RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"सुनो" - मैं नम्रता से बोला - "यूं लड़ने और गाली-गलौच करने से कोई फायदा नहीं । तुम्हारा पति शहर का एक मुआजिज आदमी था । इस वक्त तुम्हें उसकी मौत पर शोक प्रकट करने के लिए आने वाले उसके परिचितों की अगवानी के लिए अपनी कोठी पर होना चाहिए था या झांसी की रानी बनकर यहां इस मासूम लड़की पर चढ़ दौड़ना चाहिए था ?"
“यह कितनी मासूम है, यह तुम नहीं, मैं जानती हूं। यह कमीनी..."
"पहले मेरी पूरी बात सुन लो, फिर अपनी कहना ।"
वह खामोश हो गयी।
"विश्वास जानो, जूही को वसीयत की खबर नहीं थी। उसके बारे में इसे जो कुछ मालूम हुआ है, आज वकील बलराज सोनी के बताये ही मालूम हुआ है। मैं गवाह हूं इस बात का कि आज ही बलराज सोनी ने इसे फोन करके वसीयत के बारे में बताया था। इससे पहले यह वसीयत के बारे में कुछ नहीं जानती थी। चावला साहब ने अगर इसकी मनुहार पर वह वसीयत लिखी होती तो यह उसके बारे में पहले से जानती होती लेकिन ऐसा नहीं था। मुझे नहीं पता कि यह चावला साहब से सच्चा प्यार करती थी या उनकी दौलत की दीवानी थी लेकिन इसकी बदनीयती कम-से-कम उस वसीयत से साबित नहीं होती जिसकी वजह से तुम इतना तड़प रही हो । दूध में धुली तो अगर यह नहीं है तो तुम भी नही हो । तुम इसे अपने हमउम्र मर्द से प्यार करने की राय दे रही हो जबकि खुद तुमने इस राय पर अमल नहीं किया । तुम्हारा पति क्या तुम्हारा हमउम्र था जब तुमने उससे शादी की थी ?"
"लकिन...
,,, "सुनती रहो । और तसल्ली रखो, यह बात मैं तुम्हारे में कोई नुक्स निकालने के लिए नहीं कह रहा । इस वक्त तुम्हें सिर्फ वस्तुस्थिति समझाने की कोशिश कर रहा हूं। यह वक्त इस बात का फैसला करने का नहीं है कि मरने वाले के लिये तुम अच्छी, तसल्लीबख्श बीवी न थी या यह बहुत अच्छी अदर वूमन थी, तुम अपने पति का घर न बसा सकी
या यह उसे उजाड़ने को आमादा थी । इस वक्त अहम बात यह है कि चावला साहब का कत्ल किसने किया ! अगर तुम दोनों उनकी खैरखाह हो तो पहले तुम्हारे में उस शख्स को सजा दिलवाने की ख्वाहिश होनी चाहिए जिसने तुम दोनों का चहेता मर्द तुमसे छीना, न कि तुम्हें वसीयत को लेकर एक-दूसरे का सिर फोड़ने पर आमादा हो जाना चाहिए।"
"मैं चावला साहब की दौलत की तलबगार नहीं ।" - जूही क्षीण स्वर में बोली।
"इसलिए नहीं है" - कमला बोली - "क्योंकि वह मुझे अपनी तलब जाहिर किये बिना ही हासिल हो रही है। लेकिन वो तुझे हासिल हुई नहीं होने वाली, मेरी बन्नो ।”
जूही के चेहरे पर बड़े दयनीय भाव आये ।
"कमला !" - मैं बोला - "यह मत भूलो कि कत्ल का जितना शक जूही पर किया का सकता है, उतना तुम्हारे पर भी किया जा सकता है । कत्ल के इल्लाम से अभी न तुम बरी हो, न जूही ।"
"मैंने कत्ल नहीं किया ।" - कमला बोली।
"मैंने कत्ल नहीं किया ।" - जूही बोली।
"लेकिन मुझे लगता है कि तुम्हें कातिल की बाबत कोई जानकारी है" - मैं जूही से बोला - "जो कि पता नहीं क्यों तुम जुबान पर नहीं लाना चाहतीं।"
"क्यों जुबान पर नहीं लाना चाहती ?" - कमला ने पूछा ।।
"यह कहती है कि अगर इसने ऐसा किया तो हत्यारा इसकी भी हत्या कर देगा । चावला साहब के हत्यारे से इसे भी अपनी जान का खतरा है। इसलिए बतौर बॉडीगार्ड इसे मेरी खिदमत दरकार है।"
कमला खामोश रही ।
"इसलिए और कुछ नहीं तो उस आदमी की चिता को आग दिये जाने तक तो अमन शान्ति का माहौल रखो जो कि तुम दोनों का अजीज था।"
"मैं कुछ नहीं कह रही ।" - कमला बोली।
"अगर तुम कुछ नहीं कह रही तो यह तो कतई कुछ नहीं कह रही है। ऊपर से इस बात पर भी ध्यान दो कि हवाई घोड़े पर सवार तुम यहां आई हो ।"
कमला खामोश रही। "और तुम" - मैं जूही की तरफ घूमा - कैसी मेजबान हो जो घर आये मेहमान को डिंक तक नहीं पेश कर सकतीं ?" जूही हड़बड़ाई । उसने नौकरानी से एक गिलास और मंगाया और कमला और मेरे लिये ड्रिक्स तैयार किये।
"और तुम ?" - कमला बोली । "
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