RE: kaamvasna साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ
दूसरे दिन राज ने सारी बातें विस्तार से कमल को सुनाई। कमल ने राज की कही सारी बातें सुनी। उसे सुनकर कमल को कोई आश्चर्य नहीं हुआ। कमल ने कहा, " राज तुम ज़रा भी हौसला मत खोना और चिंता मत करो। तुम ठीक जा रहे हो। आगे देखते जाओ, क्या होता है। अब तुम एक काम और करो। तुम भाभी से सेक्स करते समय उसे ऐसी कल्पना करने को कहो की वह तुमसे नहीं कोई और पुरुष से सेक्स कर रही है। उसे ऐसा नाम सोचने को कहो जिसे वह जानती हो और जिस को वह पसंद करती हो।" फिर कमल ने राज का अगला कदम क्या होगा उसके बारेमें विस्तार से बताया।
बात होने के एक दिन बाद रात में राज ने सहज रूप में ही अपनी बीबी रानी से पूछा की पिछली रात वाला वीडियो कैसा लगा तो रानी ने कहा, "देखो, सोचनेमें तो यह बड़ा लुभावना लगता है; और तुम जो चाहे कहो, पर ऐसा वास्तव में हो नहीं सकता। मेरे साथ तो कतई नहीं। गैर मर्द के बारेमें तो तुम सोचना भी मत। मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ। कमाल करते हो। तुमने क्या सोचा की मैं किसी भी गैर मर्द से ऐसे ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी? नहीं जी नहीं, यह नहीं हो सकता।"
राज अपनी बीबी की बात सुनकर निराश हो गया। उसे लगा की उसके प्लान पर उसकी बीबी ने ठंडा पानी डाल दिया था। वह सोच में पड़ गया। तब अचानक उसे रानी की दो बातें सूचक लगी।
पहले तो रानी ने कहा "देखने में तो यह सब लुभावना लगता है।" इसका मतलब यह हुआ की रानी को दो मर्दों से चुदवाने वाली बात लुभावनी लगी।
दुसरा जब रानी ने यह कहा की , "मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ जो किसी भी गैर मर्द से ऐसे ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाउंगी।" इसका मतलब रानी ने यह कहा की वह किसी ऐरे गैरे से चूदवाने के लिए नहीं तैयार होगी और वह वैसे ही नहीं मानेगी। वह एक इज्जतदार औरत है और अपनी इज्जत आसानी से किसी ऐरे गैरे के साथ दाव पर नहीं लगा सकती।
पर जो रानी ने नहीं कहा वह यह था की अगर कोई ख़ास व्यक्ति हो तो वह तैयार हो सकती है और उसे काफी मनाना भी पडेगा। शायद बातों बातों में ही रानी ने मना करते हुए भी इशारा कर ही दिया की वह मान सकती है। उसे किसी और से चुदवाना लुभावना तो लगता है लेकिन वह आसानी से मानने वाली नहीं है। उसके पीछे काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। सबसे ज्यादा सूचक रानी ने यह इशारा किया की वह किसी साधारण व्यक्ति को अपना सर्वस्व समर्पण नहीं करेगी।
तब राजने बड़े ही प्यार में धीरे से रानी से कहा, "ठीक है। चलो मैंने तुम्हारी बात मान ली। तुम किसीसे हकीकत में चुदवाना नहीं चाहती हो तो न सही। पर मेरा मन रखने के लिए मेरी उत्तेजना के लिए ही सही; तुम जब मुझसे चुदवाती हो तो तुम्हारा मन पसंद कोई भी गैर मर्द से चुदवाती हो ऐसा नाटक तो तुम कर सकती हो न? मुझसे चुदवाते समय तुम मुझे उस गैर मर्द के नाम से बुला तो सकती हो न? उसमें तो तुम्हें कोई एतराज नहीं होना चाहिए?"
थोड़ा सोचने के बाद रानी ने कहा, "चलो ठीक है। जब तुमने मेरी बात मान ली है तो फिर तुम्हारे लिए मैं इतना तो कर सकती हूँ। "
राज ने कहा "तो फिर बोलो; तुम्हारा मनपसंद पराया मर्द कौन है? तुम कल्पना मैं किस मर्द से चुदवाना पसंद करोगी? मुझे किस नाम से बुलाना पसंद करोगी?"
रानी ने कहा, "जब कल्पना ही करनी है तो कोई भी नाम ले लो, चलेगा। संजय, धनञ्जय, सुरेश, रमेश कोई भी नाम लो, क्या फर्क पड़ता है? तुम बताओ। तुम जो कहोगे मैं वही नामसे तुमको बुलाऊंगी। असल में तो तुम ही मुझे चोदोगे ना?"
राज ने कहा, "हाँ, चोदुँगा तो मैं ही। पर तुम मुझे ऐसे वैसे नाम से नहीं बुलाओगी, ऐसा वैसा कोई भी नाम नहीं चलेगा। कल्पना में ही सही पर चोदने वाला एक जाना हुआ और तुम्हारा पसंदीदा व्यक्ति होना चाहिए। मान लो की तुम्हें मजबूर किया जाए की तुम्हें तुम्हारे पति के अलावा जाने पहचाने मर्दों में से किसी एक से चुदवाना ही पडेगा तो तुम जिसे पसंद कर सकती हो ऐसा व्यक्ति होना चाहिए। वह ऐसा होना चाहिए की तुम दूसरों के मुकाबले उससे चुदवाना पसंद करोगी। तभी तो तुम्हें कल्पना में उससे चुदवाने का असली मजा आएगा न? तो फिर बोलो तुम्हारा पसंदीदा मर्द कौन है?"
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