RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"फिर" - मेरी बात की ओर ध्यान दिये बिना वह कहता रहा - "कल रात को तुमने चावला के घर में चौधरी को पीटा इस लिहाज से तुम्हारी भी बारी आनी ही थी जो कि आज आ गई । तुम्हारी यह गत एलैग्जैण्डर के हाथों बनी है। और यह बात मैं तुमसे पूछ नहीं रहा हूं, तुम्हें बता रहा हूं।"
“तुम समझते हो एलैग्जैण्डर ने मुझे इसलिए पिटवाया है क्योंकि मैंने उसके आदमी को पीटा था ?"
"क्योंकि तुम्हारे पास ऐसी कोई चीज है जिसे हासिल करने के लिए एलैग्जैण्डर मरा जा रहा है।"
"कैसे जाना ?"
,,, "चौधरी की वजह से जाना । उसकी चावला की स्टडी में मौजूदगी की वजह से जाना । एलैग्जैण्डर के उसको
आनन-फानन छुड़ा ले जाने की वजह से जाना। तुम्हारे उधड़े हुए थोबड़े पर लटके साइन बोर्ड से पढ़कर जाना । और एलेग्जेण्डर की कार की तुम्हारे पास मौजूदगी से जाना । थोड़े हैं जानकारी के इतने जरिये ?"
"नहीं । काफी हैं । काफी से ज्यादा हैं।"
"अब मेरे सब्र का और इम्तहान लिए बिना बताओ कि हकीकत क्या है?"
"सुनो । एलेग्जेण्डर को यह वहम हो गया लगता है कि जिस चीज की उसे तलाश है, वो मेरे पास है। पर वह चीज क्या है, यह न मुझे मालूम है, न वो बताता है । वह बस यही रट लगाये रहा था कि उसकी जो चीज मेरे पास है वह मैं उसे वापिस करू । उसने उस चीज के बदले में मुझे दस हजार रुपए भी ऑफर किये थे लेकिन जिस चीज के अस्तित्व तक की मुझे खबर नहीं, वो मैं उसे कहां से पैदा करके देता ? यही बात बड़ी संजीदगी से उसे समझाने के लिए आज मैं उससे मिला था लेकिन उसे मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ।
पहले जो चीज वो मुझसे दरख्वास्त करके मांग रहा था, फिर जिसकी वो मुझे कीमत अदा करने को तैयार था, उसी को तब उसने जबरन हासिल करने की कोशिश की । उसी जबरदस्ती का नतीजा वो मार-पीट निकला जिसने कि मेरा थोबड़ा सुजा दिया।"
"हकीकतन ऐसी कोई चीज तुम्हारे पास नहीं है?" - वह संदिग्ध स्वर में बोला ।
"आनेस्ट, नहीं है ! होती तो मैं क्या पागल हूं कि उसके बदले में हासिल होने वाले दस हजार रुपये भी छोड़ता और। उसकी वजह से इतनी मार भी खाता?"
"शायद वह ज्यादा कीमती चीज है और तुम उसकी दस हजार से ज्यादा कीमत चाहते हो !"
"इतनी मार खाने के बाद भी ?"
"मार तुमने कोई खास नहीं खाई है। तुम्हारी कोई हड्डी नहीं टूटी है, कोई पसली नहीं चटकी है, कोई गहरा जख्म नहीं लगा है। मोटे माल के लालच में इतनी मार तुम खा सकते हो । अब अपनी अपेक्षित मोटी कीमत में जरूर तुम इस मार की कीमत भी जोड़ लोगे।"
"तुम तो यार...."
"मैं तुम्हारी जात पहचानता हूं, प्राइवेट डिटेक्टिव साहब ! पैसे की खातिर तुम बहुत कुछ कर सकते हो ।”
"तौबा !"
"अब बताओ वो चीज क्या है ?"
"मुझे नहीं पता।"
"तुम्हारे पास एलैग्जैण्डर की कोई चीज नहीं ?"
"न।"
"जिस चीज की तलाश में कल चौधरी चावला की स्टडी में घुसा था, वह तुम्हारे हाथ नहीं लग गई हुई ?"
"नहीं ।”
"ऐसा अगर हुआ होगा तो बात चौधरी को भी मालूम होगी और मिसेज चावला को भी ।"
"तुम ऐसा सोचते हो फिर भी तुमने चौधरी को अपने चंगुल से निकल जाने दिया ।"
"लेकिन मिसेज चावला अभी मेरी पहुंच से परे नहीं है।"
,,, मैंने सशंक भाव से उसकी तरफ देखा । किस फिराक में था वह पुलिसिया ?
"चलो।" - वह बोला ।
"कहां ?" - मैं हड़बड़ाया।
"गोल्फ लिंक । चावला की कोठी पर । मिसेज चावला से बात करने ।"
"इस वक्त ?"
"हां । इस वक्त ।"
"वह सो चुकी होगी ।"
"जाग जाएगी ।"
"सुबह चलें तो..."
"नहीं । अभी चलो। सुबह तक तो तुम उसे हजार तरह की पट्टी पढ़ा लोगे।"
"अच्छी बात है।"
हथियार डाल देने के अलावा और कोई चारा था जो नहीं ।
*
**
,,, हम गोल्फ लिंक पहुंचे। कमला चावला से हमारी मुलाकात हुई । वह हमें ड्राइंग रूम में ले आई। मैंने देखा कि उसकी सूरत से ऐसा नहीं लगता था जैसे वह सोते से उठी हो ।
मैं आपसे चन्द सवाल पूछना चाहता हूं।" - यादव बोला।
इस वक्त ?" - कमला बोली ।। ।
“हां । कोई ऐतराज ?"
"नहीं । कोई ऐतराज नहीं । पूछिये क्या पूछना चाहते हैं आप ?"
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