RE: kaamvasna साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ
आखिर यह तय हुआ की राज की बीबी रानी कुमुद के पति कमल के साथ गरबा में जायेगी और रानी का पति राज कमल की बीबी कुमुद को लेकर रिवर फ्रंट जाएगा और दोनों कहीं न कहीं कुछ खा लेंगे। इस तरह दोनों पति एक दूसरे की पत्नी के साथ अलग अलग जाने को राजी हो गए। जब रानी ने कुमुद से पूछा की वह कब तक बाहर घूमेंगे तब कुमुद ने कहा, "हम लोग करीब ११ बजे तक वापस आ जायेंगे।"
राज की पत्नी रानी ने बड़े चाव से गरबा के लिए ड्रेस की चार जोड़ी: दो औरत (रानी और कुमुद) के लिए और दो मर्दों (राज और कमल) के लिए नाप लेकर बनवायी थी। रानी और कुमुद के लिए चणिया चोली और मर्दों के लिए छोटा कुर्ता और काठीयावाड़ी निचे से टाईट और ऊपर से ढीला ऐसा पजामा। जब रानी ने चणिया चोली पहनी तो दोनों मर्दों के जबड़े खुले के खुले ही रह गए।
चोली इतनी सेक्सी थी की रानी के फुले हुए मस्त स्तन थोड़े ऊपर से और थोड़े निचे से बाहर निकल रहे थे। अगर उस चोली को थोड़ा सा ऊपर या निचे की और खींचा जाए तो रानी के स्तन पुरे नंगे ही हो जाएँ। कमल तो रानी के बदन को देखता ही रह गया। उसकी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। रानी का घाघरा भी शरीर से चिपका हुआ रानी की मस्त जाँघें और उसकी सुआकार गाँड़ को भली भाँती उजागर कर रहा था। रानी ने घाघरे का नाडा कमर से इतना निचे कसा था की न सिर्फ उसकी नाभि लुभावनी नंगी दिख रही थी बल्कि रानी के पेट का उभर भी दिखता था। अगर नाडा थोड़ा निचे की तरफ खिसकाया जाये तो रानी की चूत के ऊपर के बाल भी नजर आने लगें। रानी की नाभि, पेट और स्तन के निचे के हिस्से इतना सेक्सी नजारा दे रहे थे की कमल और राज दोनों की आँखें रानी के बदन को ऐसी ताक रहीं थीं जैसे वह रानी को वहीँ के वहीँ चोदने को तैयार हों।
रानी ने कमल को तीखी नजर से देखा तो कमल ने बड़ी मुश्किल से अपनी नजर रानी के बदन से हटाई। राज ने यह सब देखा पर कुछ ना बोला।
राज और कुमुद तैयार होकर घर से निकले। कुमुद ने जीन्स और ऊपर एक लूज़ टॉप पहन रखा था। राज ने एक ऑटोरिक्षा बुलाया और कुमुद के साथ बैठ कर साबरमती के किनारे जाने के लिए निकल पड़े। वहाँ पहुँचने पर नज़ारे की सुंदरता देख कुमुद स्तब्ध रह गयी। हमारे देश में इतना खूबसूरत नजारा कम ही देखने को मिलता है। दोनों एक बेंच पर बैठे और नदी को जोश से बहते हुए देखने लगे। राज ने धीरे से कुमुद के हाथ पर अपना हाथ रखा। कुमुद मुड़कर राज की और थोड़ी देर तक देखती रही, पर कुछ बोली नहीं। अपने हाथ के उपरसे राज का हाथ देखा पर पर उसे हटाया नहीं। राज ने धीरे से पूछा "कुमुद आप इतने गंभीर क्यों हो? जब से आप आये हो तबसे मैं देख रहा हूँ की आप कुछ बेचैन से हो। अगर आप मुझे अपना समझते हो तो आपके मनमें जो भी बात हो आप मुझसे बेझिझक बात कर सकते हो।"
राज की इतनी प्रेम भरी और मीठी बात सुन कर कुमुद की आँखें भर आयी। राज ने कुमुद के कंधे पर हाथ रखा और धीरे धीरे वह कुमुद की पीठ को सांत्वना देते हुए सहलाने लगा। कुमुद की आँखों में से अचानक अश्रुओं की धारा बहने लगी। उस ने राज के कन्धों पर अपना सर रख दिया और धीमी सी आवाज में सिसक कर रोने लगी। राज ने कमल की बीबी को अपनी बाहों में ले लिया और बिना कुछ बोले कुमुद की पीठ को सहलाता रहा और उसे सांत्वना देने का प्रयास करता रहा।
कुछ देर बाद जब कुमुद थोड़ी शांत हुई तब उसने कहा, "राज मैं बड़ी उलझन में हूँ। बात कुछ ज्यादा ही नाजुक है और पता नहीं मुझे तुमसे यह बात करनी चाहिए या नहीं।"
राज ने कहा, "कुमुद अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो तुम बड़े इत्मीनान से मुझे अपना निजी मित्र मान कर मुझसे खुले दिल से बात कर सकती हो। तुम मेरे बड़े भाई की पत्नी हो और इस रिश्ते से तुम मेरी बड़ी भाभी हो। पर मैं तुम्हें बड़ी भाभी नहीं मेरी ख़ास करीबी दोस्त या यूँ कहो की मैं तुम्हें अपनी गर्ल फ्रेंड मानता हूँ, और यह बात मैंने छाती ठोक कर कमल भैया से भी कही है। तुम्हें तो कोई एतराज नहीं है न?"
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