RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"तुम दोनों मेरी क्लायंट हो।"
"ऐसा कैसे हो सकता है ?"
"हो सकता है। जूही को मेरी सेवायें जिस काम के लिए चाहिए वह तुम्हारे रास्ते में नहीं आता।"
"इसका क्या काम है?"
"इसे बॉडीगार्ड को जरूरत है।"
"जो कि तुम हो ?"
"मैं नहीं । मेरा एक आदमी करेगा यह काम ।"
"इसके पीछे कौन से डाकू पड़ रहे हैं जो इसे बॉडीगार्ड की जरूरत है ?"
"इसे खतरा है कि कोई इसकी हत्या कर सकता है।"
"चोर को चोर से कहीं खतरा होता है ! यह तो खुद हत्यारी है। इसकी कौन..."
"आंटी ।" - जूही रुआंसे स्वर में बोली - "मैं तो...."
“खबरदार, जो मुझे आंटी कहा" - कमला कड़ककर बोली - "आई बड़ी आण्टी की बच्ची ।"
"तुम वसीयत की वजह से यहां आई मालूम होती हो ।" - मैं बोला।
,,, "हां" - कमला बोली - "पूछो तो इस कमीनी कुतिया को, कैसे फंसाया इसने मेरे पति को वह वसीयत लिखवाने के लिये ! और कैसे फंसाया होगा ? एक ही तो तरीका है इसके पास । एक ही तो हथियार है इसके पास" - वह जूही की तरफ घूमी । उसकी आंखों से भाले बर्छियां बरस रहे थे - "लेकिन बावजूद वसीयत के तेरी चलने मैं भी नहीं देंगी, छिनाल । मैं साबित करके दिखाऊंगी कि मरे पति का कत्ल तूने किया है। यह काम यह वनस्पति जासूस नहीं करेगा। तो कोई और करेगा । फिर चढ़ना फांसी पर मेरे पति की दौलत के सपने देखते हुए ।"
"आण्टी , मैंने...."
"फिर आंटी ?"
| "....कभी चावला साहब की दौलत के सपने नहीं देखे । आप कुछ भी सोचिए लेकिन मैं उनकी दौलत से नहीं सिर्फ
उनसे प्यार करती थी और..."
"प्यार करने के लिए तुझे कोई और मर्द नहीं मिला ?"
"....मैंने उनका कत्ल नहीं किया है और...."
"कोई अपना हमउम्र नहीं मिला ?"
"...उनकी वसीयत की तो मुझे आज सुबह से पहल खबर तक नहीं थी ।"
"अब तो तू यही कहेगी ।" कमला के हाथों की मुट्ठियां यूं खुल और बन्द हो रही थीं जैसे वे जूही की गर्दन दबोच लेने के लिए तड़प रही हों।
"कमला !" - एकाएक मैं कर्कश स्वर में बोला - "बैठ जाओ ।"
तुम कौन होते हो मुझ पर यूं हुक्म दनदनाने वाले ?" - वह आंखें निकालती बोली ।
“ठीक है । यूं ही फर्श को रौंदती रहो । जब थक जाओ तो बैठ जाना ।" वह बात सुनकर वह फौरन धम्म से एक सोफे पर ढेर हो गई ।
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