RE: kaamvasna साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ
कमल बड़े ही असमंजस में अपनी बीबी कुमुद को देखता रहा। उसे समझ नहीं आ रहा था की वह क्या बोले। उसने कुमुद का यह रूप कभी पहले नहीं देखा था। कुमुद बोली, "तुम तो सुधरने से रहे। अब मुझे ही सुधरना पडेगा। मैं कोई गुस्से में नहीं हूँ। तुम्हारे और रानी के बारे में मेरी राज से खुल्लमखुल्ला बात हुई है। अब मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है। अब तक के मेरे रूखे बर्ताव के लिए मुझे माफ़ करना। पर हाँ याद रहे मैं तुम्हारी बीबी हूँ और हमेशा रहूंगी। तुम पर मेरा ही अधिकार है। रानियां तो आएंगी और जाएंगी। और दूसरी बात तुम्हारी खैर नहीं जो मेरे पीछे, मुझसे पूछे बगैर कुछ भी गड़बड़ की। राज से मेरी साफ़ साफ़ बात हुई है। अब हम जो भी करेंगे, साथ में मिलकर करेंगे। बोलो मंजूर?"
कमल को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। उस के चेहरे पर तो वैसे ही पहले से ही हवाइयां उड़ रही थीं। अपनी पत्नी का वह रूप देख कर उसकी बोलती बंद हो गयी थी। कुमुद की बात सुनकर कमल की जान में जान आयी। वह आगे बढ़ा और अपनी पत्नी कुमुद को अपनी बाहों में लेते हुए बोला, "मुझे मंजूर है। तुम बहुत अच्छी पत्नी हो जो मुझ जैसे लम्पट को भी झेल रही हो। अब मैं तुमसे कोई धोखाधड़ी नहीं करूंगा। जोभी करूंगा यातो तुम्हारे सामने या फिर तुमको बताकर करूँगा।"
कुमुद ने जवाब में कहा, "कमल, मतलब तुम अपनी करतूतों से बाज नहीं आओगे? खैर मैं जानती हूँ तुम सुधर नहीं सकते। पर तुम्हारा क्या दोष? मैं भी तो तुम पर बेकार ही इतना गुस्सा कर बैठी और तुम्हें कई रातों तक पास नहीं आने दिया। मैं जानती हूँ सेक्स के बगैर तुम रह नहीं सकते। अब मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी। तुम्हारी ख़ुशी मैं ही मेरा जीवन है। मैं तुम्हारी हूँ और तुम मुझसे जो चाहे कर सकते हो और तुम जो कहोगे मैं करुँगी। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। मैं तुम्हें किसी भी बातमें कभी नहीं रोकूंगी।"
अपनी बीबी की बात सुनकर कमल का मुंह खुआ का खुला ही रह गया। उसकी समझ में नहीं आया की यह सब क्या हो गया था। पर जो भी हुआ इससे कमल खुश था। कमल ने कुमुद को अपनी बाहों में ऊपर उठा लिया और पूछा, "डार्लिंग क्या बात है? राज के साथ क्या बात हुई जो तुम अचानक ही मुझ पर इतनी मेहरबान हो गयी?"
कुमुद ने अपने पति की और हँसते हुए देखा और कहा, "तुम तो पागल हो, पर रानी तो समझदार है। राज कह रहा था की कमल भैया तो पागल हैं, उनकी बातों का क्या बुरा मानना?"
कमल: "अच्छा तो मैं राज और तुम्हारी नजर में पागल हूँ? तो फिर तो आज मैं अपना पागलपन जरूर दिखाऊंगा। और तुम मुझे रोकेगी नहीं, मंजूर है?"
कुमुद, "अच्छा वचन दिया की मैं तुम्हेँ बिलकुल नहीं रोकूंगी। बस? अब चलो हम कपडे बदल कर चलते हैं और देखते हैं की राज और रानी क्या कर रहें हैं?" ऐसा कह कर कुमुद ने कमल को सूटकेस खोल कर अपने पति कमल को उसका कुर्ता पजामा दिया और खुद स्कर्ट और टॉप निकाल फेंका।
कमल अपनी बीबी को ब्रा और पेंटी में खड़ी हुई देखता ही रहा। कुमुद उस वेश में बड़ी खूबसूरत दिख रही थी। कुमुद की पतली कमर के निचे का घुमाव जो उसकी आकर्षक गांड और चूत में जाकर मिलता था, वह देखते ही बनता था। वैसे तो उसने कई बार कुमुद को नंगी भी देखा था, परन्तु आज की बात कुछ और थी। जब कुमुद झुक कर गाउन निकाल कर पहनने लगी तो कमल कुमुद के पीछे आ गया। कुमुद की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर पीछे से अपना लण्ड कुमुद की गांड में घुसाने का नाटक करते हुए कमल ने अपनी बीबी की ब्रा की पट्टी खोल दी और कुमुद की पेंटी को निचे की और खिसकाते हुए बोला, "यह निकालो। "
कुमुद आश्चर्य से अपने पति को देखती ही रह गयी और बोली, " बात क्या है? यह क्या कर रहे हो?"
कमल ने शरारत भरी नजर से कुमुद की और देखते हुए कहा, "अरे भाई मैंअपनी खूबसूरत बीबी को नँगी देखना चाहता हूँ। मैंने तुम्हें काफी समय से नँगी नहीं देखा है। अरे जब यह ब्रा और पैंटी जल्द ही उतरनी ही है, तो पहनने की क्या जरुरत है?"
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