RE: kaamvasna साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ
राज के तो होश ही उड़ गए। कुमुद को इतना कुछ समझाने के बाद भी ऐसा होगा यह उसने सोचा न था। कमल राज की पत्नी रानी के करीब गया और उसकी की और गौर से देखने लगा। उसे कुमुद पर गुस्सा और बेचारी रानी पर दया आ गयी। जो हुआ उसमें रानी का कोई कसूर नहीं था। . रानी की आँखें एकदम शून्य सी लग रही थी। वह एक पुतले की तरह भौंचक्की सी थोड़ी देर खड़ी रही और फिर एकदम जमीन पर लुढ़क कर एक मृत शरीर की तरह गिरने लगी तब कमल ने भाग कर रानी को अपनी बाहों में ले लिया और उसे उठाकर बैडरूम में ले गया। जाते जाते कमल ने कड़ी नज़रों से अपनी बीबी कुमुद की और देखा और बोला, "बहुत अच्छा किया तुमने। अपना गुस्सा तुम अगर मुझ पर निकालती तो मैं कुछ ना बोलता। पर बेचारी रानी का क्या दोष था? वह तो मुझे रोकती ही रही। सारा दोष तुम्हारा है। ना तुम मुझसे रूठती और सेक्स के लिए मना करती और ना मैं ऐसी कोई हरकत करता।"
फिर राज की और घूमकर कमल ने कहा, "भाई तुम कुमुद को हमारे बैडरूम में ले जाओ। कुमुद को समझाओ। क्या मैं उसे प्यार नहीं करता? मुझे अभी रानी से माफ़ी मांगनी है। वह बेचारी मेरी वजह से यह सब भुगत रही है।"
कुमुद ने जो करना था वह तो कर दिया पर अब उसे अपनी करनी पर दुःख और पछतावा होने लगा। कमल की बात सही थी। रानी का क्या दोष था? रानी बेचारी करती भी तो क्या करती? क्या वह कमल के सामने चिल्लाती और सब को चिल्ला कर बुलाती और कमल पर इल्जाम लगाती? कमल के व्यक्तित्व के सामने तो अच्छी अच्छी पतिव्रता औरतें भी अपने शील को सम्हाल नहीं पायी तो रानी क्या करती?
राज ने कुमुद की बाहें थामी और कुमुद का हाथ पकड़ कर उसे जैसे खींचकर दूसरे बैडरूम में ले गया। राज ने धीरे से कुमुद को पलंग पर बिठाया और उसके बाजू में बैठ कर कुमुद की हथेली पर अपनी हथेली को मसलते हुए बोला, "डार्लिंग, मैंने तुम्हारा इतना क्रोधित रूप आज पहली बार देखा। कुमुद तुम इस विकराल रूप में भी बहुत अधिक सुन्दर और सेक्सी लग रही थी। अब महेरबानी करके शांत हो जाओ और अपने इस विकराल रूप को वापस सौम्यता में परिवर्तित करो। मैं तुम्हारे इस भयानक रूप से डर रहा हूँ।"
राज की बात सुनकर कुमुद के चेहरे पर बरबस मुस्कराहट की एक रेखा आ गयी। कुमुद ने अपने आप को सम्हाला और बोली, "राज, मैंने आवेश में आकर बड़ा ही गलत काम कर दिया। बेचारी रानी को मैंने बड़ा ही आहत किया है। मुझे उससे माफ़ी मांगनी चाहिए।" कहकर कुमुद उठ खड़ी होकर दूसरे बैडरूम की और जाने लगी।
राज ने कुमुद को थोड़ा हल्का सा धक्का मार कर पलंग पर बिठाया और बोला, "यह काम कमल भैया को ही करने दो। पहले आप शांत हो जाओ और मेरी बात सुनो।"
कुमुद ने राज की और देखा और उसकी ठुड्डी एक हाथ से पकड़ी और राज का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ कर राज के मुंह को खिंच कर राज के होठोँ को अपने होठोँ से सटा कर राज को एक गहरा चुम्बन करने लगी। राज भी कुछ बोल ना पाया और कुमुद के रसीले होठों को चूमने और चूसने लगा। राज और कुमुद एक दूसरे से गहरे चुम्बन करने में लग गए। कुछ देर बाद कुमुद राज से अलग हुई और उसे उलाहना देते हुए बोली, "राज, मैं एकदम शांत हूँ। अब मुझे और कोई सिख नहीं चाहिए राज। अब मुझे क्या करना है, मैं जानती हूँ।और अब तुम मेरी बात सुनो। मैं तुम्हें बताती हूँ की तुम्हें अब क्या करना है।"
यह कह कर कुमुद ने राज के कान में अपना प्लान सुनाया। कुमुद की बात सुन कर राज के चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी। दोनों ही दूसरे बैडरूम की और चल पड़े।
कुमुद जब कमरे में दाखिल हुई तो देखा की रानी बेहोश सी पलंग पर लेटी हुई थी और कमल उसके सर पर हलके से प्यार से हाथ फिरा रहा था। कुमुद को आती हुई देख कर कमल थोड़ा सा अचम्भित हुआ। कुमुद ने अपने पति कमल के पास जाकर उसे वहाँ से हटने का इशारा किया और खुद कमल की जगह बैठ गयी।
कुमुद ने धीरे से प्यार से रानी के सर पर हाथ फिराना शुरू किया और हलके से झुक कर रानी के कानों में बोली, "रानी डार्लिंग, उठो और अपनी बड़ी बहन की ऐसी हरकत के लिए कस कर उसे एक थप्पड़ मार कर उससे बदला वसूलो और अपना मन शांत करो। मैं तुम्हारी बड़ी बहन तुमसे माफ़ी मांग रही हूँ, पर यदि तुमने मुझे माफ़ नहीं भी किया तो भी मैं तुम्हारा दोष नहीं दूंगी। मुझे आपको इस तरह जलील करने का कोई हक़ नहीं था और इस लिए मैं आप की दी हुई कोई भी सजा सहर्ष स्वीकार करुँगी। "
कुमुद की बात सुन कर रानी ने धीरे से अपनी आँखें खोली। कुमुद को प्यार से सर पर हाथ फिराते और केश संवारते देख कर रानी की आँखों में आँसू की बाढ़ आ गयी। रानी सिसक सिसक कर रोने लगी और कुमुद को अपनी और खिंच कर कुमुद के गले लिपट कर बोली, "बहन, गलती तुम्हारी नहीं है। मैं तुम्हारी गुनहगार हूँ। माफ़ी तुम्हें नहीं मुझे मांगनी चाहिए। आपने जो मुझे थप्पड़ मारा वह तो बहुत ही छोटी सजा थी। आप जो कहेंगीं, मैं वह सजा भुगतने के लिए तैयार हूँ। बस आप मुझे माफ़ कर दीजिये।"
|