RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
मैंने वह टुकड़ा पानी से निकाल लिया। मैंने उसे खोलकर सीधा किया तो पाया कि वह एक पेपर नैपकिन था जिस पर कि उसी रंग की लिपिस्टक के निशान थे जो कि कमला लगाये हुए थी । जरूर उसने वो नैपकिन पानी में बहाने की कोशिश की थी लेकिन वह वापिस तैर आया था।
मैंने नैपकिन समेत सब कुछ टॉयलेट में डाला और फ्लश चलाया । जब तक सब कुछ बह न गया और मुझे कमोड में साफ पानी न दिखाई देने लगा, मैं वहां से न हिला । वापिस लौटने से पहले मैं इमारत का जायका लेने की नीयत से एक बार सारी इमारत में फिर गया।
हासिल कुछ न हुआ ।
मैं वापिस लौटा।
कमला को मैंने किचन में पाया ।।
वहां मैंने कमला को वहां पड़े एक रेफ्रिजरेटर में से बर्फ की ट्रे निकालते पाया।
"बहुत टैंशन हो गई है.." - वह बोली - "सोचा एक-एक डिंक हो जाये ।"
वाह ! - मैं मन-ही-मन बोला - क्या औरत थी ! पति की लाश अभी ठण्डी नहीं पड़ी थी और वह अपनी टैंशन कम करने के लिए डिंक बनाने की तैयारी कर रही थी। कितना बड़ा उल्लू का पट्ठा साबित होता था मर्द औरत की - खूबसूरत औरत, खूबसूरत नौजवान, दिलफरेब औरत की - हस्ती के सामने !
"बहुत ठीक सोचा आपने" - मैं बोला - "आप ताजी-ताजी विधवा हुई हैं। इतने चियरफुल माहौल में चियर्स तो हमें बोलना ही चाहिए।" मेरी बात में निहित व्यंग्य की तरफ उसने ध्यान न दिया। उसने ऊपर बने शैल्फों में से एक को खींचकर उसमें से । ब्लैक डॉग की एक बोतल निकाली और उसके दो बड़े-बड़े जाम तैयार किए । एक गिलास उसने मुझे थमा दिया। उस प्रक्रिया में यह लगभग मेरे साथ आ सटी । उसने मेरे जाम से जाम टकराया, अपने दिवंगत पति पर यह अहसान किया कि चियर्स नहीं बोला और विस्की की चुस्कियां लेने लगी।
तभी दूर कहीं फ्लाइंग स्क्वाड के सायरन की आवाज गूंजी । मैंने विस्की का एक घूट भरा और एक बार फिर सोचा कि क्या वह औरत हत्यारी हो सकती थी ? किसी हत्यारे का साथ देने से मुझे कोई गुरेज हो, ऐसी बात नहीं थी।
लेकिन उस सूरत में यह रकम कम साबित हो सकती थी, जिसकी कि अपनी सेवाओं के बदले में मैंने उससे मांग की थी।
हालात जरूर किसी और बात की चुगली कर रहे थे लेकिन मेरी अक्ल यही कह रही थी कि उसने हत्या नहीं की थी। अगर वह हत्या के इरादे से वहां आई होती तो अपनी करतूत का खामखाह एक गवाह पैदा करने के लिए उसने मुझे - न बुलाया होता । और अगर चावला इत्तफाक से वहां पहुंच गया था या वह कमला के वहां पहुंचने से पहले ही वहां मौजूद था और वहां उनमें एकाएक ऐसी कोई तकरार छिड़ गई थी जिससे भड़ककर कमला ने अपने पति को गोली मार दी थी तो तब वह इतनी जल्दी इतनी शान्त नहीं लग सकती थी जितनी कि वह उस वक्त लग रही थी । ऊपर से वह इतनी अहमक भी नहीं लगती थी कि वह वहां आत्महत्या की स्टेज सेट करती और फिर अपने खिलाफ इतने सारे- सूत्र वहां बने रहने देती । जरूर किसी ने उसे फंसाने की कोशिश की थी।
पुलिस पहुंचने ही वाली है।" - मैं बोला - "इसलिए हमें पहले फैसला कर लेना चाहिए कि हमने पुलिस को क्या कहना है।"
“क्या कहना है?" - वह इठलाकर बोली ।।
उस घड़ी उसका इठलाना मुझे बुरा लगा। "तकरीबन तो हमने वही कहना है जो हकीकत है। जो झूठ कहना है वह यह है कि हम यहां एक ही वक्त में पहुंचे थे। और इकट्टे यहां भीतर आये थे और हम दोनों ने ही लाश बरामद की थी । ओके ?"
उसने सहमति में सिर हिलाया और फिर बोली - "वैसे तुम तो मानते हो न कि कत्ल मैंने नहीं किया ?"
"मानता हूं।" "फिर पुलिस क्यों नहीं मानेगी ?" "क्योंकि वो पुलिस है।"
"क्या कतलब ?"
"मेम साहब ! मेरे और पुलिस के मिजाज में जो एक भारी फर्क है, वो यह है कि उनका काम लोगों को सजा दिलाना होता है जबकि मेरा काम उन्हें सजा से बचाना होता है। उन्होंने अपनी तनखाह को जस्टीफाई करने के लिए बेगुनाह को भी मुजरिम बनाना होता है, मुझे अपनी फीस को जस्टीफाई करने के लिए मुजरिम को भी बेगुनाह साबित करके दिखाना होता है । इसीलिए मेरी फीस उनकी तनखाह से कहीं ज्यादा है।"
"अगर मैं बेगुनाह साबित न हुई तो जानते हो कि तुम एक हत्यारे के सहयोगी माने जाओगे और फिर तुम भी नप जाओगे।"
"जानता हूं । मेरे से बेहतर इस बात को और कौन जान सकता है ?" तभी पुलिस के कदम वहां पड़े।
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