहन कुछ भी नही ,तू भी पिता जी की तरह वासना की आंधी में उड़ता चला जा रहा था ,इसलिए मैंने तुझे रोक लिया ,मैं नही चाहती थी की तू भी पिता जी की तरह वासना की आंधी में उड़ाता हुआ अपने ही घर को उजाड़ दे ,मां पिता जी से प्रेम तो करती थी लेकिन कभी वो सम्मान नही दे पाई जो एक पत्नी को अपने पति को देना चाहिए था ,आखिर आता भी तो कैसे ..इसलिए कहती हु की मां को शायद कुछ पता होगा ..”
लेकिन अब मैं रोने लगा था ,मेरे अंदर ग्लानि की एक आग सी जलने लगी थी,आखिर मैं भी तो अपने पिता का ही खून था ,उन्होंने अपनी आग को बुझाने के लिए पिता पुत्री के पवित्र रिश्ते को भी नही छोड़ा...और मैं भी उनकी ही राह में चल निकला था ,जो सामने आता उसे अपने जाल में फंसा कर अपनी हवस को पूरा करता था,अगर नेहा दीदी नही रोकती तो ,शायद एक दिन मां के साथ भी मेरे नाजायज रिश्ते बन जाते ,और ना जाने कितनी औरते ,और भविष्य आखिर कैसा होता,नाजायज रिस्तो से जन्मे हुए नाजायज बच्चे,जब उन्हें मेरी हकीकत पता चलती तो ...जैसे मेरे दिल में पिता जी के लिए सम्मान खत्म हो गया था शायद वैसे ही मेरे बच्चे मेरे बारे में सोचते …
ग्लानि पश्चयताप और दुख तीनो ने ही मुझे जकड़ लिया था..
नेहा दीदी ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा …
“भाई उनके साथ मुझे भी मजा आया था ,जैसा निशा और निकिता दीदी को तेरे साथ आता है ,तो नफरत करने की बात नही है,ना ही समय ही है ,जो चला गया उसे पीछे छोड़ो और जो सामने है उसपर फोकस करो...बात ये है जो गलतियां हो चुकी चुकी है उसे बदला तो नही जा सकता लेकिन नई गलतियां करने से तो खुद को बचाया जा सकता है …”
मैंने भी अपने आंसू पोछ लिया
“हा दीदी ..”
“तो मां के पास चले ,कम से कम मन का एक वहम तो खत्म हो जाएगा ……”
मैंने हा में अपना सर हिलाया ….
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