RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"कोई और कौन ?"
"जैसे कमला चावला ।"
"नॉनसैंस ।"
"तुम साबित कर सकते हो कि जूही ने तुमसे बॉडीगार्ड की मांग की थी ? अपने क्लायंट से तुम कोई एग्रीमेण्ट तो करते होगे ?"
"करता हूं, लेकिन जुबानी।"
"फीस ! फीस तो लेते होगे ?"
"लेता हूं।"
"जूही से भी ली होगी ?"
"ली थी।"
"दिखाओ ?" - उसने मेरी तरफ हाथ फैलाया।
"क्या ?"
"फीस का चैक जो तुम्हें जुही ने दिया था।"
"उसने मुझे नकद रकम दी थी।"
"उसकी रसीद तो तुमने उसे दी होगी ?"
,,, "नहीं दी ।"
"यह कैसे धन्धा चलाते ही तुम ! तुम पर तो इंकमटैक्स का केस बन सकता है।"
"भाई साहब, रसीद बुक मैं कोई जेब में थोड़े ही लिए फिरता हूं ! आज शाम ही तो मैं उससे मिला था। कल सुबह ऑफिस पहुंचता तो वहां से रसीद भिजवा देता ।"
"मार कहां से खाई ?"
"कहीं से नहीं ।”
"थोबड़ा तो उधड़ा पड़ा है तुम्हारा ?"
"बाथरूम में पांव फिसल गया था । मुंह के बल गिरा था मैं ।"
"यह झूठ बोल रहा है।" - रावत बोला - "इसकी फ्लैट में दाखिल होने से पहले ही बुरी हालत थी । जब यह अपने फ्लैट के सामने पहुंचा था, तब इसके कपड़े खून से रंगे हुए थे और चेहरा लहूलुहान था ।"
यादव ने गौर से मेरी ओर देखा।
मैंने लापरवाही से सिगरेट का एक कश लगाया ।
"और यह" - रावत फिर बोला - "एक इन्तहाई शानदार इम्पाला कार पर वहां पहुंचा था। मुझे तो इसकी इम्पाला कार की औकात नहीं लगती।"
"तुम्हारी अपनी खटारा फियेट कहा गई ?" - यादव ने पूछा।
"मरम्मत के लिए गई है।" - मैं बोला।
"उसकी मरम्मत अभी मुमकिन है ?"
"अभी है।"
"इम्पाला किसकी है?"
एक दोस्त की ।”
"दोस्त का नाम बोलो ।"
मैं खामोश रहा। "अरे यह कोई छुपने वाली बात है ! कार अभी भी तुम्हारे घर के आगे खड़ी होगी । मैं उसके रजिस्ट्रेशन से मालूम कर लूंगा।"
"कार का नम्बर मुझे याद है।" - रावते बोला - "डी आई बी 9494 ।"
"और उसका रंग सफेद था ?" - यादव बोला ।
"हां ।"
"भीतर की अपहोलस्ट्री वगैरह भी सफेद ?"
"हां ।"
"वो एलैग्जैण्डर की कार है ।" - यादव ने फिर मुझे घूरा - "तुम्हारे हत्थे एलैग्जैण्डर की कार कैसे चढ़ गई ?"
,,,
मैंने उत्तर न दिया।
"जरूर तुम्हारी यह दुर्गति भी उसी की वजह से हुई है।"
मैं परे देखने लगा। मैंने जेब से फ्लास्क निकालकर विस्की का एक पूंट भरा।
"यह क्या है ?" - यादव बोला।
"हैल्थ टानिक ।” उसने मुझे घूरकर देखा।
"विस्की । रायल सैल्यूट । खींचोगे ?"
"शटअप !"
मैंने फ्लास्क वापिस जेब में रख ली।
"अब साफ-साफ बोलो।" - यादव बोला - "क्या माजरा है ?"
"पहले तुम बताओ, क्या माजरा है!" - मैं बोला - "क्या किस्सा है जूही की आत्महत्या का ? क्यों कर ली उसने .
आत्महत्या ? कैसे कर ली ? कब कर ली ? लाश कहां है ?"
"इतने सवाल एक साथ ?"
"बारी-बारी पूछू ?"
"नहीं । ऐसे ही ठीक है। और इनके जवाब कोई सीक्रेट नहीं है।"
"दैट्स वैरी गुड ।”
"आत्महत्या, जाहिर है कि, उसने अपने आशिक अमर चावला की मौत से गमजदा होकर की । ऐसा उसने किचन की गैस इस्तेमाल करके किया । आत्महत्या का वक्त हमारा डॉक्टर कोई शाम आठ बजे का फिक्स करके गया है और लाश यहां से उठवा कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी गई है।"
"यहां एक नौकरानी भी तो थी । वो उस वक्त कहां थी ?"
"वो सात बजे यहां से चली गई थी। वह करीब एक गांव में रहती है। मेरी उससे बात हो चुकी है।"
"वह यहां नहीं रहती ?"
"यहीं रहती है लेकिन बुधवार और शनिवार शाम को सात बजे घर चली जाती है और फिर सुबह आठ बजे आती है।
"रावत कहता है कि लाश पाण्डे ने बरामद की थी ?"
"हां । और इसी ने पुलिस को लाश की खबर भी की थी। तुम्हें तो पता नहीं ये क्या कहानी सुनायेगा लेकिन हमें इसने यही कहा है कि यह साढ़े सात बजे यहां पहुंचा था। इसने इमारत को अंधेरे में डूबी पाया था और जब इसने कॉलबैल बजाई थी तो भीतर से कोई जवाब नहीं मिला था । इसने समझा था कि जूही कहीं चली गई थी। यह बाहर ही बैठकर उसका इंतजार करने लगा था। फिर दस बजे तक भी जूही यहां न लौटी तो इसने बंगले का मुआयना । करने का फैसला किया था। वह पिछवाड़े में पहुंचा था। वहां एक रोशनदान की झिरीं में से निकलती गैस की तीखी गन्ध इसे मिली थी । इसने रोशनदान पर चढ़कर उसके शीशे में से भीतर झांका था तो इसने किचन को गैस से भरा पाया था। तब इसने पुलिस को फोन किया था।"
,,,
"आई सी !"
"हमें तो इसने यही कहानी सुनाई है। तुम्हें शायद कुछ और कहे ?"
“यही हकीकत है ।" - पाण्डे बोला ।
"अब तुम अपनी कहानी सुनाओ।" - यादव बोला । =
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