RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"आपने फार्म में दाखिल होकर यहां बाहर पार्किंग में अपनी कार खड़ी की और यहां चली आई ?"
"हां ।"
"कॉलबैल बजाई थी आपने ?"
"नहीं ।"
"क्यों ?"
"क्योंकि यहां भीतर रोशनी थी और जब मैंने बाहर का दरवाजा ट्राई किया था तो उसे खुला पाया था। बंद भी होता तो मेरे पास दरवाजे की चाबी थी, मैं उसे उससे खोल सकती थी।"
"यह पक्की बात है कि भीतर रोशनी थी ?"
"हां ।"
"भीतर दाखिल होने पर आपको यहां के माहौल में कुछ नया, कुछ अजीब, कुछ गैरमामूली लगा हो ?"
"नहीं । सिवाय इसके कि यहां मुकम्मल सन्नाटा था जो कि भीतर किसी के मौजूद होने की हालत में नहीं होना चाहिए।
था।"
"भीतर दाखिल होने पर आपने क्या किया ?"
"मैंने तलाश करना शुरू किया कि भीतर कौन आया हुआ था ! मुझे यहां स्टडी में रोशनी का आभास हुआ तौ मैं यहां आई । आते ही मुझे" - उसने एक बार मेज की तरफ देखकर निगाह झुका ली - यहां यह नजारा देखने को मिला ।"
"यहां आपने किसी चीज को छुआ ?"
"फोन को भी नहीं ?"
"नहीं।"
"आपने किसी को, मसलन पुलिस को फोन करने की कोशिश नहीं की ?"
"नहीं ।"
"क्यों ?"
“ मिस्टर राज, लाश देखकर मुझे जो शॉक लगा था, उसमें मुझे फोन का तो ख्याल ही नहीं आया था।"
"फिर बाकी वक्त आपने क्या किया ?"
"कौन से बाकी वक्त ?"
"बकौल आपके, आप आठ-दस मिनट से यहीं हैं । बंगले में दाखिल होकर स्टडी में पहुंचकर यहां का नजारा देखने तक तो आपको मुश्किल से दो या तीन मिनट लगे होंगे। बाकी का वक्त यहां क्या करती रहीं आप? इतना अरसा यहां खड़ी-खड़ी लाश ही को तो निहारती नहीं रहीं होगी आप !" वह खामोश रही । "आपने मुझसे मिलने के लिये शहर से बाहर यह उजाड़ बियाबान जगह क्यों चुनी ?" |
"क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि किसी को मालूम हो कि अपने पति की निगरानी करवाने के लिए मैं किसी प्राईवेट डिटेक्टिव से संपर्क स्थापित कर रही थी । आजकल यहां कोई होता नहीं इसलिए मैंने तुम्हें यहां बुलाया था।"
"यानी कि आज यहां आपके पति का आगमन भी अनपेक्षित था ?"
"हां।"
"अगर वे जिन्दा होते तो आप अपने यहां आगमन का उन्हें क्या जवाब देतीं ?"
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